(प्रारंभिक परीक्षा-राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ, भारत का इतिहास)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 1 :भारतीय विरासत और संस्कृति)
संदर्भ
हाल ही में,खेल मंत्रालय ने हरियाणा में आयोजित होने वाले ‘खेलो इंडिया यूथ गेम्स- 2021’ में चार स्वदेशी खेलों को शामिल करने की मंज़ूरी दी है। इन खेलों के नाम- गतका, कलारीपयट्टू, थांग-ता और मलखंभ हैं।
कलारीपयट्टू (Kalaripayattu)
- कलारीपयट्टू केरल की एक युद्ध-कला है। इसे वर्तमान में प्रचलित सबसे पुरानी युद्ध-पद्धतियों में से एक माना जाता है। इसे ‘कलारी’ भी कहते हैं।इसका अभ्यास मुख्य रूप से केरल की योद्धा जातियों, जैसे- नायर, एझावा द्वारा किया जाता था।
- पारंपरिक कलारीपयट्टू की दो प्रमुख शैलियों को मान्यता प्राप्त है। इसकी उत्तरी शैली को ‘वडक्कन कलारी’ और दक्षिणी शैली को ‘थेक्कन कलारी’ कहते हैं।
- केरल के अतिरिक्त यह तमिलनाडु व कर्नाटक से सटे हिस्सों के साथ-साथ पूर्वोत्तर श्रीलंका और मलेशिया के मलयाली समुदाय के बीच भी प्रचलित है।
मलखंभ(Mallakhamba)
- मलखंभ एक पारंपरिक खेल है, जिसमें खिलाड़ी लकड़ी के एक ऊर्ध्वाधर खम्भे या रस्सी के माध्यम से तरह-तरह के करतबों का प्रदर्शन करते हैं।
- इसकी उत्पत्ति महाराष्ट्र में हुई थी और वर्ष 2013 में मध्य प्रदेश द्वारा मलखंभ को राजकीय खेल घोषित किया गया।
- वर्ष 2016 में उज्जैन के मलखंभ कोच योगेश मालवीय को द्रोणाचार्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- राष्ट्रीय स्तर पर मलखंभ के तीन प्रकार प्रचलित हैं-फिक्स्ड/स्थाई मलखंभ, हेंगिंग मलखंभ (फिक्स्ड मलखंभ का लघु संस्करण),शेप/रोप मलखंभ (मलखंभ का आधुनिक प्रकार)।
गतका (Gatka)
- गतका खेल का संबंध पंजाब से है जो निहंग सिख योद्धाओं की पारंपरिक युद्ध-शैली है। वे इसका उपयोग आत्म-रक्षा के साथ-साथ खेल के रूप में भी करते हैं।
- गतका एक भारतीय प्राचीन मार्शल आर्ट है, जो अब एक खेल या तलवारबाज़ी प्रदर्शन कला के रूप में लोकप्रिय है और अक्सर सिख त्योहारों के दौरान इसका प्रदर्शन किया जाता है।
थांग-ता (Thang-Ta)
- थांग-ता एक सशस्त्र मार्शल आर्ट है, जो मणिपुर में प्रचलितहुयेन लैंग्लोन (Huyenlanglon) मार्शल आर्ट का एक भाग है। हुयेन लैंग्लोन के दो मुख्य घटक हैं- थांग-ता (सशस्त्र युद्ध) और सरित सारक (निहत्था या शस्त्ररहित युद्ध)।
- ‘थांग’ शब्द तलवार के लिये और ‘ता’ शब्द भाले के लिये प्रयोग किया जाता है। मणिपुर के शासकों द्वारा 17वीं सदी में इस कला का प्रयोग अंग्रेज़ों के विरुद्ध किया गया था। परंतु बाद में अंग्रेज़ों ने इस पर प्रतिबंध लगा दिया। पिछले कुछ दशकों के दौरान यह लुप्त होती जा रही है।
उद्देश्य
- इन खेलों को खेलो इंडिया यूथ गेम्स में शामिल करने का उद्देश्य भारत में स्वदेशी खेलों को संरक्षित करना, प्रोत्साहन देना और लोकप्रिय बनाना है। यह प्रयास लुप्त होती जा रही ऐतिहासिक महत्त्व वाली भारतीय पारंपरिक मार्शल आर्ट को बढ़ावा देने और पुनर्जीवित करने में मदद करेगा।
- वर्ष 2021 में खेलो इंडिया यूथ गेम्स में योगासन के साथ इन चार प्रतिस्पर्धाओं को शामिल करने से इन खेलों को पुन: राष्ट्रीय पहचान मिलेगी।