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लुप्त केंद्रीय संरक्षित स्मारक  

(प्रारंभिक परीक्षा: राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-1: भारतीय संस्कृति में प्राचीन काल से आधुनिक काल तक के कला के रूप, साहित्य और वास्तुकला के मुख्य पहलू)

चर्चा में क्यों 

हाल ही में, भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (ASI) ने संसद की स्थायी समिति को 'भारत में अप्राप्य स्मारकों एवं स्मारकों के संरक्षण से संबंधित मुद्दे' नामक शीर्षक से एक रिपोर्ट प्रस्तुत की है। इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 3,693 केंद्रीय संरक्षित स्मारकों (Centrally Protected Monuments) में से 50 लुप्त हो चुके हैं। 

रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु 

  • वर्ष 2013 में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि देश भर में कम से कम 92 केंद्रीय संरक्षित स्मारक लुप्त हो गए हैं। ए.एस.आई. की हालिया रिपोर्ट में इन लुप्त हुए स्मारकों के बारे में बताया गया है। 
  • वर्तमान में ए.एस.आई. के प्रयासों से 92 लुप्त हुए स्थलों में से 42 को ढूंढ लिया गया है, शेष बचे 50 स्मारकों में से 14 शहरीकरण के कारण, 12 बांध और जलाशयों में जलमग्न होने के कारण लुप्त हुए हैं, जबकि 24 स्मारकों के लुप्त होने के कारणों के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली है।
  • ए.एस.आई. ने बताया कि इन स्मारकों की सुरक्षा के लिये 7,000 सुरक्षाकर्मियों की कुल आवश्यकता है जबकि बजट की कमी के कारण इस समय 3,693 संरक्षित स्थलों में से 248 स्थलों पर केवल 2578 सुरक्षाकर्मी तैनात हैं।    
  • इन लुप्त स्मारकों में उत्तर प्रदेश के 11 स्मारक शामिल है। इसके अतिरिक्त, दिल्ली, हरियाणा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, असम, पश्चिम बंगाल, अरुणाचल प्रदेश और उत्तराखंड से भी स्मारक लुप्त हुए हैं।  

राज्य

लुप्त हुए स्मारक/पुरातात्त्विक अवशेष

असम

शेरशाह सूरी की बंदूकें, तिनसुकिया 

अरुणाचल प्रदेश

तांबे के मंदिर के अवशेष, लोहित  

हरियाणा

कोस मीनार, फरीदाबाद और कुरुक्षेत्र 

उत्तराखंड

कुटुम्बरी मंदिर, अल्मोड़ा 

मध्य प्रदेश

रॉक शिलालेख, सतना 

महाराष्ट्र

प्राचीन यूरोपीय मकबरा, पुणे और वन बुर्ज, अगरकोट 

राजस्थान

12वीं सदी का मंदिर, बारां और नागर के किले में शिलालेख, टोंक

उत्तर प्रदेश

वाराणसी में तेलिया नाला बौद्ध खंडहर

पश्चिम बंगाल

बमनपुकुर किले के खंडहर, नदिया

दिल्ली

प्राचीन कब्रिस्तान, बाराखंभा और इंचला वाली गुमटी, मुबारकपुर कोटला

रिपोर्ट में प्रस्तुत सुझाव

  • ए.एस.आई. द्वारा अप्राप्य स्मारकों को संरक्षित सूची से नहीं हटाना चाहिये, क्योंकि एक बार ऐसा हो जाने के बाद, उन्हें खोजने की कोई अनिवार्यता नहीं होगी। 
  • अप्राप्य स्मारकों को संरक्षित सूची में बनाये रखने के लिये प्राचीन स्मारक और पुरातत्त्व स्थल एवं अवशेष अधिनियम की धारा 35 में संशोधन करने की आवश्यकता है।

प्राचीन स्मारक और पुरातत्त्व स्थल एवं अवशेष अधिनियम (AMASR Act)

  • प्राचीन स्मारक और पुरातत्त्व स्थल एवं अवशेष अधिनियम (AMASR Act) के तहत संस्कृति मंत्रालय के तत्वावधान में ए.एस.आई. राष्ट्रीय महत्त्व के स्मारकों और पुरातात्त्विक स्थलों के संरक्षण कार्य करता है।  
  • इस अधिनियम से 100 वर्ष से अधिक पुराने स्मारकों एवं स्थलों, जैसे- मंदिर, कब्रिस्तान, शिलालेख, मकबरे, किले, महल, सीढ़ीदार कुएँ, चट्टानों को काटकर बनाई गईं गुफाएँ आदि का संरक्षण किया जाता है। 
  • इस अधिनियम की धारा 35 में केवल ऐसे केंद्रीय संरक्षित स्मारकों के लिये अधिसूचना जारी करने का प्रावधान है, जो केंद्र सरकार के अनुसार राष्ट्रीय महत्त्व के नहीं रह गए हैं।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI)

  • इसकी स्थापना वर्ष 1861 में अलेक्जेंडर कनिंघम द्वारा पुरातात्त्विक खुदाई और स्मारकों के संरक्षण के लिये एक स्थायी निकाय के रूप में की गई थी। 
  • इस निकाय के गठन के बाद से अब तक बड़ी संख्या में स्मारकों को संरक्षित श्रेणी में रखा गया है। इसके द्वारा केंद्रीय संरक्षित स्मारकों की संख्या 3,693 हैं
  • ए.एम.ए.एस.आर. अधिनियम के अनुसार ए.एस.आई. के निम्नलिखित कार्य हैं-
    • स्मारकों की स्थिति का आकलन करने के लिये नियमित रूप से निरीक्षण करना, 
    • स्मारकों को नुकसान पहुँचाने की स्थिति में पुलिस शिकायत दर्ज करना,
    • अतिक्रमण हटाने के लिये कारण बताओ नोटिस जारी करना, 
    • स्थानीय प्रशासन को अतिक्रमण हटाने की आवश्यकता बताना। 
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