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मौना लोआ ज्वालामुखी में विस्फोट 

(प्रारंभिक परीक्षा : भारत एवं विश्व का प्राकृतिक भूगोल)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-1 : भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखीय हलचल, चक्रवात आदि जैसी महत्त्वपूर्ण भू-भौतिकीय घटनाएँ)

संदर्भ  

हाल ही में, विश्व के सबसे बड़े सक्रिय ज्वालामुखी मौना लोआ (Mauna Loa) में 38 वर्ष बाद उद्गार हुआ।

मौना लोआ 

  • मौना लोआ उन पाँच ज्वालामुखियों में से एक है जो मिलकर हवाई द्वीप का निर्माण करते हैं। हवाई द्वीप प्रशांत महासागर में स्थित हवाई द्वीपसमूह का सबसे दक्षिणी द्वीप है। 
    • हवाई द्वीप को बिग आईलैंड (Big Island) भी कहते हैं।  
  • मौना लोआ हवाई द्वीप का सबसे बड़ा ज्वालामुखी है जबकि इस द्वीप का सबसे ऊँचा ज्वालामुखी मौना केआ (Mauna Kea) है। विदित है कि मौना लोआ में अंतिम उद्गार 38 वर्ष पूर्व हुआ था। 
  • यह किलाउआ ज्वालामुखी (Kilauea Volcano) के ठीक उत्तर में स्थित है, जिसमें वर्तमान में उद्गार जारी है। 

शील्ड ज्वालामुखी

  • हवाई के ज्वालामुखियों के मैग्मा से गैस बाहर निकलने की प्रवृत्ति अधिक होती है, इसलिये जब उनका उद्गार होता है तो कम श्यानता वाले प्रवाही लावा उत्पन्न होते हैं। ये लावा स्रोत से बहुत दूर फैल जाते हैं और हल्के ढलान वाले ज्वालामुखी का निर्माण होता है।
  • हवाई के ज्वालामुखियों को शील्ड ज्वालामुखी कहा जाता है क्योंकि इनमें क्रमिक लावा प्रवाह ढाल (Shield) के आकार के समान चौड़े पहाड़ों का निर्माण करता है। मौना केआ एवं मौना लोआ शील्ड ज्वालामुखी हैं।
  • शील्ड ज्वालामुखी कैलिफोर्निया तथा इडाहो के साथ-साथ आइसलैंड एवं गैलापागोस द्वीपसमूह में भी पाए जाते हैं। अलास्का में भी माउंट रैंगल सहित आठ शील्ड ज्वालामुखी हैं। 
    • विदित है कि ज़मीन के झुकाव में दीर्घकालिक परिवर्तनों को ट्रैक करने के लिये टिल्टमीटर (Tiltmeters) का उपयोग किया जाता है, जिससे ज़मीन में उभार की पहचान में मदद मिलती है। 

ज्वालामुखी विस्फोट के कारण 

  • पृथ्वी के कोर (Core) की ओर गहराई में जाने के साथ-साथ तापमान में वृद्धि होती है। भूतापीय प्रवणता पृथ्वी के गर्म आंतरिक भाग से इसकी सतह तक प्रवाहित होने वाली ऊष्मा को इंगित करता है, इसमें पृथ्वी के तापमान में गहराई के साथ वृद्धि होती है।
  • एक निश्चित गहराई पर यह ऊष्मा इतनी अधिक हो जाती है कि इससे चट्टाने पिघल जाती हैं। इन पिघली चट्टानों को ‘मैग्मा’ कहते हैं। 
  • मैग्मा ठोस चट्टान की तुलना में हल्का होता है, इसलिये यह ऊपर उठकर मैग्मा कक्षों (Chambers) में एकत्रित हो जाता है। ये कक्ष पृथ्वी की सतह से छह से दस किमी. की उथली गहराई में पाए जाते हैं।
  • कक्षों में एकत्र मैग्मा पृथ्वी की सतह (Crust) की ओर छिद्र एवं दरारों के माध्यम से बाहर आता है जिसे ज्वालामुखी विस्फोट कहते हैं। पृथ्वी की सतह पर आने वाले मैग्मा को ‘लावा’ कहा जाता है। 

विस्फोट की तीव्रता 

  • ज्वालामुखी विस्फोट मैग्मा की संरचना के आधार पर तीव्रता और विस्फोटकता में भिन्न होते हैं। प्रवाही मैग्मा (Runny Magma) कम विस्फोटक एवं प्रायः कम खतरनाक होता है। 
    • प्रवाही मैग्मा में गैसें बाहर निकलने में सक्षम होती हैं और ज्वालामुखी के मुहाने से लावा का एक स्थिर एवं अपेक्षाकृत मंद प्रवाह (Gentle Flow) होता है। 
  • मौना लोआ में विस्फोट इसी प्रकार का है। चूँकि लावा मंद गति से प्रवाहित होता है, इसलिये आसपास के क्षेत्रों में रक्षात्मक उपाय के लिये पर्याप्त समय होता है। 
  • यदि मैग्मा गाढ़ा एवं चिपचिपा होता है तो इससे गैसों का लगातार बाहर निकलना कठिन हो जाता है। ये गैसें मुहाने तक पहुँचने के लिये दबाव बनाती हैं और तीव्रता से एक साथ बाहर निकलती हैं। इससे लावा हवा में विस्फोट करता है और टुकड़ों में टूट जाता है जिसे ‘टेफ़्रा’ (Tephra) कहा जाता है। ये छोटे कणों से लेकर विशाल शिलाखंडों के आकार के हो सकते हैं जो अत्यंत खतरनाक होते हैं। 
  • ज्वालामुखी विस्फोट सूचकांक (VEI) ज्वालामुखी की विस्फोटकता को मापने के लिये इस्तेमाल किया जाने वाला पैमाना है। इसमें 1 से 8 तक की संख्या होती है तथा उच्च वी.ई.आई. अधिक विस्फोटकता का संकेत देती है। 

उद्गार के आधार पर ज्वालामुखी के प्रकार 

  • सक्रिय ज्वालामुखी (Active Volcano)- वह ज्वालामुखी जिसमें होलोसीन काल (विगत 11,650 वर्षों में) के भीतर विस्फोट हुआ हो, उसे ‘सक्रिय’ माना जाता है। 
  • प्रसुप्त ज्वालामुखी (Dormant Volcano)- ये ऐसी सक्रिय ज्वालामुखी है जो वर्तमान में उद्गार की प्रक्रिया में नहीं हैं, लेकिन भविष्य में उद्गार की क्षमता रखती है। मौना लोआ पिछले 38 वर्षों से एक प्रसुप्त ज्वालामुखी था। 
  • मृत ज्वालामुखी (Extinct Volcano)- इनमें भविष्य में किसी प्रकार की ज्वालामुखीय गतिविधि की कोई संभावना नहीं होती है। ब्रिटेन का सबसे ऊँचा पर्वत ‘बेन नेविस’ (Ben Nevis) एक मृत ज्वालामुखी है। 

विश्व के कुछ प्रमुख ज्वालामुखी 

माउंट विसुवियस (इटली) 

  • यह दक्षिणी इटली में तटीय शहर नेपल्स के पास यूरोप की मुख्य भूमि पर स्थित है। उल्लेखनीय है कि 79 ई. में माउंट विसुवियस में विस्फोटक ज्वालामुखी ने पोम्पेई (Pompeii) शहर को नष्ट कर दिया था। 
  • वर्तमान में इसे भूगोलवेत्ताओं ने प्रसुप्त ज्वालामुखी की श्रेणी में रखा है, परंतु भविष्य में इसके सक्रिय होने की संभावना व्यक्त की गई है। विसुवियस को कंपाउंड वॉल्केनो (मिश्रित ज्वालामुखी) कहा जाता है जिसमें दो या दो से अधिक छिद्र (Bent) होते हैं। विसुवियस में आमतौर पर तीव्र विस्फोटक उद्गार और पायरोक्लास्टिक प्रवाह होता है।  

क्राकाटोआ (इंडोनेशिया) 

  • यह ‘रिंग ऑफ़ फायर’ (प्रशांत महासागर में एक स्थान जहाँ पर टेक्टॉनिक प्लेट के आपस में टकराने से भूकंप व ज्वालामुखी विस्फोट की घटनाएँ अधिक होती हैं) में स्थित है। वर्ष 1883 (VEI 6) में क्राकाटोआ में हुए विस्फोट को अब तक के सबसे विनाशकारी ज्वालामुखी विस्फोट में से एक माना जाता है।
  • इसके अलावा, माउंट फ्यूजी (जापान), आइजफजालजोकुल/E15 (आइसलैंड), माउंट सेंट हेलेंस (अमेरिका) आदि अन्य प्रमुख ज्वालामुखियाँ हैं। 

अन्य बिंदु 

  • अंडमान सागर में स्थित ‘बैरन द्वीप’ भारत का एक सक्रिय ज्वालामुखी है, जबकि नारकोंडम द्वीप (अंडमान सागर) प्रसुप्त ज्वालामुखी है धिनोधर पहाड़ी (गुजरात), ढोसी/दोषी पहाड़ी (हरियाणा), तोशाम पहाड़ी (हरियाणा) आदि मृत ज्वालामुखी हैं। 
  • ‘पाइरोक्लास्टिक सर्ज या प्रवाह’ ज्वालामुखी विस्फोट के दौरान बाहर निकलने वाली गैस एवं चट्टान के टुकड़ों का मिश्रण (गर्म लावा ब्लॉक, प्यूमिस, राख व ज्वालामुखी गैस का मिश्रण) है। इसे ‘डाइल्यूट पाइरोक्लास्टिक डेंसिटी करंट’ के रूप में भी जाना जाता है। 

माउंट सेमेरु ज्वालामुखी  

  • हाल ही में, इंडोनेशिया के जावा द्वीप पर स्थित माउंट सेमेरु ज्वालामुखी में विस्फोट हुआ। यह एक सक्रिय ज्वालामुखी है, जिसे महामेरु के नाम से भी जाना जाता है। 
  • इस ज्वालामुखी में विगत 200 वर्षों में कई बार उद्गार हो चुका है, जिसमें आखिरी बड़ा विस्फोट दिसंबर 2021 में हुआ था।

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  • इंडोनेशिया ‘प्रशांत अग्नि वलय’ के साथ स्थित है। यह वलय प्रशांत महासागर में एक घोड़े की नाल के आकार का क्षेत्र है जो भूकंप व ज्वालामुखी गतिविधियों के लिये प्रवण है। 
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