(मुख्य परीक्षा: सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 3 : आर्थिक विकास : भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय, बुनियादी ढाँचाः ऊर्जा, बंदरगाह, सड़क, विमानपत्तन, रेलवे आदि)
संदर्भ
कोरोना के नए वेरिएंट ‘ओमीक्रोन’ के साथ ही देश कोविड-19 की तीसरी लहर का सामना कर रहा है। ऐसे में, अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्र गंभीर रूप से प्रभावित हो रहे हैं, अतः इन क्षेत्रों; विनिर्माण, फार्मास्यूटिकल्स, खाद्य एवं कृषि, एकीकृत आपूर्ति शृंखला, निर्यात और ई-कॉमर्स में तेज़ी से सुधार लाने के लिये लॉजिस्टिक्स तंत्र (Logistics System) का विकास एक प्रेरक तत्त्व की भूमिका निभा सकता है।
लॉजिस्टिक्स क्षेत्र के महत्त्व को दर्शाते आँकड़े
- विश्व बैंक द्वारा जारी लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन सूचकांक-2018 में भारत 160 देशों के बीच 44वें स्थान पर था। वस्तुतः लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन में सुधार ईज़ ऑफ़ डूइंग बिज़नेस सूचकांक में भी सुधार प्रदर्शित करता है। यह विदेशी निवेश को आकर्षित करने में अहम भूमिका निभा सकता है।
- आर्थिक सर्वेक्षण 2020-21 में लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में 10.5% की चक्रीय वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) अनुमानित थी और कुल मौद्रिक मूल्य के 215 बिलियन डॉलर तक होने का अनुमान था। सर्वेक्षण में लॉजिस्टिक्स क्षेत्र से 2.2 करोड़ रोज़गार सृजित होने का भी अनुमान व्यक्त किया गया था।
मंद अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करेगा लॉजिस्टिक्स क्षेत्र
- लॉकडाउन के कड़े प्रतिबंधों से परिवहन, मैटेरियल हैंडलिंग, वेयरहाउसिंग, पैकेजिंग, डिलीवरी तथा आपूर्ति शृंखला बाधित हुई, जिससे रोज़गार के अवसरों में कमी आई।
- उपरोक्त परिस्थितियों ने फार्मास्यूटिकल्स, रसद, दैनिक उपभोग की वस्तुओं, प्रशीतकों एवं द्रुत परिचालन जैसी महत्त्वपूर्ण वस्तुओं और सेवाओं के लिये उपलब्ध अवसंरचनाओं में सुधार लाने की ओर ध्यान आकर्षित किया है।
- लॉजिस्टिक्स उद्योग विनिर्माण एवं व्यापार की लागत व समय में कटौती करता है। यह उद्योग निर्यात में प्रतिस्पर्धा एवं विदेशी निवेश में तेज़ी लाने के साथ-साथ आर्थिक विकास को गति देने वाली मूल्य शृंखला (Value Chain) की दक्षता में सुधार लाता है।
परिवहन क्षेत्र के स्वास्थ्य का परीक्षण
- महामारी जनित प्रतिबंधों के परिणामस्वरूप ट्रक ड्राइवरों की संख्या में कमी तथा ईंधन की कीमतों में वृद्धि के कारण ट्रकों के माल भाड़े में वृद्धि हुई है। हालाँकि, सड़कों, राजमार्गों और एक्सप्रेसवे का बड़े पैमाने पर निर्माण हो रहा है, जिससे परिचालन लागत एवं समय को कम करने में मदद मिलेगी।
- महामारी के दौरान भी रेलवे देशभर में परिवहन का सबसे विश्वसनीय साधन बना हुआ है। इसमें स्टेनलेस स्टील के वैगनों में क्रमिक सुधार सहित कई नवाचार किये जा रहे हैं, जो उच्च भार वहन क्षमता में वृद्धि ला सकते हैं।
- डॉकयार्ड पर भीड़भाड़ एवं कार्गो निष्कासन में देरी जैसी समस्याएँ अभी भी बंदरगाहों पर जहाज़ों के तीव्र आवागमन को बाधित करती हैं। बंदरगाह सुविधाओं में कमी तथा इनकी अपर्याप्त गहराई तटीय नौवहन में बाधा उत्पन्न करती है।
- हवाई सेवाओं को कुछ आवश्यक वस्तुओं के परिवहन तक सीमित करने से वायु परिवहन को भी क्षति पहुँची है। हालाँकि, इससे निपटने के लिये सरकार ने कई पहलें और कार्यक्रम शुरू किये हैं।
अधोसंरचना का विकास
- परिवहन में कुशलता और तेज़ी लाने के लिये आर्थिक गलियारों पर मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क (MMLP) स्थापित करने की आवश्यकता है। इससे इंटर-कनेक्शन के लिये इंटरमॉडल स्टेशन, उच्च घनत्व के एकीकृत संपर्क जाल, रेल और तटीय जलमार्ग गलियारे, उत्पादन और उपभोग केंद्रों के बीच संपर्क माध्यम के विस्तारण में मदद मिलेगी
- वैक्सीन और फार्मास्यूटिकल उत्पादों के लिये ‘एकीकृत कोल्ड चेन लॉजिस्टिक्स’ में उच्च प्रौद्योगिकी, विशेषीकृत वेयरहाउसिंग और स्टोरेज हब के प्रयोग से दक्षता में सुधार किया जा सकता है।
- किसान रेल सेवाओं, अंतर्देशीय जलमार्ग और कृषि उड़ान योजना जैसी पहलों से दूरदराज के क्षेत्र लाभान्वित होंगे तथा मछली व अन्य शीघ्र खराब होने वाली वस्तुओं की परिवहन सुविधाएँ विकसित होंगी।
नवाचार से समृद्ध होगा लॉजिस्टिक्स क्षेत्र
- लॉजिस्टिक्स क्षेत्र को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, ब्लॉकचेन, क्लाउड कंप्यूटिंग, उन्नत और बिग डाटा विश्लेषण, रोबोटिक्स तथा अन्य तकनीकों के प्रयोग के बढ़ावा देना चाहिये।
- साथ ही, चालक रहित वाहनों, शरीर में पहनने योग्य उपकरणों, वेयरहाउस स्टैम्पिंग, डिजिटलीकरण, ऑटोमेशन एवं ड्रोन जैसे न्यूनतम मानवीय हस्तक्षेप तथा अन्य एंड-टू-एंड स्मार्ट लॉजिस्टिक्स समाधानों का लाभ उठाया जा सकता है।
- भारत सरकार ने निर्दिष्ट क्षेत्रों में बियॉन्ड विजुअल-लाइन-ऑफ-साइट (BVLOS) ड्रोन की अनुमति दी है।
लॉजिस्टिक्स क्षेत्र को मज़बूत करेंगे नवीन उपाय
- पैकेजिंग उद्योग को गोदामों में अधिक कुशल भंडारण, पुनर्प्राप्ति, परिवहन और त्वरित बदलाव के लिये आकारों व डिज़ाइनों के मानकीकरण के साथ-साथ आधुनिकीकरण की आवश्यकता है।
- राज्यों और केंद्रीय कर व्यवस्था से जुड़े कई जटिल खंडों को सरल बनाने के लिये नए सिरे से विचार करने की आवश्यकता है, जिनके कारण अतिरिक्त लागत और समय की हानि होती है।
- समय बचाने और अनुपालन लागत को कम करने के लिये जी.एस.टी. जैसे कई क्षेत्रों को युक्तिसंगत बनाया जा सकता है।
निष्कर्ष
लॉजिस्टिक्स क्षेत्र का विकसित होना किसी देश की प्रगति के लिये आवश्यक है। सरकार द्वारा इस दिशा में अनेक प्रयास किये गए हैं। इस संदर्भ में एक राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति भी तैयार की जा रही है। एक बेहतर नीति इस क्षेत्र के लिये निर्णायक हो सकती है। साथ ही, यह नीति केंद्र सरकार, राज्य सरकारों और प्रमुख नियामकों की भूमिका भी तय करेगी।