चर्चा में क्यों
मोहाली स्थित नैनो विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (INST) के शोधकर्ताओं ने हाल ही में 'लाइकोपीन' का पता लगाने के लिये एक नैनो-बायोसेंसर विकसित किया है।
प्रमुख बिंदु
- यह सेंसर एक पोर्टेबल स्मार्टफोन-आधारित अपकंवर्टिंग री-यूजेबल पुन: प्रयोज्य फ्लोरोसेंट पेपर स्ट्रिप का उपयोग करता है।
- इस पारदर्शी अपकंवर्शन नैनोकण स्ट्रिप (UCNP) को लाइकोपीन के प्रति संवेदनशील पाया गया है। इसका पता लगाने के लिये एक साधारण स्मार्टफोन कैमरे का प्रयोग किया जा सकता है।
अपकंवर्शन (Upconversion)
यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें प्रकाश, उत्सर्जक प्रकाश की तुलना में अधिक फोटॉन ऊर्जा के साथ उत्सर्जित किया जा सकता है।
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- शोधकर्ताओं के अनुसार, नई विकसित पारदर्शी स्ट्रिप पूर्व की पेपर स्ट्रिप्स की तुलना में किसी भी धातु शामक का उपयोग न करने के बावजूद अधिकतम संवेदनशीलता के साथ न्यूनतम प्रकीर्णन प्रदर्शित करता है।
- स्ट्रिप की हाइड्रोफोबिसिटी क्षमता लगभग 100% ल्यूमिनेसिसेंस रिकवरी के साथ स्ट्रिप को पुन: उपयोग करने की क्षमता प्रदान करती है। साथ ही, इससे लाइकोपीन का पता लगाने की प्रक्रिया आसान, सस्ती और कम समय लेने वाली बनाने में मदद कर सकती है।
लाइकोपीन (Lycopene)
- लाइकोपीन एक कैरोटीनॉयड (Carotenoid) है जो टमाटर, अंगूर, तरबूज और पपीते में पाया जाता है। यह एक उच्च व्यावसायिक मूल्य वाला फाइटोकेमिकल (Phytochemical) है।
- यह पौधों और सूक्ष्मजीवों द्वारा भी संश्लेषित होता है लेकिन मानव शरीर द्वारा इसका संश्लेषण नहीं किया जा सकता है।
- मानव द्वारा इसे केवल आहार के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है।
- यह एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है जो कैंसर और हृदय रोगों की रोकथाम में मदद करता है। हालाँकि, लाइकोपीन में शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव होते हैं अत: यह कीमोथेरेपी और विकिरण चिकित्सा में हस्तक्षेप कर सकता है।
- इसलिये कैंसर रोगियों को सावधानीपूर्वक लाइकोपीन पूरक का उपयोग करने का सुझाव दिया जाता है।
- विदित है कि उत्पाद की गुणवत्ता का मूल्यांकन उसमें मौजूद लाइकोपीन के आधार पर किया जाता है और उसी के अनुसार कीमत तय की जाती है।