संदर्भ:
- भारत में कई प्रमुख चावल उगाने वाले राज्यों में किसान बारिश में देरी और श्रम की उपलब्धता में कमी एक चुनौती बन जाने के कारण सीधी बुवाई पद्धति की ओर अग्रसर हो रहे हैं।
क्या होती है धान की सीधी बिजाई?
- इस विधि में धान के बीजों को सीधे खेतों में डाला जाता है।
- इसे 'प्रसारण बीज तकनीक' भी कहा जाता है और यह धान की बुवाई की पानी बचाने वाली विधि है।
- यह किसानों को पारंपरिक विधि जिसमें धान की नर्सरी उगाने के बाद उन्हें रोपने की बजाय सीधे खेतों में बीज बो दिया जाता है।
जरुरत क्यों?
- पारंपरिक(नर्सरी) प्रक्रिया की अपेक्षा इस विधि में कम श्रम बल और पानी की जरुरत होती है।
- सीधी बुवाई विधि से किसानों का समय भी बचता है क्योंकि इस विधि में पारंपरिक बुवाई की जगह सीधे बीजों को खेतों में डाल दिया जाता है।
- इसे लागत प्रभावी भी माना जाता है क्योंकि यह पारंपरिक विधि की तुलना में कम श्रम-गहन है।
- इससे मिट्टी की संरचना में थोड़े बहुत बदलाव को नकारात्मक प्रभाव के रूप में देखा जा सकता है।
चुनौतियां:
- सीधी बुवाई पद्धति में सबसे बड़ी चुनौती धान के साथ-साथ खरपतवार उगने की समस्या है।
- इस पद्धति के लिए बीज की आवश्यकता भी पारंपरिक विधि से अधिक होती है।
पहल:
- पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) द्वारा एक 'लकी सीड ड्रिल' विकसित किया गया है जो खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए बीज बोने के साथ-साथ शाकनाशियों का छिड़काव भी कर सकती है।
- यह मशीन अधिक लोकप्रिय 'हैप्पी सीडर' से अलग है, जिसका उपयोग कंबाइन-कटाई वाले धान के खेतों में सीधे गेहूं की बुवाई के लिए किया जाता है, जिसमें बचे हुए ठूंठ और खुले पुआल होते हैं।
- कृषि विभाग ने किसानों को डीएसआर तकनीक के कई लाभों के बारे में शिक्षित करने के लिए एक जागरूकता अभियान शुरू किया है।
आगे की राह:
- लॉकडाउन के बाद धान की खेती की सीधी बुवाई पद्धति कई भारतीय राज्यों के पारंपरिक धान उगाने वाले क्षेत्रों में किसानों के बीच तेजी से बढ़ रही है।
- इस पद्धति को भविष्य में धान की फसल के लिए वरदान माना जा रहा है।
सीधी बुवाई पद्धति धान की पारंपरिक रोपाई से किस प्रकार भिन्न है?
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- पारंपरिक रोपाई में, किसान पहले नर्सरी तैयार करते हैं जहाँ धान के बीजों को पहले बोया जाता है और युवा पौधों में उगाया जाता है। इन पौधों को उखाड़कर 25-35 दिन बाद मुख्य खेत में लगा दिया जाता है। नर्सरी बीज क्यारी प्रतिरोपित किए जाने वाले क्षेत्र का 5-10% होता है।
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- सीधी बुवाई पद्धति में, नर्सरी की तैयारी या पुनः बुवाई नहीं होती है। इसके बजाय ट्रैक्टर से चलने वाली मशीन द्वारा बीजों को सीधे खेत में बो दिया जाता है।
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- पारंपरिक जल-गहन विधि के विपरीत, सीधी बुवाई पद्धति भूजल संरक्षण में मदद मिलती है।
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- सीधी बुवाई पद्धति में, पानी को वास्तविक रासायनिक शाकनाशियों द्वारा प्रतिस्थापित किया जाता है। किसानों को केवल अपनी भूमि को समतल करना है और बुवाई से पहले एक सिंचाई करनी होती है।
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स्रोत: IE