हाल ही में, उत्तराखंड के चम्पावत ज़िले में बनबसा स्थित 94.2 मेगावाट क्षमता वाले टनकपुर पावर स्टेशन के बैराज पर ‘भारत-नेपाल सम्पर्क नहर’ के निर्माण कार्य की आधारशिला रखी गई है।
ध्यातव्य है कि 1.2 कि.मी. लम्बी भारत-नेपाल सम्पर्क नहर का निर्माण 'महाकाली संधि' के तहत किया जा रहा है।
महाकाली संधि
महाकाली संधि भारत और नेपाल के मध्य फरवरी, 1996 में हुई थी।
इस संधि में दोनों देशों के आपसी सहयोग से जल संसाधनों का प्रबंधन करके बैराज, बांधों और जल विद्युत के एकीकृत विकास से सम्बंधित प्रावधान हैं।
यह संधि महाकाली नदी को दोनों देशों के बीच एक सीमा के रूप में भी मान्यता प्रदान करती है।
इस संधि के तहत महाकाली अथवा शारदा नदी के जल उपयोग की सीमा निर्धारित की गई है। संधि के दायरे में शारदा बैराज, टनकपुरा बैराज एवं प्रस्तावित पंचेश्वर परियोजना भी शामिल हैं।
महाकाली नदी
महाकाली नदी को काली नदी, कालीगंगा या शारदा के नाम से भी जाना जाता है।
भारत के उत्तराखण्ड तथा उत्तर प्रदेश राज्यों में बहने वाली इस नदी का उद्गम वृहद् हिमालय में 3,600 मीटर की ऊँचाई पर कालापानी नामक स्थान से होता है, जो उत्तराखण्ड के पिथौरागढ़ ज़िले में स्थित है।
इस नदी का नाम काली माता के नाम पर पड़ा, जिनका मंदिर कालापानी में लिपु-लेख दर्रे के निकट भारत और तिब्बत की सीमा पर स्थित है। यह नदी नेपाल के साथ भारत की पूर्वी सीमा बनाती है, जहाँ इसे महाकाली कहा जाता है। उत्तराखण्ड तथा उत्तर प्रदेश के मैदानी क्षेत्रों में पहुँचने पर यह शारदा नदी के नाम से जानी जाती है।