संदर्भ
पहले से पैक किए गए खाद्य पदार्थों (Pre Packaged Food) में चीनी (Sugar) की अतिरिक्त मात्रा के संदर्भ में, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शीर्ष खाद्य नियामक, भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) को खाद्य पैकेजों पर चीनी के चेतावनी लेबल अनिवार्य करने वाले मानदंड लागू करने का निर्देश दिया है।
स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी दिशा-निर्देश
- स्वास्थ्य मंत्रालय ने, FSSAI को खाद्य सुरक्षा और मानक नियम, 2006 के तहत खाद्य सुरक्षा और मानक (लेबलिंग और प्रदर्शन) विनियम, 2020 में संशोधन करने के निर्देश जारी किए गए हैं।
- इसके तहत सभी कंपनियों को खाद्य पैकेटों पर एक पीले रंग की पट्टी अनिवार्य रूप से जारी करनी होगी।
- यह पीली पट्टी निर्दिष्ट आकार में चीनी सामग्री के प्रतिशत को स्पष्ट रूप से दर्शाती हो।
- निर्देशों के अनुसार, पीली पट्टी की चौड़ाई उत्पाद में चीनी सामग्री के प्रतिशत के अनुपात में होनी चाहिए।
- उदाहरण के लिए, यदि किसी उत्पाद में 10 प्रतिशत चीनी है, तो सामने वाले पैकेज का दसवां हिस्सा पीले रंग का होगा और उस पर मोटे अक्षरों में "10% चीनी" लिखा होगा।
- यह चेतावनी सिगरेट के पैकेट पर लिखी चेतावनी के सामान प्रदर्शित होगी।
- इसका उद्देश्य “उपभोक्ताओं को उस उत्पाद की गुणवत्ता के बारे में स्पष्ट रूप से चेतावनी देना है”, जिसे वे खरीदने जा रहे हैं।
यह भी जानें
- चीनी एक कार्बोहाइड्रेट होता है, जिसमें मुख्य तौर पर सुक्रोज, लैक्टोज एवं फ्रक्टोज होते हैं।
- चीनी का एक अणु कार्बन के 12 परमाणुओं, हाइड्रोजन के 22 परमाणुओं और ऑक्सीजन के 11 परमाणुओं (C12 H22 O11) से बना होता है।
- चीनी को शर्करा भी बोला जाता है, और यह मुख्य तौर पर गन्ने और चुकन्दर से तैयार की जाती है।
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चीनी से स्वास्थ्य के लिए खतरें
- राष्ट्रीय पोषण संस्थान के अनुसार, भारत में बीमारी का 56 प्रतिशत बोझ आहार से संबंधित होता है, जिसमें चीनी का बढ़ता उपभोग एक बड़ा कारण है।
- चीनी में कैलोरी के अलावा कोई पोषक तत्व नहीं होता है और कैलोरी तभी स्वस्थ होती है जब विटामिन, खनिज और फाइबर के साथ उपभोग की जाती है।
- चीनी का अधिक सेवन वयस्कों में सीधे तौर पर मोटापे, टाइप-2 मधुमेह और हृदय रोगों सहित विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं से जुड़ा हुआ है।
- विशेष रूप से बच्चों में अधिक मात्रा में चीनी का सेवन मोटापे का कारण बन सकती है, जिससे बच्चे में उच्च रक्तचाप, उच्च कोलेस्ट्रॉल स्तर और टाइप-2 मधुमेह बचपन से ही विकसित होने का खतरा होता है।
वर्तमान चीनी मात्रा निर्धारण के नियम क्या है?
- वर्तमान में FSSAI के खाद्य सुरक्षा एवं मानक नियमों के तहत शिशु पोषण के लिए खाद्य पदार्थ में सुक्रोज और फ्रुक्टोज को तब तक नहीं जोड़ा जाना चाहिए जब तक कि कार्बोहाइड्रेट स्रोत के रूप में यह अति आवश्यक न हो।
- शिशु पोषण के लिए खाद्य पदार्थ में इनका योग कुल कार्बोहाइड्रेट के 20 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए।
- हालाँकि, उच्च आयु वर्ग के लिए बने खाद्य उत्पादों के लिए ऐसी कोई सीमा नहीं है।
- WHO के अनुसार, प्रतिदिन कुल ऊर्जा सेवन में 5 प्रतिशत से अधिक मात्रा में चीनी की खपत, या प्रति दिन 25 ग्राम/प्रति दिन 2,000 किलो कैलोरी के औसत सेवन उपभोग को "उच्च चीनी पोषण” (High Sugar Diet) के रूप में परिभाषित किया गया है।
चीनी की सीमा क्या होनी चाहिए?
- भारत के शीर्ष पोषण अनुसंधान संस्थान, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद-राष्ट्रीय पोषण संस्थान (ICMR-NIN) ने भारतीयों के लिए 13 साल के अंतराल के बाद मई 2024 में विश्व स्वास्थ्य संगठन की सिफारिशों के अनुरूप अपने आहार संबंधी संशोधित दिशानिर्देश जारी किए हैं।
- संशोधित आहार दिशानिर्देश कहते हैं कि तरल खाद्य पदार्थों या पेय पदार्थों के मामले में; पदार्थ में मिलने वाली कलोरी के अतिरिक्त चीनी की मात्रा से 5 प्रतिशत या पदार्थ की कुल कैलोरी का 10 प्रतिशत ही चीनी से मिलना चाहिए।
- फलों के रस या दूध में; प्राकृतिक रूप से मौजूद चीनी सहित कुल चीनी से 30 प्रतिशत ऊर्जा से अधिक नहीं होनी चाहिए।
- इन दिशानिर्देशों में यह भी सिफारिश की गई है कि 2 साल तक के शिशुओं को कोई चीनी नहीं दी जानी चाहिए।
- जबकि दो साल से अधिक उम्र के व्यक्तियों को अपने दैनिक कैलोरी सेवन के केवल 5 प्रतिशत तक चीनी का सेवन सीमित करना चाहिए।
आगे की राह
- खाद्य पदार्थों में चीनी स्तर को अनिवार्य करने वाली नीतियों के सख्ती से पालन एवं प्रचार की आवश्यकता है, जिससे उपभोक्ता अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हो सकें।
- चीनी को किसी भी आहार से पूरी तरह से समाप्त किया जाना चाहिए, क्योंकि इसमें कैलोरी के अतिरिक्त कोई अन्य पोषण तत्व नहीं होता है।
- पैकेज्ड खाद्य पदार्थों में चीनी की मात्रा कम करके, देश स्वास्थ्य संबंधित स्थितियों की व्यापकता को काफी हद तक कम कर सकता है और समग्र सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार कर सकता है।
- सभी लोगों को अपने आहार में प्रसंस्कृत और अति प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के स्थान पर स्वस्थ आहार विकल्पों को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
- चीनी पेय पदार्थों और उच्च चीनी सामग्री वाले खाद्य निर्माताओं को मुख्य मीडिया में अपने उत्पाद को प्रायोजित करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।