(सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र- 3 प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कृषि सहायता तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य से संबंधित विषय; जन वितरण प्रणाली- उद्देश्य, कार्य, सीमाएँ, सुधार; बफर स्टॉक तथा खाद्य सुरक्षा संबंधी विषय; प्रौद्योगिकी मिशन; पशु पालन संबंधी अर्थशास्त्र।)
संदर्भ
हाल ही में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के कलोल में देश के पहले तरल नैनो यूरिया संयंत्र का उद्घाटन किया है। इस पेटेंट उत्पाद से न केवल यूरिया के आयात में कमी आएगी बल्कि इससे कृषि उत्पादन में भी सुधार होगा।
प्रमुख बिंदु
- इस उत्पाद को कलोल में भारतीय किसान उर्वरक सहकारी लिमिटेड (IFFCO) के नैनो जैव-तकनीकी अनुसंधान केंद्र (NBRC) में विकसित किया गया है।
- इस तरल नैनो यूरिया प्लांट के द्वारा यूरिया की 3.6 करोड़ से अधिक बोतलों का उत्पादन किया जा चुका है, जिनमें से लगभग 2.5 करोड़ की बिक्री भी हो चुकी है।
- इफको नैनो यूरिया, नैनो डाई-अमोनिया फॉस्फेट और नैनो सूक्ष्म पोषक तत्वों के उत्पादन के लिये कलोल संयंत्र के विस्तार के अलावा आंवला, फूलपुर, बेंगलुरु, पारादीप, कांडला, देवघर और गुवाहाटी में नैनो उर्वरकों के उत्पादन के लिये अतिरिक्त सुविधाएँ स्थापित कर रहा है। इन इकाइयों की प्रतिदिन 2 लाख बोतलों की उत्पादन क्षमता होगी।
क्या है तरल नैनो यूरिया
- यह नैनो कण के रूप में सफेद रंग का एक रासायनिक नाइट्रोजन उर्वरक है। यह पौधों को कृत्रिम रूप से नाइट्रोजन प्रदान करता है, जो पौधों के लिये एक आवश्यक पोषक तत्त्व है।
- इसका उद्देश्य यूरिया सब्सिडी में होने वाले व्यय को कम करने के अतिरिक्त पारंपरिक यूरिया के असंतुलित और अत्यधिक उपयोग को कम करना, फसल उत्पादकता में वृद्धि करना तथा मिट्टी, पानी एवं वायु प्रदूषण को रोकना है।
- तरल नैनो यूरिया का जीवन चक्र एक वर्ष तक होता है। साथ ही, नमी के संपर्क में आने पर यह घनीभूत (Caking) भी नहीं होता है।
- इफको के अनुसार, तरल नैनो यूरिया में पानी में समान रूप से घुले हुए कुल नाइट्रोजन का 4% होता है। विदित है कि नैनो नाइट्रोजन कण का आकार 20-50 नैनो मीटर तक होता है।
तरल नैनो यूरिया एवं पारंपरिक यूरिया उर्वरक में अंतर
- पारंपरिक यूरिया की दक्षता लगभग 25% है, जबकि तरल नैनो यूरिया की दक्षता 85-90% तक हो सकती है।
- परंपरागत यूरिया के गलत तरीके से उपयोग के कारण नाइट्रोजन वाष्पीकृत हो जाती है या सिंचाई के दौरान अधिकाँश मात्रा में बह जाती है, जिससे फसलों पर इसका वांछित प्रभाव नहीं पड़ पाता है।
- जबकि तरल नैनो यूरिया को सीधे पत्तियों पर छिड़का जाता है और पौधे द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है। यह उर्वरक नैनो रूप में फसलों को पोषक तत्त्वों की लक्षित आपूर्ति प्रदान करते हैं, क्योंकि वे पत्तियों के एपिडर्मिस पर पाए जाने वाले रंध्रों द्वारा अवशोषित होते हैं।
आयातित यूरिया तथा स्वदेशी तरल नैनो यूरिया में तुलना
- इफको द्वारा उत्पादित तरल नैनो यूरिया का मूल्य बिना सब्सिडी के प्रति लीटर 480 रूपए है। जबकि भारी सब्सिडी के पश्चात् 50 किलोग्राम यूरिया की कीमत लगभग 300 रुपये होती है।
- इफको के अनुसार यूरिया के एक बैग का अंतर्राष्ट्रीय बाजार मूल्य 3,500- 4,000 रुपये के मध्य है, जिसका व्यापक मात्रा का आयात किया जाता है। गौरतलब है कि नैनो यूरिया की एक बोतल यूरिया के कम से कम एक बैग को प्रभावी ढंग से बदलने में सक्षम है।
- विदित है कि इस वित्तीय वर्ष में सरकार द्वारा उर्वरक सब्सिडी का भुगतान 2 लाख करोड़ रुपये का किया गया, जो पिछले वित्तीय वर्ष में भुगतान किये गए 1.6 लाख करोड़ रुपये से 25 % अधिक है।
गुजरात में रासायनिक उर्वरकों का उपयोग
- गुजरात में प्राकृतिक खेती अभी भी प्रारंभिक अवस्था में है। हालाँकि, सरकार ने रासायनिक उर्वरकों में कटौती करना शुरू कर दिया है।
- गुजरात सरकार ने कृषि विविधीकरण परियोजना के तहत रासायनिक उर्वरकों को जैविक उर्वरकों की किट के साथ बदलना शुरू कर दिया है। इस योजना को 14 ज़िलों में आदिवासी किसानों के लिये लागू किया जा रहा है।
- वर्तमान में गुजरात के डांग ज़िला को शत-प्रतिशत प्राकृतिक कृषि वाला जिला घोषित किया गया है, जहाँ रासायनिक खाद का प्रयोग नहीं किया जाता है।