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मार्शियन ब्लूबेरीस

संदर्भ

हाल ही में प्रकाशित एक शोध पत्र के अनुसार,  ‘मार्शियन ब्लूबेरीस’ पृथ्वी पर पाई जाने वाली संरचनाओं के समान है। गुजरात के कच्छ में हेमेटाइट संघटन पर किये जा रहे अध्ययन के आधार पर यह संभावना व्यक्त की गई है कि भारत में पाए गए ‘ब्लूबेरीस’ मंगल ग्रह पर पाए गए 'ब्लूबेरीस' के समान विशेषताओं को दर्शाते हैं।

मार्शियन ब्लूबेरीस (Martian Blueberries)

  • वर्ष 2004 में नासा के मार्स एक्सप्लोरेशन रोवर ‘ऑपर्च्यूनिटी’ को मंगल ग्रह पर कई छोटे-छोटे गोलाश्म प्राप्त हुए, जिन्हें अनौपचारिक रूप से ‘मार्शियन ब्लूबेरीस’ नाम दिया गया।
  • ‘ऑपर्च्यूनिटी’ के स्पेक्ट्रोमीटर ने प्राप्त खनिजों के विश्लेषण के आधार पर पाया कि वे हेमेटाइट्स नामक लौह ऑक्साइड यौगिक से बने थे। इससे जिज्ञासा उत्पन्न हुई, क्योंकि हेमेटाइट्स की उपस्थिति से मंगल ग्रह पर जल की उपस्थिति का पता चलता है।
  • पृथ्वी पर जीवन के आधार पर यह अनुमान लगाया जाता है कि मंगल पर ग्रे-हेमेटाइट के निर्माण में जल की भी महत्त्वपूर्ण भूमिका रही होगी। हेमेटाइट्स का निर्माण ऑक्सीकृत वातावरण में होता है।
  • मंगल ग्रह पर ‘ब्लूबेरीस’ की आयु के संबंध में सटीक समय का अनुमान लगा पाना संभव नहीं है। ऐसा माना जाता है कि लगभग 3 अरब वर्ष पूर्व मंगल की चट्टानों से जल विलुप्त हो गया था।
  • वर्ष 2020 में नासा के द्वारा भेजे गए ‘परजेवरेंस रोवर’ द्वारा किये जा रहे अध्ययन से जीवन के संकेत तथा अन्य कार्बनिक यौगिकों को खोजने में मदद मिलेगी, जिससे मंगल ग्रह के इतिहास की एक विस्तृत तस्वीर प्रस्तुत करने में मदद मिल सकती है।

‘झुरान संरचना’ (Jhuran Formation)

  • शोधकर्ता गुजरात के कच्छ में ‘झुरान संरचना’ का अध्ययन कर रहे हैं, जो 145-201 मिलियन वर्ष प्राचीन है। इस क्षेत्र में हेमेटाइट संघटन की विस्तृत भू-रसायन व स्पेक्ट्रोस्कोपिक जाँच से इसके मंगल ग्रह के समान होने का पता चलता है।
  • गोलाकार, द्वि-युग्मीय तथा त्रि-युग्मीय आकृतियों के समान होने के अतिरिक्त इसके ‘हेमेटाइट तथा गोइथाइट’ खनिज मिश्रण से निर्मित होने के भी संकेत मिलते हैं।
  • मंगल ग्रह पर हेमेटाइट्स के पाए जाने से न केवल जल बल्कि वातावरण में ऑक्सीजन की उपस्थिति का भी पता चलता है, क्योंकि हेमेटाइट्स को स्थिर करने के लिये ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है।
  • यद्यपि इसके आधार पर यह नहीं कहा जा सकता कि ऑक्सीजन का संकेंद्रण जीवन-यापन के लिये पर्याप्त था, परंतु वर्तमान परिदृश्य की तुलना में इसके अधिक मात्रा में उपलब्ध होने के प्रमाण मिलते हैं।

कच्छ क्षेत्र में मार्शियन सादृश्यता (Martian Analogue)

  • शोधकर्ताओं के अनुसार कच्छ एक संभावित ‘मार्शियन सादृश्य क्षेत्र’ है। वर्ष 2016 में किये गए एक अध्ययन में पाया गया कि कच्छ में हुई ‘हाइड्रस सल्फेट’ (Hydrous Sulphate) की घटनाएँ मंगल ग्रह की सतही प्रक्रियाओं के समान हैं।
  • इसके अतिरिक्त, इस अध्ययन से इस बारे में भी पता चलता है कि मंगल ग्रह पर आर्द्र वातावरण का शुष्क वातावरण में परिवर्तित होना कच्छ के इतिहास के समान है।

निष्कर्षतः उपर्युक्त आधारों पर ऐसा कहा जा सकता है कि कच्छ क्षेत्र पृथ्वी पर भविष्य के मंगल अन्वेषण अध्ययन के लिये एक संभावित परीक्षण स्थल भी हो सकता है।

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