सन्दर्भ
हाल ही में, असम के तिनसुकिया ज़िले में मगुरी-मोटापुंग बील (Maguri-Motapungbeel or wetland) में एक दुर्लभ मंदारिन बत्तख को देखा गया था।
मंदारिन बत्तख
- आई.यू.सी.एन. द्वारा प्रकाशित की जाने वाली रेड लिस्ट में इस बत्तख को ‘संकट मुक्त (Least Concernd) श्रेणी में रखा गया है।
- विश्व में सबसे सुंदर बत्तख माने जाने वाली मंदारिन बत्तख (ऐक्स गैलेरिकुलता) की पहचान सबसे पहले स्वीडिश वनस्पतिशास्त्री, चिकित्सक और प्राणी विज्ञानी कार्ल लिनिअस ने वर्ष 1758 में की थी। इसके विशेष रंगों की वजह से इसे दूर से भी देखा जा सकता है।
- सामान्यतौर पर रूस, कोरिया, जापान और चीन के उत्तरपूर्वी हिस्सों में ये प्रवासी बतखें प्रजनन करती हैं। अब पश्चिमी यूरोप और अमेरिका में भी ये बत्तखें देखी जा रही हैं।
- भारत में सर्वप्रथम इसे वर्ष 1902 में तिनसुकिया में रोंगगोरा क्षेत्र में डिब्रू नदी पर देखा गया था।
मगुरी बील
- मगुरी मोटापुंग आर्द्रभूमि बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी द्वारा घोषित एक महत्त्वपूर्ण पक्षी क्षेत्र है।
- यह ऊपरी असम में डिब्रू साइकोवा (DibruSaikhowa) नेशनल पार्क के करीब स्थित है।
- यहाँ का संपूर्ण पारिस्थितिक तंत्र जैवविविधता की दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह क्षेत्र लगभग 304 पक्षी प्रजातियों का घर है, जिसमें ‘काले-स्तन वाले पैरेटबिल’ (Black-breasted parrotbill) और मार्श बैबलर (Marsh babbler)जैसी कई स्थानिक प्रजातियाँ शामिल हैं।
- ध्यातव्य है कि मई 2020 में, ऑयल इंडिया लिमिटेड के स्वामित्व वाले गैस कूएँ में हुए विस्फोट और आग के कारण बील पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा था।