(प्रारंभिक परीक्षा- राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ, सामान्य विज्ञान)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ; अंतरिक्ष, रोबोटिक्स)
संदर्भ
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के अनुसार, मार्स ऑर्बिटर यान का भू-स्टेशन (Ground Station) से संपर्क टूट गया है और इसे पुन: रिकवर नहीं किया जा सकता है। इसरो के अनुसार इसका मुख्य कारण ईंधन (प्रणोदक) और बैटरी का समाप्त होना रहा। इस प्रकार, मंगलयान अभियान अब अधिकारिक तौर पर समाप्त हो चुका है।
कारण
- मंगल ग्रह पर लंबी अवधि के एक ग्रहण के परिणामस्वरूप बैटरी समाप्त होने से मंगलयान का संपर्क पृथ्वी से टूट गया। इस दौरान कई ग्रहण पड़े, जिसमें एक ग्रहण लगभग साढ़े सात घंटे तक रहा।
- उल्लेखनीय है कि कृत्रिम उपग्रहों की बैटरी सौर ऊर्जा से चार्ज होती है। मंगलयान की बैटरी केवल 1 घंटे और 40 मिनट की ग्रहण अवधि को संभालने के लिये विकसित की गई थी।
- इसरो का विचार है कि इस दौरान इसका प्रणोदक समाप्त हो गया होगा, अत: निरंतर विद्युत/शक्ति उत्पादन के लिये ‘वांछित ऊंचाई बिंदु’ को इसके द्वारा नहीं प्राप्त किया जा सका।
- गौरतलब है कि इसरो मंगलयान को ग्रहण से बचाने के लिये एक नई कक्षा में ले जाने के लिये प्रयासरत था।
प्रमुख बिंदु
- मंगलयान को एक प्रौद्योगिकी प्रदर्शन उद्यम के रूप में छह महीने के जीवन काल के लिये डिजाइन किया गया था। हालाँकि, यह मिशन लगभग आठ वर्षों तक मंगल की कक्षा में कार्यरत रहा।
- इस दौरान इसने मंगल ग्रह के साथ-साथ सौर कोरोना (Solar Corona) के संबंध में महत्त्वपूर्ण वैज्ञानिक परिणाम उपलब्ध कराएँ। यह भारत का पहला अंतरग्रहीय मिशन था।
मंगल अभियान
- मंगल अभियान के तहत मार्स ऑर्बिटर मिशन (MOM) को 5 नवंबर, 2013 को पी.एस.एल.वी.-सी 25 (PSLV-C 25) द्वारा लॉन्च किया गया था।
- 300 दिनों की अंतरग्रहीय यात्रा के बाद 24 सितंबर, 2014 को यह मंगल ग्रह की कक्षा में स्थापित हुआ।
- भारत ने मंगलयान को अपने पहले ही प्रयास में केवल 450 करोड़ रुपए में लांच कर इतिहास रच दिया था और ऐसा करने वाला भारत पहला देश बन गया था।
मंगल अभियान की उपलब्धियां
- आठ वर्षों के दौरान इस मिशन ने मंगल ग्रह की सतह की विशेषताओं, आकृति विज्ञान, मंगल ग्रह के वातावरण और बहिर्मंडल से संबंधित महत्वपूर्ण वैज्ञानिक जानकारियां प्रदान की है।
- इस यान ने मंगल ग्रह के उपग्रह ‘डिमोस’ की तस्वीर भी ली है। मंगलयान ने सौर ऊर्जा से संबंधित सोलर डायनेमिक्स और पूरे ग्रह पर आए धूल के तूफान का अध्ययन किया।
- साथ ही, इसने मंगल ग्रह के बहिर्मंडल में उष्मीय आर्गन की खोज की है। MENCA पेलोड ने मंगल की सतह से 270 किमी. ऊपर ऑक्सीजन और कार्बनडाई ऑक्साइड की मात्रा का पता लगाया।
- मंगलयान से प्राप्त डाटा का उपयोग देश और दुनिया के वैज्ञानिक अनुसंधान एवं अध्ययन में कर सकते हैं। साथ ही, देश के शैक्षणिक संस्थानों के छात्र भी इसका उपयोग कर सकते हैं। हालाँकि, अब भारत को मंगल ग्रह से संबंधित डाटा के लिये अमेरिका, यूरोप या अन्य देशों पर निर्भर रहना होगा।
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मंगलयान से ली गई मंगल ग्रह की तस्वीर
प्रयुक्त पेलोड
- मार्स ऑर्बिटर मिशन पृष्ठीय भूविज्ञान, आकृति विज्ञान, वायुमंडलीय प्रक्रियाओं, सतह के तापमान और वायुमंडलीय पलायन प्रक्रिया पर डाटा एकत्र करने के लिये कुल 15 किग्रा. के पांच वैज्ञानिक पेलोड ले गया था।
- ये पेलोड और इनके कार्य इस प्रकार हैं-
- मार्स कलर कैमरा (MCC)
- ऐसे कैमरे प्राय: दिन में कार्य करते हैं। इसने मंगल ग्रह के स्थलीय विशेषताओं और संरचनाओं की सूचना एवं छवि प्रदान की है।
- यह मंगल के मौसम और गतिशील घटनाओं की निगरानी में प्रयोग किया गया। इससे प्राप्त 1000 से अधिक छवियों से मंगल ग्रह के फुल डिस्क मैप (Full Disc Map) का निर्माण किया गया है।
- थर्मल इन्फ्रारेड इमेजिंग स्पेक्ट्रोमीटर (TIS)- यह एक तरीके का थर्मल इमेजिंग कैमरा है जो पृष्ठ की संरचना व आकृति एवं मंगल पर खनिजों को मैप करने में प्रयुक्त किया गया।
- मीथेन सेंसर फॉर मार्स (MSM)- इसने मंगल के वातावरण में मीथेन की सांद्रता का मापन किया। इसके वातावरण में मीथेन की सांद्रता स्थानिक एवं अस्थाई परिवर्तनों से गुजरती है।
- मार्स एक्सोस्फेरिक न्यूट्रल कंपोजिशन एनालाइजर (MENCA)- यह 1 से 300 परमाणु द्रव्यमान इकाई (amu) की रेंज/परिधि में प्राकृतिक संरचना का विश्लेषण करने में सक्षम था।
- लाइमैन अल्फा फोटोमीटर (LAP)- इसने ड्यूटीरियम से हाइड्रोजन प्रचुरता अनुपात के मापन द्वारा ग्रह से विशेष रूप से जल हानि की प्रक्रिया को समझने में मदद किया।
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विश्व के अन्य मंगल मिशन
- वर्ष 1960 में सोवियत संघ ने पहला मंगल मिशन भेजा था। हालाँकि, पहला सफल मंगल मिशन अमेरिका का था। विश्व के कुल 23 सफल मिशनों में से इस समय सिर्फ 9 ही कार्यरत हैं।
- मंगल ग्रह पर सर्वाधिक मिशन अमेरिका (30) ने भेजा है। सोवियत संघ/रूस (22) इस मामले में दूसरे स्थान पर है। दिसंबर 1996 में अमेरिका ने सबसे पहले सोजर्नर (Sojourner) रोवर मंगल ग्रह पर उतारा।
- इसके अलावा नासा ने ऑर्प्यूनिटी (Opportunity), स्पिरिट (Spirit) और क्यूरियोसिटी (Curiosity) रोवर भी मंगल ग्रह पर भेजा है।
- साथ ही, वर्ष 2021 में नासा ने पर्सिवरेंस (Perseverance) रोवर और चीन ने जुरोंग (Zhurong) रोवर भी मंगल भेजा है।