New
GS Foundation (P+M) - Delhi: 26 Feb, 11:00 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 15 Feb, 10:30 AM Call Our Course Coordinator: 9555124124 GS Foundation (P+M) - Delhi: 26 Feb, 11:00 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 15 Feb, 10:30 AM Call Our Course Coordinator: 9555124124

मखानानॉमिक्स

(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3; मुख्य फसलें- देश के विभिन्न भागों में फसलों का पैटर्न- सिंचाई के विभिन्न प्रकार एवं सिंचाई प्रणाली- कृषि उत्पाद का भंडारण, परिवहन तथा विपणन, संबंधित विषय और बाधाएँ; किसानों की सहायता के लिये ई-प्रौद्योगिकी)

संदर्भ 

बजट 2025-26 में वित्त मंत्री सीतारमण ने बिहार में ‘मखाना बोर्ड’ बनाने की घोषणा की है। इस कारण मखानानॉमिक्स शब्द चर्चा में है। 

क्या है मखानानॉमिक्स

  • मखानानॉमिक्स से तात्पर्य मखाना से संबंधित अर्थव्यवस्था से है जिसके अंतर्गत मखाना उत्पादन, प्रसंस्करण, मूल्य संवर्धन एवं विपणन से जुड़ी आर्थिक गतिविधियां शामिल होती हैं।
  • एक शोध अनुमान के अनुसार, वर्तमान में भारत में मखाने का बाजार करीब 8 अरब रुपए का है। 
  • मार्केट रिसर्च कंपनी IMARC की एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2032 तक इसका बाजार करीब 19 अरब रुपए का हो जाएगा। 
  • भारत में मखान की कुल कृषि लगभग 35,000 हेक्टेयर क्षेत्रफल में होती है।
    • सर्वाधिक क्षेत्रफल बिहार में लगभग 15,000 हेक्टेयर है।
    • अन्य राज्य : पश्चिम बंगाल, मणिपुर, त्रिपुरा, असम, जम्मू एवं कश्मीर, ओडिशा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश।

बिहार में मखाना बोर्ड की स्थापना

  • वित्त मंत्री ने बजट 2025-26 में मखाना उत्पादन, प्रसंस्करण, मूल्य संवर्धन एवं विपणन में सुधार के लिए बिहार में एक मखाना बोर्ड की स्थापना की घोषणा की है।
    • भारत के मखाना उत्पादन में लगभग 90% हिस्सेदारी बिहार की है।
    • वर्ष 2022 में मिथिला मखाना को भौगोलिक संकेतक (GI Tag) का दर्जा प्रदान किया गया।
    • यहां से अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, जापान, इंग्लैंड आदि देशों में मखाना निर्यात होता है।

मखाना बोर्ड स्थापना की आवश्यकता

  • निम्न उत्पादकता
  • प्रसंस्करण अवसंरचना का अभाव
  • निर्यात संबंधी बाधाएँ
  • संगठित विपणन श्रृंखला की अनुपस्थिति
  • किसानों में जागरूकता की कमी
  • घरेलू व अंतरराष्ट्रीय बाजारों में बढ़ती मांग का लाभ उठाने में असमर्थता
  • अत्यंत कठिन एवं श्रम-गहन प्रक्रिया से समग्र इनपुट लागत में वृद्धि होना 

मखाना बोर्ड की स्थापना के लाभ

  • बिहार सहित पूरे देश में मखाना उद्योग के विकास में बढ़ोतरी
  • मखाना उत्पादन एवं विपणन में वृद्धि
  • मखाना उत्पादन एवं संवर्धन में योगदान के लिए मखाना कृषकों को प्रशिक्षण 
  • मखाना उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ावा मिलना
  • युवाओं को कौशल प्रशिक्षण एवं रोजगार के अवसर
  • मखाना से जुड़े उत्पादों की मांग में और जनता तक पहुँच में वृद्धि

बिहार में मखाना उद्योग

  • बिहार के विभिन्न जिलों, जैसे- मधुबनी, दरभंगा, पूर्णिया, कटिहार, सहरसा, मधेपुरा, सुपौल, अररिया, सीतामढ़ी एवं किशनगंज में मखाना की कृषि बड़े पैमाने पर की जाती है। 
  • राज्य में सर्वाधिक मखाना उत्पादन सहरसा जिले में होता है। 
  • प्रतिवर्ष बिहार में 50-60 हजार टन मखाना बीज की पैदावार होती है।
  • बिहार में मखाना उद्योग का कारोबार करीब 3000 करोड़ रुपए का है और वैश्विक स्तर पर इस उद्योग का कारोबार लगभग 5000 करोड़ रुपए तक पहुंच चुका है।
  • बिहार के 25000 किसान मखाना की खेती से जुड़े हैं।

मखाना उद्योग में सुधार के लिए सझाव 

  • वित्तीय एवं बुनियादी ढांचा योजनाओं का प्रभावी कार्यान्वयन
  • प्रसंस्करण एवं विपणन सहायता प्रणालियों की समय पर स्थापना
  • केंद्र व राज्य सरकारों के बीच समन्वय
  • निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहन 
  • प्रशिक्षण व जागरूकता अभियान

मखाना के बारे में 

  • मखाना (Fox Nut) कांटेदार वाटर लिली या गोरगन पौधे (यूरीले फेरॉक्स) का सूखा हुआ खाद्य बीज है जो दक्षिण एवं पूर्वी एशिया में मीठे पानी के तालाबों में उगने वाली एक प्रजाति है।
  • इस पौधे में बैंगनी व सफेद फूल और विशाल, गोल एवं कांटेदार पत्तियां होती हैं।
  • पौधों का आकार अक्सर एक मीटर से अधिक चौड़ा होता है।

मखाना का महत्त्व

  • त्योहारों पर देवताओं को अर्पित करने और उपवास के दिनों में सेवन 
  • एंटीऑक्सिडेंट्स और प्रोटीन से भरपूर
  • कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम एवं फॉस्फोरस का अच्छा स्रोत
    • 100 ग्राम मखाना में लगभग 347 कैलोरी होती हैं। इसमें 9.7 ग्राम प्रोटीन, 14.5 ग्राम फाइबर और 76.9 ग्राम कार्बोहाइड्रेट होता है।
  • मखाना ग्लूटेन मुक्त होता है।
  • मखाना का सेवन रक्त शर्करा (ब्लड शुगर) स्तर को नियंत्रित करने में भी मददगार है जिससे डायबिटीज के मरीजों के लिए यह एक आदर्श विकल्प है।

मखाना की कृषि

  • मखाना एक जलीय फसल है जो जल जमाव वाली भूमि में होती है। 
  • इसकी नर्सरी नवंबर महीने में डाली जाती है। 
  • फरवरी एवं मार्च में इसकी रोपाई होती है। 
  • अच्छी फसल के लिए खेत में हमेशा तीन से चार फीट पानी भरा रहना चाहिए।
  • रोपाई के पांच महीने बाद मखाना के पौधों में फूल आने लगते हैं। 
  • इसकी कटाई अक्तूबर-नवंबर में होती है।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR