(प्रारंभिक परीक्षा- राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ, पर्यावरणीय पारिस्थितिकी, जैव-विविधता और जलवायु परिवर्तन संबंधी सामान्य मुद्दे)
(मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र-3 : संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।)
संदर्भ
विश्व के सबसे अधिक उत्पादक पारिस्थितिक तंत्र के रूप में मैंग्रोव वनों की महत्ता को समझते हुए हाल ही में भारत ‘मैंग्रोव एलायंस फॉर क्लाइमेट’ (MAC) में शामिल हो गया है।
क्या है मैंग्रोव एलायंस फॉर क्लाइमेट (MAC)
- इस गठबंधन को मिस्र के शर्म अल-शेख में कॉप-27 (COP-27) शिखर सम्मेलन के दौरान इंडोनेशिया एवं संयुक्त अरब अमीरात के नेतृत्व में लॉन्च किया गया है।
- इस गठबंधन में भारत के अतिरिक्त ऑस्ट्रेलिया, जापान, स्पेन और श्रीलंका शामिल हैं।
गठबंधन के उद्देश्य
- यह गठबंधन वैश्विक स्तर पर मैंग्रोव वनों के संरक्षण और बहाली को बढ़ाने तथा जलवायु परिवर्तन शमन और अनुकूलन के लिये इन पारिस्थितिकी तंत्रों के महत्त्व को रेखांकित करता है।
- यह गठबंधन जलवायु परिवर्तन के लिये प्रकृति आधारित समाधान के रूप में मैंग्रोव की भूमिका के बारे में जागरूकता बढ़ाएगा।
मैंग्रोव वन
- मैंग्रोव एक झाड़ी या छोटा वृक्ष है जो समुद्र तट के किनारे उगता है और इसकी जड़ें प्रायः पानी के नीचे लवणीय तलछट में होती हैं। ये वन दलदली क्षेत्र में भी पनपते हैं।
- मैंग्रोव वन चरम मौसमी परिस्थितियों में भी जीवित रह सकते हैं और इन्हें जीवित रहने के लिये निम्न ऑक्सीजन स्तर की आवश्यकता होती है।
- मैंग्रोव सामान्यतया उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय अक्षांशों में पाए जाते हैं। ये कम तापमान वाले उच्च अक्षांशों में जीवित नहीं रह सकते हैं।
- विदित है कि मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र के बारे में जागरूकता बढ़ाने और उनके संरक्षण के उद्देश्य से यूनेस्को द्वारा प्रत्येक वर्ष 26 जुलाई को मैंग्रोव अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है।
मैंग्रोव वनों की भूमिका
- मैंग्रोव वन स्थलीय वनों की तुलना में प्रति हेक्टेयर दस गुना अधिक कार्बन संचय कर सकते हैं। इसके अलावा, ये भूमि आधारित उष्णकटिबंधीय वर्षा वनों की तुलना में 400% तेजी से कार्बन को संग्रहीत करने के साथ ही नए कार्बन सिंक बनाने में मदद कर सकते हैं।
- जब मैंग्रोव पौधे मृत हो जाते हैं तब वे संग्रहीत कार्बन का मृदा में निपटान कर देते हैं जिसे ‘ब्लू कार्बन’ कहा जाता है।
- इसके अलावा, मैंग्रोव वन ज्वार और चक्रवात के विरुद्ध प्राकृतिक बाधाओं के रूप में कार्य करते हैं तथा ये प्रतिवर्ष 65 बिलियन डॉलर से अधिक की संपत्ति के नुकसान को रोकते हैं।
- विश्व स्तर पर मत्स्य आबादी का 80% स्वस्थ मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र पर निर्भर करता है। इस प्रकार, ये समुद्री जैवविविधता के लिये प्रजनन आधार भी प्रदान करते हैं।
भारत में मैंग्रोव वन
- दक्षिण एशिया के कुल मैंग्रोव क्षेत्र का लगभग आधा भारत में पाया जाता है।
- ‘वन स्थिति रिपोर्ट 2021’ के अनुसार, देश में कुल मैंग्रोव आच्छादन 4,992 वर्ग किमी. है जो देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 0.15% है।
- वर्ष 2019 के पिछले आकलन की तुलना में मैंग्रोव आच्छादन में 17 वर्ग किमी. की वृद्धि दर्ज की गई है।
- सर्वाधिक मैंग्रोव वन क्षेत्र वाला राज्य पश्चिम बंगाल (42.33%) है। इसके बाद सर्वाधिक मैंग्रोव वन क्षेत्र क्रमशः गुजरात (23.54%), अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह (12.34) तथा आंध्र प्रदेश (8.11%) में है। विदित है कि पश्चिम बंगाल का सुंदरबन विश्व का सबसे बड़ा मैंग्रोव वन है।
- मैंग्रोव आच्छादित अन्य राज्यों में महाराष्ट्र, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, गोवा और केरल हैं।