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IAS Foundation New Batch, Starting from 27th Aug 2024, 06:30 PM | Optional Subject History / Geography | Call: 9555124124

हाई स्पीड रेल गलियारे के लिये लिडार सर्वेक्षण

संदर्भ

दिल्ली-वाराणसी हाइस्पीड रेल गलियारे के निर्माण कार्य में लिडार (एरियल ग्राउंड) सर्वेक्षण शुरू किया गया है।

प्रमुख बिंदु

  • दिल्ली-वाराणसी हाइस्पीड रेल गलियारे में लिडार सर्वेक्षण हेतु अत्‍याधुनिक एरियल लिडार तथा इमेज़री सेंसरों से सुसज्जित एक हैलिकॉप्‍टर का प्रयोग कर ग्राउंड सर्वेक्षण से संबंधित डाटा प्राप्त किया गया है।
  • गौरतलब है कि दिल्‍ली-वाराणसी हाइस्पीड रेल गलियारा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्‍ली को मथुरा, आगरा, इटावा, लखनऊ, रायबरेली, प्रयागराज, भदोही, वाराणसी और अयोध्या जैसे प्रमुख शहरों से जोड़ेगा।
  • राष्‍ट्रीय हाइस्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड द्वारा निर्माण कार्यों में लाइट डिटेक्‍शन और रेंजिंग (लिडार) सर्वेक्षण तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। इस तकनीक की सहायता से ग्राउंड सर्वेक्षण से संबंधित सभी विवरण तथा डेटा 3 से 4 महीनों में प्राप्त किया जा सकता है, जबकि इस प्रक्रिया में सामान्यतः 10 से 12 माह का समय लगता है।
  • लाइनियर इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर परियोजना में ग्राउंड सर्वेक्षण महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है, क्‍योंकि इससे रेलमार्ग के आस-पास के क्षेत्रों की सटीक जानकारी प्राप्‍त होती है।
  • एरियल लिडार सर्वेक्षण में प्रस्तावित रेलमार्ग के आसपास के 300 मीटर क्षेत्र को शामिल किया जाएगा तथा सर्वेक्षण से प्राप्त डाटा के आधार पर रेलमार्गों का डिज़ाइन, संरचना, रेलवे स्टेशन के लिये स्थान, गलियारे के लिये भूमि की आवश्यकता, परियोजना से प्रभावित भूखंडों की पहचान आदि का निर्धारण किया जाएगा।
  • विदित है कि राष्‍ट्रीय हाइस्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड को 7 हाइस्पीड रेल गलियारे के निर्माण कार्य हेतु विस्‍तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने का कार्य सौंपा गया है। इन सभी गलियारों में ग्राउंड सर्वेक्षण के लिये लिडार सर्वेक्षण तकनीक का प्रयोग किया जाएगा।

लिडार तकनीक (Light Detection and Ranging Technique-LIDAR)

  • लिडार एक 'सुदूर संवेदी तकनीक' है, जिसमें पल्स लेज़र के रूप में प्रकाश का उपयोग करके विमान में सुसज्जित लेज़र उपकरणों के माध्यम से किसी क्षेत्र का सर्वेक्षण किया जाता है।
  • लिडार उपकरणों में लेज़र, स्कैनर और एक जी.पी.एस. रिसीवर होता है। यह तकनीक लघु तरंगदैर्ध्य के माध्यम से सूक्ष्म वस्तुओं या स्थान का त्रि-आयामी (3-D) मानचित्र तैयार करने में सक्षम है।
  • इस तकनीक के माध्यम से विस्तृत क्षेत्र के आँकड़े प्राप्त करने के लिये पृथ्वी की सतह पर लेज़र प्रकाश डाला जाता है और प्रकाश के वापस लौटने के समय की गणना से वस्तु की दूरी का पता लगाया जाता है। इसे ‘लेज़र स्कैनिंग’ या ‘3-डी स्कैनिंग’ भी कहा जाता है। विदित है कि रडार और सोनार तकनीक में क्रमशः रेडियो व ध्वनि तरंगों का उपयोग किया जाता है।
  • इसका प्रयोग मानव निर्मित वातावरण के सर्वेक्षण, निर्माण परियोजनाओं को तेज़ी से ट्रैक करने तथा पर्यावरणीय अनुप्रयोगों आदि में किया जाता है। स्वायत्त वाहनों को नौवहन सुविधा प्रदान करने के लिये कम रेंज के लिडार स्कैनर का उपयोग भी किया जा रहा है।
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