संदर्भ
हाल ही में, प्रधानमंत्री ने ग्लोबल हाउसिंग टेक्नोलॉजी चैलेंज-इंडिया (GHTC-India) पहल के हिस्से के रूप में छह ‘लाइट हाउस प्रोजेक्ट्स’ की नींव रखी।
प्रमुख बिंदु
- ‘लाइट हाउस प्रोजेक्ट्स’ के अंतर्गत ग्लोबल हाउसिंग टेक्नोलॉजी चैलेंज-इंडिया, 2019 के तहत सूचीबद्ध 54 तकनीकों में से छह अलग-अलग तकनीकों का उपयोग करके प्रत्येक स्थान पर लगभग 1,000 आवासों का निर्माण एक वर्ष में किया जाना है।
- इनका निर्माण छह स्थानों, यथा- इंदौर, राजकोट, चेन्नई, राँची, अगरतला और लखनऊ में किया जाना है। इस प्रोजेक्ट को केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय द्वारा लागू किया जाना है।
- इन तकनीकों में पूर्वनिर्मित सैंडविच पैनल सिस्टम तकनीक, टनलिंग, मोनोलिथिक कंक्रीट निर्माण प्रणाली, प्री-कास्ट कंक्रीट तकनीक, 3-डी तकनीक, स्टील फ्रेम तकनीक और प्री-कंस्ट्रक्टेड वाल तकनीक का प्रयोग शामिल है।
- सरकार की अन्य योजनाओं को भी इन परियोजनाओं से जोड़ा जाएगा ताकि लाभार्थियों को जल-आपूर्ति, विद्युत और एल.पी.जी. कनेक्शन जैसी सुविधाएँ प्रदान की जा सकें।
उद्देश्य
- ये परियोजनाएँ अनुसंधान एवं विकास (R&D) सहित सभी हितधारकों के लिये लाइव प्रयोगशालाओं के रूप में कार्य करेंगी, जो प्रयोगशाला से फील्ड में प्रौद्योगिकियों के सफल हस्तांतरण के लिये उपयोगी है।
- लाइट हाउस प्रोजेक्ट्स के तहत, लोगों को स्थानीय जलवायु और पारिस्थितिकी के अनुसार स्थाई आवास प्रदान किया जाता है। साथ ही, इस परियोजना के तहत विशेष तकनीकों का उपयोग करके सस्ते और मज़बूत आवासों का निर्माण किया जाता है।
- परियोजना का मुख्य लाभ यह है कि इसमें निर्माण की अवधि और लागत कम होगी और आवास भी पूरी तरह से भूकंप-रोधी होंगे।
- इस प्रोजेक्ट्स में पारंपरिक ईंट और मोर्टार से निर्माण की तुलना में उच्च गुणवत्ता वाली किफ़ायती व टिकाऊ सामग्री से सामूहिक आवास तैयार किये जाएंगे।
अन्य संबंधित बिंदु
- नए रियल एस्टेट (विनियमन एवं विकास) अधिनियम (रेरा) से आवास खरीददारों को सुरक्षा प्रदान की गई है।
- प्रवासी मज़दूरों की समस्याओं के समाधान के उद्देश्य से ‘सेंट्रल रेंटल हाउसिंग कॉम्प्लेक्स प्रोजेक्ट’ की भी कल्पना की गई थी। परियोजनाओं में राज्यों द्वारा दिया गया सहयोग एक तरह से सहकारी संघवाद को मज़बूत करने वाला है।
- नवीन निर्माण प्रौद्योगिकियों पर ‘नवरीति’ (Navaritih) नाम का एक सर्टिफिकेट कोर्स भी शुरू किया गया है।