प्रारंभिक परीक्षा – लोक सभा उपाध्यक्ष मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 2 - संसद और राज्य विधायिका की संरचना, कार्य, कार्य-संचालन एवं विभिन्न संवैधानिक पदों पर नियुक्तियाँ और शक्तियों से संबंधित प्रश्न |
सन्दर्भ
- हाल ही में सुप्रीम कोर्ट द्वारा लोकसभा उपाध्यक्ष का चुनाव ना करने पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया गया।
लोक सभा उपाध्यक्ष
- अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद का उद्भव भारत में 1919 के भारत सरकार अधिनियम ( मोंटेग-चेम्सफोर्ड सुधार ) के प्रावधानों के तहत 1921 में हुआ।
- संविधान के अनुच्छेद 93 के अनुसार, लोकसभा अपने दो सदस्यों को क्रमशः अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के रूप में चुनेगी।
- 11 वीं लोकसभा से उपाध्यक्ष को विपक्षी दलों के सदस्यों में से ही चुने जाने की परंपरा है।
लोक सभा उपाध्यक्ष का चुनाव
- लोक सभा अध्यक्ष का चुनाव होने के बाद उपाध्यक्ष का चुनाव किया जाता है।
- उपाध्यक्ष के चुनाव की तिथि अध्यक्ष द्वारा निर्धारित की जाती है।
- अध्यक्ष की तरह, उपाध्यक्ष आमतौर पर लोकसभा के कार्यकाल तक ही पद धारण करता है।
- उपाध्यक्ष निम्नलिखित तीन स्थितियों में अपना पद छोड़ सकता है -
- यदि वह लोकसभा का सदस्य नहीं रहता है
- यदि वह अध्यक्ष को लिखित रूप से त्यागपत्र देता है
- यदि उसे लोकसभा के तत्कालीन सभी सदस्यों के बहुमत से पारित प्रस्ताव द्वारा हटाया जाता है, ऐसा संकल्प 14 दिन की अग्रिम सूचना देने के बाद ही पेश किया जा सकता है।
लोकसभा उपाध्यक्ष की भूमिका/शक्तियां
- अध्यक्ष का पद रिक्त होने पर उपाध्यक्ष उसके कर्तव्यों का पालन करता है।
- जब अध्यक्ष सदन की बैठक से अनुपस्थित रहता है तब उपाध्यक्ष, अध्यक्ष के रूप में कार्य करता है।
- जब वह अध्यक्ष के रूप में कार्य करता है, तब पहली बार में अपना मत नहीं देता है, सिर्फ मत बराबर होने की दशा में ही वह मतदान कर सकता है।
- उपाध्यक्ष, अध्यक्ष के अधीन पद नहीं है, वह सीधे सदन के प्रति उत्तरदायी होता है।
- यदि संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक से अध्यक्ष अनुपस्थित रहता है तो संयुक्त बैठक की अध्यक्षता, उपाध्यक्ष द्वारा की जाती है।
- लोकसभा उपाध्यक्ष के पास एक विशेष विशेषाधिकार होता है, जब भी उसे किसी संसदीय समिति के सदस्य के रूप में नियुक्त किया जाता है, तो वह स्वत: ही इसका अध्यक्ष बन जाता है।
- जब अध्यक्ष सदन की अध्यक्षता करता है, तो उपाध्यक्ष सदन के किसी अन्य सामान्य सदस्य की तरह ही होता है।
- वह सदन में बोल सकता है, उसकी कार्यवाही में भाग ले सकता है और सदन के समक्ष किसी भी प्रश्न पर मतदान कर सकता है।
- अध्यक्ष या उपाध्यक्ष पद धारण करते समय अलग से कोई शपथ नहीं लेते हैं।