(प्रारंभिक परीक्षा : योजनाएं एवं कार्यक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3 : प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कृषि सहायता, पशु पालन संबंधी अर्थशास्त्र) |
संदर्भ
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पशुधन स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण कार्यक्रम (Livestock Health and Disease Control Programme : LHDCP) में संशोधन को मंजूरी दी है।
पशुधन स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण कार्यक्रम के बारे में
- परिचय : यह एक केंद्र प्रायोजित योजना है जिसका क्रियान्वयन कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के पशुपालन एवं डेयरी विभाग (DAHD) द्वारा किया जाता है।
- योजना का आरंभ : वर्ष 2019
- शामिल घटक : इस योजना में दो घटक पहले से शामिल हैं : राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम (NADCP) और पशुधन स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण (LH&DC)
- संशोधन के बाद LHDCP में ‘पशु औषधि’ नामक एक नया घटक शामिल किया गया है।
- दो वर्षों अर्थात वर्ष 2024-25 एवं 2025-26 के लिए योजना का कुल परिव्यय 3880 करोड़ रुपए है जिसमें पशु औषधि घटक के तहत अच्छी गुणवत्ता वाली व सस्ती जेनेरिक पशु चिकित्सा दवा तथा दवाओं की बिक्री के लिए प्रोत्साहन प्रदान करने के उद्देश्य से 75 करोड़ रुपए का प्रावधान शामिल है।
पशुधन स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण (LH&DC) के तीन उपघटक
- गंभीर पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम (CADCP)
- पशु चिकित्सा अस्पतालों एवं औषधालयों की स्थापना व सुदृढ़ीकरण- मोबाइल पशु चिकित्सा इकाई (ESVHD-MVU)
- पशु रोगों के नियंत्रण के लिए राज्यों को सहायता (ASCAD)
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योजना का उद्देश्य
- इस योजना का समग्र उद्देश्य पशुधन एवं मुर्गी पालन के विभिन्न रोगों के खिलाफ रोगनिरोधी टीकाकरण कार्यक्रमों के कार्यान्वयन, क्षमता निर्माण, रोग निगरानी और पशु चिकित्सा बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के माध्यम से पशु स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार करना है।
- LHDCP के कार्यान्वयन से टीकाकरण के माध्यम से बीमारियों की रोकथाम करके इन नुकसानों में कमी आएगी। इस योजना से उत्पादकता में सुधार होगा, रोजगार सृजन होगा, ग्रामीण क्षेत्र में उद्यमिता को बढ़ावा मिलेगा और बीमारी के बोझ के कारण किसानों को होने वाले आर्थिक नुकसान को रोका जा सकेगा।
- पशुओं की उत्पादकता खुरपका एवं मुंहपका रोग (FMD), ब्रुसेलोसिस, पेस्ट डेस पेटिट्स रूमिनेंट्स (PPR), क्लासिकल स्वाइन फीवर (CSF), लम्पी स्किन डिजीज आदि बीमारियों के कारण प्रतिकूल रूप से प्रभावित होती है।
योजना का लक्ष्य
- गाय, भैंस, भेड़, बकरी व सुअर सहित 53.5 करोड़ पशुधन को खुरपका एवं मुँहपका रोग (FMD) के खिलाफ साल में दो बार टीकाकरण करना
- ब्रुसेलोसिस के खिलाफ सालाना 3.9 करोड़ मादा गोजातीय बछड़ों का टीकाकरण करना
- सभी भेड़ों व बकरियों का टीकाकरण करके वर्ष 2030 तक संपूर्ण सुअर आबादी का टीकाकरण करके क्लासिकल स्वाइन फीवर (CSF) को नियंत्रित करना।
- मोबाइल पशु चिकित्सा इकाइयों (MVU) के माध्यम से किसानों के दरवाजे पर पशु चिकित्सा सेवाएँ प्रदान करना
- विभिन्न राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में प्रचलित महत्वपूर्ण पशुधन एवं कुक्कुट रोगों की रोकथाम व नियंत्रण के लिए राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को उनकी प्राथमिकताओं के अनुसार पशु रोग नियंत्रण के लिए सहायता प्रदान करना।