
- भारत का पशुपालन क्षेत्र केवल कृषि का सहायक (subsidiary) नहीं है, बल्कि यह ग्रामीण जीवनयापन (rural livelihood), पोषण सुरक्षा (nutritional security) और महिला सशक्तिकरण (women empowerment) का एक महत्वपूर्ण आधार है।
- यह क्षेत्र सामाजिक-आर्थिक विकास (socio-economic development) के साथ-साथ सांस्कृतिक (cultural), रणनीतिक (strategic) और जलवायु लचीलेपन (climate-resilience) में भी अहम भूमिका निभाता है।
- कोविड-19 महामारी के दौरान जब अन्य क्षेत्र संघर्ष कर रहे थे, तब पशुपालन क्षेत्र ने गंभीर लचीलापन (remarkable resilience) दिखाया और ग्रामीण आय (rural income) को बनाए रखा।
भारत में पशुपालन क्षेत्र की वर्तमान स्थिति (Current Scenario of Livestock in India)
- भारत विश्व का सबसे बड़ा पशुधन जनसंख्या (largest livestock population) वाला देश है।
- दुग्ध उत्पादन (milk production) में विश्व में प्रथम स्थान – विश्व के कुल उत्पादन का लगभग 25% योगदान।
- भैंस के मांस (buffalo meat) में पहला, और बकरी के मांस (goat meat) में दूसरा स्थान।
- अंतर्देशीय मत्स्य उत्पादन (inland fisheries production) में विश्व में शीर्ष स्थान।
- कृषि सकल मूल्य वर्धन (Agriculture GVA) में योगदान (2021): 30.19%
- राष्ट्रीय सकल मूल्य वर्धन (National GVA) में हिस्सा: 5.73%
- ग्रामीण भारत के 70% से अधिक परिवार किसी न किसी रूप में पशुपालन पर निर्भर हैं।
पशुपालन का सामाजिक-आर्थिक महत्व (Socio-Economic Significance)
- जीविका सुरक्षा (Livelihood security): विशेषकर छोटे और सीमांत किसानों (marginal & small farmers) के लिए।
- महिला सशक्तिकरण (Women Empowerment): पशुपालन और दुग्ध उत्पादन (dairy) में महिलाओं की महत्वपूर्ण भागीदारी।
- पोषण सहायता (Nutritional Support): दूध, मांस और अंडे जैसे प्रोटीन-समृद्ध आहार (protein-rich diet) का स्रोत।
- निर्यात क्षमता (Export Potential): डेयरी, मांस, चमड़ा (leather) और मत्स्य उत्पाद (fishery products)।
- जलवायु अनुकूलता (Climate Resilience): सूखे और फसल विफलता (crop failures) के दौरान आय का स्रोत।
प्रमुख चुनौतियाँ (Key Challenges in the Livestock Sector)
- पशु रोग और आर्थिक क्षति (Animal Diseases and Economic Losses)
- जैसे FMD (Foot-and-Mouth Disease) और ब्रुसेलोसिस (Brucellosis) हर वर्ष हजारों करोड़ की हानि करते हैं।
- एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (Antimicrobial Resistance - AMR)
- भारत पशुओं में एंटीबायोटिक उपयोग (antibiotics use) में चौथे स्थान पर है।
- यह स्थिति मानव स्वास्थ्य (human health) और निर्यात (exports) के लिए खतरा बनती जा रही है।
- उत्पादकता में कमी (Low Productivity)
- भारत में प्रति पशु औसत दूध उत्पादन: 1777 किलोग्राम/वर्ष
- वैश्विक औसत (global average): 2699 किलोग्राम/वर्ष (2019–20)
- अवसंरचनात्मक कमी (Infrastructure Deficiencies)
- चारे की कमी (lack of fodder), पर्याप्त पशु चिकित्सा सेवाएं (veterinary services), भंडारण (storage) और प्रसंस्करण इकाइयों (processing units) की अनुपलब्धता।
- बाजार और मूल्य श्रृंखला में अक्षमता (Market and Value Chain Inefficiencies)
- असंगठित बाजार (unorganised markets), उचित मूल्य (fair prices) की अनुपलब्धता, और कृषक शोषण (exploitation of farmers) एक बड़ी चुनौती।
सरकारी पहल और नवाचार (Government Initiatives & Innovations)
एकीकृत जीनोमिक चिप्स – गौ चिप और महिष चिप(Integrated Genomic Chips – Gau Chip & Mahish Chip)
- गाय और भैंसों की नस्ल सुधार (breed improvement), पहचान (identification) और निगरानी (tracking) के लिए विकसित जैव-प्रौद्योगिकीय उपकरण।
- इससे उत्पादकता बढ़ाने (enhancing productivity) और बीमारियों पर निगरानी (disease tracking) में सहायता मिलती है।
देशी सेक्स-सॉर्टेड सीमेन तकनीक(Indigenous Sex-Sorted Semen Technology)
- यह तकनीक केवल मादा बछियों (female calves) के जन्म को बढ़ावा देती है।
- इससे दुग्ध उत्पादन (milk production) में वृद्धि होती है और आवारा पशु समस्या (stray cattle issue) को नियंत्रित किया जा सकता है।
राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम (NADCP)(National Animal Disease Control Programme)
- यह शत-प्रतिशत केंद्र प्रायोजित योजना (100% Centrally Sponsored Scheme) है।
- FMD (Foot-and-Mouth Disease) और ब्रुसेलोसिस (Brucellosis) जैसे रोगों के समूल उन्मूलन (complete eradication) के लिए जन टीकाकरण (mass vaccination) अभियान चलाया जाता है।
राष्ट्रीय गोकुल मिशन (National Gokul Mission)
- देशी नस्लों (indigenous breeds) के संरक्षण (conservation) और विकास (development) पर केंद्रित मिशन।
- इसके अंतर्गत गोकुल ग्राम (Gokul Grams) की स्थापना की जाती है जहाँ उन्नत नस्ल सुधार एवं पशुपालन सुविधाएं उपलब्ध होती हैं।
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY)(Pradhan Mantri Matsya Sampada Yojana)
- यह योजना नीली अर्थव्यवस्था (Blue Economy) को बढ़ावा देती है।
- मत्स्य उत्पादन (fisheries production), प्रसंस्करण (processing) और निर्यात (exports) को सुदृढ़ करती है।
भारत की वैश्विक भूमिका और योगदान (India's Global Role and Contribution)
- वैश्विक दक्षिण में नेतृत्व (Leadership in Global South) भारत ने सस्ते (affordable) और मापक योग्य (scalable) पशु स्वास्थ्य तकनीकों का विकास किया है जो अफ्रीका, एशिया जैसे विकासशील देशों में अपनाई जा रही हैं।
- बढ़ती निर्यात मांग (Rising Export Demand):-खासकर गल्फ देशों, आसियान (ASEAN) और अफ्रीकी देशों (African nations) में दूध, मांस, मछली और पशु उत्पादों (livestock products) की मांग तेजी से बढ़ रही है।
- सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) में योगदान:- भारत का पशुपालन क्षेत्र निम्नलिखित संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों (UN Sustainable Development Goals) में योगदान करता है:
- SDG 1: कोई गरीबी नहीं (No Poverty) – ग्रामीण आय में सुधार करके।
- SDG 2: भूखमुक्ति (Zero Hunger) – पोषण और खाद्य आपूर्ति सुनिश्चित करके।
- SDG 5: लैंगिक समानता (Gender Equality) – पशुपालन में महिलाओं की भागीदारी और सशक्तिकरण के माध्यम से।
भविष्य की राह (Way Forward)
- जलवायु-स्मार्ट पशुपालन पद्धतियाँ (Climate-Smart Livestock Practices)
- निम्न उत्सर्जन वाली (low-emission) और जलवायु-लचीली (climate-resilient) पशुपालन तकनीकों को बढ़ावा देना।
- पोषक और टिकाऊ चारा प्रणाली (fodder systems) विकसित करना जो सूखे और मौसम बदलावों के प्रति सहनशील हो।
उदाहरण: उन्नत चारा बीज, सौर ऊर्जा आधारित दूध शीतलन इकाइयाँ।
- डिजिटल पशुपालन प्रबंधन(Digital Livestock Management)
कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence - AI), इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) और ब्लॉकचेन (Blockchain) तकनीक का उपयोग करके:
- पशुओं की स्वास्थ्य निगरानी (health monitoring)
- उत्पाद ट्रैकिंग (traceability)
- उत्पादकता में वृद्धि (productivity enhancement) सुनिश्चित करना।
उदाहरण: RFID टैगिंग, मोबाइल ऐप्स के माध्यम से पशु बीमा व ट्रैकिंग।
- सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP Model-Public-Private Partnerships)
निजी निवेश (private investment) को प्रोत्साहित करके:
- टीकाकरण वितरण (vaccination delivery)
- चारा उद्योग (fodder industry)
- मूल्य शृंखला एकीकरण (value chain integration) को सुदृढ़ करना।
लाभ: तकनीकी नवाचार, लागत प्रभावशीलता और ग्रामीण रोजगार।
- प्रसंस्करण अवसंरचना का विकास (Enhanced Processing Infrastructure)
- दूध, मांस और मछली जैसे पशु उत्पादों की प्रसंस्करण (processing) और विपणन क्षमता (marketing capacity) को बढ़ाना।
- कोल्ड चेन (cold chain) और उन्नत पैकेजिंग तकनीकें (advanced packaging technologies) अपनाना।
उदाहरण: डेयरी प्लांटों का आधुनिकीकरण, मछली भंडारण इकाइयाँ।
- सहकारी मॉडल का विस्तार(Expansion of Cooperative Models)
- अमूल जैसे सफल सहकारी मॉडलों (successful cooperative models like Amul) को अन्य पशुपालन और मत्स्य क्षेत्रों में दोहराना।
- सामूहिक विपणन (collective marketing) और सीधे उपभोक्ता से जुड़ाव (direct consumer linkage) को बढ़ावा देना।
लाभ: किसानों की आय में वृद्धि, बाजार स्थिरता और सामाजिक भागीदारी।