चर्चा में क्यों?
हाल ही में, सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जी.एस.टी.) अधिनियम के तहत लॉटरी, जुआ और सट्टेबाजी कर योग्य हैं।
न्यायालय का निर्णय
- न्यायालय ने कहा कि लॉटरी, सट्टेबाजी व जुआ ‘कार्रवाई योग्य दावे’ हैं अर्थात् इन पर कर लगाया जा सकता है और ये केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम, 2017 की धारा 2 (52) के तहत ‘वस्तु’ की परिभाषा में आते हैं।
- साथ ही, लॉटरी पर जी.एस.टी. लगाना द्वेषपूर्ण भेदभाव (Hostile Discrimination) के अंतर्गत नहीं आता है और यह संविधान के तहत समानता के अधिकार का उल्लंघन नहीं है।
सम्बंधित मामला
- न्यायालय ने यह निर्णय ‘स्किल लोट्टो सॉल्यूशंस और अन्य लॉटरी एजेंटों’ द्वारा लॉटरी को ‘वस्तु न मानने’ और ‘उस पर जी.एस.टी. को अवैध बताने’ के संदर्भ में दिया है।
- अदालत ने सरकार के इस रुख को स्वीकार किया कि संसद को संविधान के अनुच्छेद 246A के तहत लॉटरी पर जी.एस.टी. लगाने की सामर्थ्यता है। वस्तु और सेवा कर के सम्बंध में अनुच्छेद 246A एक विशेष प्रावधान है।
- हाल ही में, कर्नाटक उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को नोटिस जारी करने का आदेश देते हुए कहा है कि ऑनलाइन जुआ या ऑनलाइन सट्टेबाजी के सभी रूपों पर तब तक प्रतिबंध लगाया जाए जब तक कि राज्य इन ऑनलाइन गतिविधियों को विनियमित करने के लिये किसी तंत्र का निर्माण नहीं कर लेते हैं।