चीन की तीसरी सबसे बड़ी राष्ट्रीय तेल कंपनी चाइना नेशनल ऑफ़शोर ऑयल कॉरपोरेशन (CNOOC) ने लिंगशुई 36-1 गैस क्षेत्र में गैस की खोज की पुष्टि की है।
लिंगशुई 36-1 क्षेत्र के बारे में
- लिंगशुई 36-1 गैस क्षेत्र में 100 बिलियन क्यूबिक मीटर से अधिक गैस ईंधन होने की संभावना है।
- यह दुनिया का सबसे बड़ा और अत्यधिक गहरे पानी में उथला गैस क्षेत्र है। यह गैस क्षेत्र दक्षिण चीन सागर (SCS) के विवादित जलक्षेत्र में स्थित है।
चीन को लाभ
- यह खोज हिंद महासागर से होकर गुजरने वाली चीन की समुद्री संचार लाइनों को बाधित करने वाली संभावित नाकाबंदी की धारणा को आंशिक रूप से दूर करने के लिए महत्वपूर्ण है ताकि उसकी ऊर्जा मांगों को पूरा किया जा सके।
- इस धारणा को 'मलक्का दुविधा' के रूप में भी जाना जाता है।
- लिंगशुई 36-1 की खोज से प्रेरित होकर चीन अपनी बढ़ती ऊर्जा मांगों को पूरा करने के लिए अन्य क्षेत्रों में अभियान के लिए तैयार है। इससे क्षेत्र के देशों के बीच अधिक तनाव उत्पन्न होने की संभावना है।
हिंद-प्रशांत क्षेत्र में तनाव में वृद्धि की संभावना
- महासागरों से प्राकृतिक संसाधनों के निष्कर्षण की होड़ विगत कुछ दशकों में तेज़ हो गई है।
- हिंद-प्रशांत क्षेत्र, ऊर्जा एवं गैस से समृद्ध एक महत्वपूर्ण समुद्री क्षेत्र के रूप में उभरा है, जिससे इस क्षेत्र के प्रमुख हितधारकों की रुचि में वृद्धि हो रही है। दक्षिण चीन सागर क्षेत्र हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सबसे विवादित रणनीतिक क्षेत्रों में से एक है।
- चीन ने वर्ष 2022 से भारत को बाहर रखते हुए एक क्षेत्रीय बहुपक्षीय मंच ‘चीन-हिंद महासागर मंच’ बनाने का प्रयास किया है जिसमें हिंद महासागर के प्रमुख हितधारक शामिल हैं।