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भारत के समक्ष समुद्री सुरक्षा चुनौतियाँ

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 : सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा चुनौतियाँ एवं उनका प्रबंधन- संगठित अपराध और आतंकवाद के बीच संबंध)

संदर्भ 

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि आने वाले समय में अदन की खाड़ी, लाल सागर एवं पूर्वी अफ्रीकी देशों के संलग्न जलक्षेत्रों में समुद्री खतरे बढ़ सकते हैं। ऐसे में भारतीय नौसेना अपनी उपस्थिति बढ़ाने और समुद्री मार्गों को सुरक्षित रखने का प्रयास कर रही है।

अदन की खाड़ी एवं लाल सागर का महत्त्व 

  • सुदूर पूर्व के देशों को यूरोप से जोड़ने वाला हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) वैश्विक व्यापार एवं संपर्क के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है। 
    • यह क्षेत्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय गतिशीलता को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 
    • दुनिया के समुद्री तेल व्यापार का लगभग 80% IOR से होकर गुजरता है। 
  • मलक्का जलडमरूमध्य, होर्मुज जलडमरूमध्य एवं बाब अल-मंडेब IOR में स्थित रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण समुद्री चोकपॉइंट हैं।
  • आर्थिक समृद्धि, भू-राजनीतिक स्थिरता एवं महत्वपूर्ण हितों की सुरक्षा के लिए इस क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा आवश्यक है। 
    • यह क्षेत्र समुद्री डकैती, आतंकवाद एवं क्षेत्रीय भू-राजनीतिक विवादों जैसे सुरक्षा खतरों के प्रति संवेदनशील है। 

अदन की खाड़ी एवं लाल सागर में सुरक्षा चुनौतियाँ 

हौती (हूती) विद्रोहियों द्वारा हमले 

  • हमास-इज़राइल संघर्ष की शुरुआत के बाद से यमन में हौती विद्रोहियों ने इज़राइल से जुड़े सभी समुद्री वाणिज्यिक नौवहन पर हमले की घोषणा की थी। 
  • मैंगलोर बंदरगाह की ओर जा रहे लाइबेरियाई ध्वज वाहक वाणिज्यिक पोत केम प्लूटो पर गुजरात के पोरबंदर से लगभग 217 समुद्री मील दूरी पर हुए ड्रोन हमले ने भारत के लिए सुरक्षा चिंताएँ उत्पन्न कर दी हैं।
  • गैबॉन के ध्वज वाले और भारतीय चालक दल के जहाज एम.वी. साईं बाबा पर भी दक्षिणी लाल सागर में ड्रोन हमला हुआ था। 
  • इससे पूर्व माल्टा के ध्वज वाले पोत एम.वी. रुएन को समुद्री डाकुओं ने अगवा कर लिया था। 

समुद्री डकैती

  • अदन की खाड़ी और इस क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा के लिए खतरे नए नहीं हैं। पूर्व में भी सोमालिया के तट के आसपास समुद्री लुटेरों द्वारा वाणिज्यिक पोत को जब्त करने और चालक दल को फिरौती के लिए बंधक बनाने के कई मामले सामने आए हैं। 
    • हालाँकि, वर्तमान में इन घटनाओं में अत्यधिक वृद्धि दर्ज की गई है। 

आंतकवादी घटनाएँ

यमन एवं सोमालिया तटों से घिरा रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण बाब अल-मंडेब जलडमरूमध्य आतंकवादी घटनाओं का केंद्र रहा है। नवंबर 2008 में मुंबई आतंकी हमले ने समुद्री असुरक्षा से जुड़े गंभीर जोखिमों को रेखांकित किया है।

तस्करी को बढ़ावा

भारतीय समुद्री सिद्धांत हिंद महासागर क्षेत्र को नार्कोटेररिज्म, तस्करी एवं संबंधित अपराधों के केंद्र के रूप में स्वीकार करता है। वर्ष 2021 में भारतीय नौसेना ने लक्षद्वीप तट पर हथियार, गोला-बारूद एवं नशीले पदार्थ ले जा रही तीन विदेशी नौकाओं को रोका लिया।

इन चुनौतियों का वैश्विक प्रभाव

  • इस क्षेत्र में घटित हालिया घटनाएँ आपूर्ति श्रृंखलाओं को बाधित कर वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर सकती हैं। 
  • कुल वैश्विक व्यापार का लगभग 12% लाल सागर से होकर गुजरता है जिसमें दुनिया के लगभग 30% कंटेनर शिपिंग शामिल हैं। लाल सागर वैश्विक वाणिज्य के लिए एक प्रमुख शिपिंग मार्ग है जिसके अंतर्गत बाब अल- मंडेब एक महत्वपूर्ण चोक पॉइंट है। 
    • बाब अल-मंडेब एक संकरा जलडमरूमध्य है जो पश्चिम में जिबूती और पूर्व में यमन से घिरा है।
  • हौती विद्रोहियों के निरंतर हमलों के बाद कई वैश्विक शिपिंग प्रमुखों ने इस मार्ग के बजाय दक्षिणी हिंद महासागर के माध्यम से नौवहन का निर्णय लिया है। 
    • हालाँकि, इससे समय के अलावा ईंधन एवं परिचालन लागत में वृद्धि के साथ ही बीमा लागत भी बढ़ने की संभावना है।
  • इस रणनीतिक मार्ग परिवर्तन का स्वेज नहर द्वारा उत्पन्न राजस्व के साथ-साथ जिबूती और अदन की खाड़ी में बंदरगाहों की परिचालन गतिशीलता पर भी प्रभाव पड़ेगा।

समुद्री सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के वैश्विक प्रयास 

ऑपरेशन प्रॉस्पेरिटी गार्डियन

  • लाल सागर में जहाजों पर हौती विद्रोहियों के हमलों का मुकाबला करने और व्यापार के मुक्त प्रवाह की सुरक्षा के लिए अमेरिका ने ऑपरेशन प्रॉस्पेरिटी गार्डियन (OPS) की घोषणा की। 
    • यह अमेरिकी टास्क फोर्स 153 के नेतृत्व में संयुक्त समुद्री बलों की एक महत्वपूर्ण बहुराष्ट्रीय सुरक्षा पहल है। 
  • OPS की घोषणा के बाद से कई शिपिंग कंपनियों ने अपने मार्ग परिवर्तन निर्णय की समीक्षा करने की घोषणा की है।

भारत के प्रयास 

  • भारत की आर्थिक समृद्धि समुद्री सुरक्षा से जुड़ी हुई है। इसलिए क्षेत्रीय जल की सुरक्षा करना, नौवहन की स्वतंत्रता सुनिश्चित करना और समुद्री मार्गों को सुरक्षित रखना आवश्यक है। ऐसे में हाल के वर्षों में प्रमुख नौसैनिक शक्ति के रूप में भारतीय नौसेना ने हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी उपस्थिति में वृद्धि की है। 
  • भारतीय नौसेना ने इस क्षेत्र में समुद्री डकैती और वाणिज्यिक पोतों पर ड्रोन हमलों का मुकाबला करने के लिए प्रोजेक्ट 15B एवं 15A वर्ग के चार विध्वंसक पोत के साथ ही P8I लंबी दूरी के गश्ती विमान, डोर्नियर्स एवं सी गार्जियन मानवरहित हवाई वाहन को संयुक्त रूप से तैनात किया है।
  • अक्तूबर 2008 से भारतीय नौसेना ने अदन की खाड़ी में समुद्री डकैती रोधी गश्त के लिए एक पोत तैनात किया है। 
  • भारत द्वारा वर्ष 2017 से मिशन आधारित तैनाती के तहत हिंद महासागर क्षेत्र में सभी महत्वपूर्ण समुद्री चोक पॉइंट पर एक-एक प्रमुख युद्धपोत तैनात किया है।
  • गुरुग्राम में स्थित भारतीय नौसेना का भारतीय महासागर क्षेत्र सूचना संलयन केंद्र (Information Fusion Centre-Indian Ocean Region : IFC-IOR) सक्रिय रूप से इस क्षेत्र की निगरानी कर रहा है
  • हाल ही में मझगांव डॉक लिमिटेड ने भारत में निर्मित तीन विश्व स्तरीय युद्धपोतों  आईएनएस सूरत, आईएनएस नीलगिरी एवं आईएनएस वाघशीर का जलावतरण किया है। 
  • भारतीय नौसेना के समुद्री कमांडो (मार्कोस) ने जहाजों को समुद्री लुटेरों से बचाने के लिए कई बचाव अभियान चलाए हैं।
  • भारत सरकार द्वारा समुद्री डकैती रोधी अधिनियम (2022) अपने सुरक्षा कर्मियों को समुद्री डकैती के संदेह पर जहाज पर चढ़ने और व्यक्तियों को हिरासत में लेने या समुद्री डाकू जहाज और उसमें पाई गई किसी भी संबंधित संपत्ति को जब्त करने के लिए विवेकाधीन अधिकार देता है।

आगे की राह 

  • हिंद महासागर क्षेत्र, विशेषरूप से लाल सागर एवं अदन की खाड़ी में समुद्री सुरक्षा की चुनौतियाँ बहुआयामी व जटिल परिदृश्य प्रस्तुत करती हैं जिस पर तत्काल ध्यान देने के साथ-साथ ठोस प्रयासों की आवश्यकता है।
  • समुद्री सुरक्षा चुनौतियों की अंतर्संबंधित प्रकृति राष्ट्रों, समुद्री एजेंसियों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के बीच सहयोगात्मक दृष्टिकोण की आवश्यकता को रेखांकित करती है। इन मुद्दों को संबोधित करना समुद्री हितधारकों के हितों की रक्षा के साथ ही तटीय समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भी महत्वपूर्ण है। 
  • समुद्री सुरक्षा उपायों व सहयोग को बढ़ावा देकर और प्रभावी रणनीतियों को लागू करके राष्ट्र जोखिमों को कम करने के साथ ही स्थिरता को बढ़ावा दे सकते हैं और हिंद महासागर क्षेत्र में सुरक्षा तथा नौवहन की स्वतंत्रता के सिद्धांतों को बनाए रख सकते हैं।
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