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IAS Foundation New Batch, Starting from 27th Aug 2024, 06:30 PM | Optional Subject History / Geography | Call: 9555124124

प्रकाश प्रदूषण 

मुख्य परीक्षा

(सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन)

संदर्भ 

चीन के विज्ञान अकादमी के शोधकर्ताओं के अनुसार रात्रि में कृत्रिम प्रकाश (Artificial Light At Night: ALAN) के उच्च स्तर के कारण कीटों को वृक्षों की पत्तियों को खाने में कठिनाई हो रही है। इससे शहरी खाद्य शृंखलाओं के लिए खतरा उत्पन्न हो रहा है।

कृत्रिम प्रकाश के कारण प्रकाश प्रदूषण 

  • प्रकाश प्रदूषण को अवांछित, अनुचित या अत्यधिक कृत्रिम प्रकाश की उपस्थिति के रूप में परिभाषित किया जाता है। रात्रि के समय आनावश्यक एवं कृत्रिम प्रकाश के कारण आसमान में चकाचौंध हो जाती है।
  • इस प्रकार, प्रकाश प्रदूषण प्राकृतिक रूप से उत्पन्न होने वाले प्रकाश स्तर में मानव निर्मित परिवर्तन है।

प्रकाश प्रदूषण के घटक 

  • चकाचौंध (Glare) : दृश्य (देखने में) असुविधा का कारण बनने वाली अत्यधिक चमक 
  • आकाशीय चमक (Sky Glow) : आवासीय क्षेत्रों में रात्रि में आकाश का चमकना
  • प्रकाश अधिकता (Light Trespass) : प्रकाश का उस स्थान पर पड़ना जहाँ उसकी आवश्यकता नहीं है। 
  • बिखरा हुआ या अव्यवस्थित प्रकाश (Clutter) : प्रकाश स्रोतों का चमकदार, भ्रामक व प्रकाश स्रोतों का अत्यधिक बिखरा होना 

प्रकाश प्रदूषण के स्रोत

  • आउटडोर लाइट एवं स्ट्रीटलाइट
  • लैंडस्केपिंग एंड मूडलाइटिंग
  • खेल में प्रकाश की व्यवस्था 
  • शहरी प्रकाश व्यवस्था 
  • तेल एवं गैस उत्पादन 
  • प्रकाशयुक्त ग्रीनहाउस
  • इलेक्ट्रॉनिक विज्ञापन
  • उद्योग एवं कारखाने
  • घर एवं अपार्टमेंट
  • पार्किंग स्थल 
  • उपग्रह  

प्रकाश प्रदूषण का प्रभाव

वन्य जीवन एवं पारिस्थितिकी तंत्र पर 

  • पौधे व जानवर प्रजनन, पोषण, नींद एवं शिकारियों से सुरक्षा जैसे जीवन-निर्वाह व्यवहारों के लिए प्रकाश और अंधकार के दैनिक चक्र पर निर्भर होते हैं। 
  • वैज्ञानिक प्रमाणों के अनुसार, रात में कृत्रिम प्रकाश का उभयचर, पक्षी, स्तनधारी, कीटों व पौधों सहित कई जीवों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
  • रात्रिचर जानवर दिन में विश्राम करते हैं और रात में सक्रिय रहते हैं। प्रकाश प्रदूषण उनके रात्रि के वातावरण को मौलिक रूप से बदल देता है। 
  • शिकार करने के लिए शिकारी प्रकाश का उपयोग करते हैं जबकि शिकार की प्रजातियाँ अंधेरे का उपयोग छिपने के रूप में करती हैं। 
  • चकाचौंध उन आर्द्रभूमियों को भी प्रभावित करती है जो मेंढक व टोड जैसे उभयचरों का आवास हैं। 
  • कृत्रिम रोशनी रात्रिचर जानवरों के प्रजनन में बाधा डालकर उनकी संख्या को कम करती है।
  • समुद्री कछुए रात के समय समुद्र तट पर अंडे देते हैं। अंडे से निकले बच्चे समुद्र के ऊपर चमकते क्षितिज को देखकर समुद्र में पहुँचते हैं। कृत्रिम रोशनी उन्हें समुद्र से दूर ले जाती है।
  • रात में प्रवास या शिकार करने वाले पक्षी चांद व तारों की रोशनी में अपना रास्ता बनाते हैं। कृत्रिम रोशनी के कारण वे रास्ते से भटक सकते हैं।
  • कई कीट प्रकाश की ओर आकर्षित होते हैं किंतु कृत्रिम रोशनी घातक आकर्षण उत्पन्न कर सकती है। 

ऊर्जा एवं जलवायु पर 

  • प्रकाश का स्तर आवश्यकता से अधिक होने से ऊर्जा की बर्बादी के कारण बहुत अधिक आर्थिक एवं पर्यावरणीय नुकसान होते हैं।
  • डार्क स्काई का अनुमान है कि केवल अमेरिका में सभी बाह्य प्रकाश व्यवस्था का कम-से-कम 30% बर्बाद हो जाता है। इससे प्रति वर्ष 21 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन होता है।

मानव स्वास्थ्य पर 

इससे नींद संबंधी विकार, अवसाद, मोटापा व हृदय रोग, मधुमेह एवं कैंसर के जोखिम में वृद्धि होती है। 

अनुसंधान पर 

अत्यधिक कृत्रिम प्रकाश और आसमान में चकाचौंध से खगोल अनुसंधान में समस्या आती है। साथ ही, इससे तारों से आने वाले प्रकाश पर भी प्रभाव पड़ता है। 

कृत्रिम प्रकाश से संबंधित चीनी शोधकर्ताओं के अध्ययन का निष्कर्ष 

  • कृत्रिम प्रकाश से वृक्षों की पत्तियां सख्त हो जाती है जो शाकाहारी जानवरों के उपभोग के लिए अनुपयोगी हो सकती हैं। 
    • इससे शाकाहारी कीटों की आहार संबंधी प्राथमिकताओं में परिवर्तन की संभावना होती है।
  • यह पक्षियों व नवजात समुद्री कछुओं को भी नकारात्मक रूप से प्रभवित करता है। 
  • कृत्रिम प्रकाश के उच्च स्तर के कारण पौधे वृद्धि की बजाए सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जिससे अधिक रासायनिक रक्षा यौगिकों से पत्तियां सख्त हो जाती हैं। 
    • शोधकर्ताओं के अनुसार, रात में सर्वाधिक रोशनी वाले क्षेत्रों में पत्तियां बेहद सख्त थीं, जिनमें कीट गतिविधि के कोई संकेत नहीं दिख रहे थे।

प्रकाश प्रदूषण संबंधी अन्य प्रमुख अध्ययन 

  • फ्रंटियर्स इन प्लांट साइंस नामक पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, कृत्रिम प्रकाश का पत्ती के पोषक तत्वों, आकार व रक्षा पदार्थों पर प्रजाति-विशिष्ट प्रभाव पड़ता है। 
    • ये परिवर्तन पोषक चक्र एवं ऊर्जा प्रवाह जैसी प्रमुख कार्यात्मक विशेषताओं व पारिस्थितिक प्रक्रियाओं को महत्वपूर्ण रूप से बदल सकते हैं।
  • साइंस एडवांस में प्रकाशित वर्ष 2016 की एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया की 80% से अधिक आबादी प्रकाश-प्रदूषित वातावरण में रहती है। 
  • वर्ष 2023 में साइंस जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार रात्रि के आसमान में प्रकाश की तीव्रता में निरंतर वृद्धि हो रही है। वहीँ दूसरी ओर वैज्ञानिकों ने तारों की दृश्यता में कमी दर्ज की है।

डार्क स्काई प्लेस

  • डार्क स्काई प्लेस प्रकाश प्रदूषण को कम करने के लिए एक स्वतंत्र रूप से प्रमाणित क्षेत्र है। 
  • 11 जनवरी, 2024 को महाराष्ट्र के पेंच टाइगर रिजर्व को भारत के पहले अंतर्राष्ट्रीय डार्क स्काई पार्क के रूप में नामित किया गया है। 
  • इसे अंतर्राष्ट्रीय डार्क स्काई एसोसिएशन द्वारा प्रमाणित किया गया है। 
  • यह एशिया का पाँचवाँ ऐसा पार्क है, जिसका उद्देश्य रात्रि आकाश की रक्षा करना और खगोल विज्ञान को बढ़ावा देना है।

पत्तियां सख्त होने का प्रभाव

  • पत्ती की कार्बन सामग्री के साथ-साथ पत्ती की कठोरता में वृद्धि के साथ शाकाहारी गतिविधि (Herbivory) में कमी आती है। 
    • पत्ती की कठोरता पत्ती के सबसे महत्वपूर्ण लक्षणों, जैसे- संरचनात्मक शक्ति एवं यांत्रिक सुरक्षा में सहायक होती है। 
  • उच्च कठोरता वाली पत्तियाँ धीमी दर से विघटित होती हैं, जो संभावित रूप से पोषक चक्रण को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती हैं।
  • विशिष्ट पत्ती क्षेत्र (Specific Leaf Area : SLA) अप्रत्यक्ष रूप से विभिन्न प्रकाश तीव्रता के तहत पौधों की अनुकूली क्षमता को दर्शा सकता है।
    • उच्च प्रकाश की स्थिति SLA में वृद्धि को सीमित कर सकती है, जिससे कम प्रकाश कैप्चर दक्षता एवं पोषण के साथ मोटी पत्तियों का निर्माण होता है। यह शाकाहारी भोजन के लिए कम अनुकूल है। 
  • पौधों से उच्च उभोक्ता स्तरों तक ऊर्जा प्रवाह के लिए उच्च कृत्रिम प्रकाश तीव्रता हानिकारक है। 
    • यह  शहरी पारिस्थितिकी प्रणालियों में आर्थ्रोपोड एवं पक्षी विविधता सहित जैव विविधता के रखरखाव के लिए संभावित खतरा उत्पन्न करती है।
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