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कृषि क्षेत्र का मशीनीकरण

मुख्य परीक्षा

(सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- : प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कृषि सहायता; जन वितरण प्रणाली-उद्देश्य, कार्य, सीमाएँ, सुधार; बफर स्टॉक तथा खाद्य सुरक्षा संबंधी विषय; प्रौद्योगिकी मिशन)

संदर्भ 

140 करोड़ से ज़्यादा लोगों को खाद्यान्न उपलब्ध कराने वाला भारतीय कृषि क्षेत्र अभी भी कुल मशीनीकरण के 50% के आंकड़े तक नहीं पहुंच पाया है।

भारत में कृषि मशीनीकरण की स्थिति 

  • चावल, गेहूं, मक्का, ज्वार एवं बाजरा, दालें, तिलहन, कपास व गन्ना जैसी फसलों के लिए कुल औसत मशीनीकरण स्तर 47% है।
  • फसलों में परिचालन-वार औसत मशीनीकरण स्तर इस प्रकार है :
    • खेत तैयार करने के लिए : 70%
    • बुवाई, रोपण (Planting), रोपाई (Transplanting) के लिए : 40%
    • निराई एवं अंतर-कृषि के लिए : 32%
    • कटाई एवं मड़ाई के लिए : 34%

  • फसलों में से केवल गेहूं (69%) और चावल (53%) में ही 50% से अधिक मशीनीकरण हुआ है। अन्य फसलों के लिए कुल मशीनीकरण का स्तर इस प्रकार है : 
    • मक्का (46%)
    • दालें (41%)
    • तिलहन (39%)
    • कपास (36%) 
    • गन्ना (35%)
    • ज्वार एवं बाजरा (33%) 

अन्य देशों की तुलना में भारत की स्थिति

  • संसद की स्थायी समिति की रिपोर्ट के अनुसार, देश का समग्र कृषि मशीनीकरण स्तर अन्य विकासशील देशों, जैसे- चीन (59.5%) एवं ब्राजील (75 %) की तुलना में कम है।

  • भारत में विभिन्न राज्यों के किसानों द्वारा मशीनीकरण को अपनाना सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों, भौगोलिक परिस्थितियों, उगाई जाने वाली फसलों, सिंचाई सुविधाओं आदि जैसे विभिन्न कारकों पर निर्भर करता है। 
  • कृषि के मशीनीकरण में क्षेत्रवार भिन्नता के साथ ही फसलवार भिन्नता भी पाई जाती है। 

भारत में कृषि मशीनीकरण के लाभ 

  • बीज, कीटनाशकों व उर्वरकों की बचत
  • बीज के अंकुरण में सुधार
  • समय एवं पानी की बचत 
  • खरपतवार के स्तर में कमी
  • कम श्रम की आवश्यकता 
  • प्रति वर्ष उगाई जाने वाली फसलों की संख्या में वृद्धि
  • फसल पैदावार में वृद्धि

चुनौतियाँ

  • कृषि जोत का छोटा आकार
  • सीमांत एवं लघु कृषकों की अधिक संख्या 
  • अत्यधिक लागत
  • कम जागरूकता
  • निम्न तकनीकी कुशलता
  • भौगोलिक परिस्थितियाँ

आगे की राह 

  • देश में 86% किसानों के पास 2 हेक्टेयर से कम भूमि है। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए छोटी जोतों के लिए उपयुक्त मशीनें उपलब्ध कराए जाने की आवश्यकता है।
  • सरकार ने देश में कृषि मशीनीकरण के समावेशी विकास को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2014-15 में कृषि मशीनीकरण पर एक उप-मिशन शुरू किया था। 
    • इस योजना के अंतर्गत राज्य सरकारों को कृषि मशीनरी का प्रशिक्षण एवं प्रदर्शन उपलब्ध कराने तथा किसानों को विभिन्न कृषि मशीनरी व उपकरणों की खरीद में सहायता प्रदान करने के साथ-साथ कस्टम हायरिंग केंद्रों की स्थापना के लिए भी सहायता प्रदान की जाती है।
  • कृषकों में तकनीक को अपनाने के लिए जागरूकता का प्रसार किया जाना चाहिए। लखपति दीदी जैसी योजनाएँ इस क्षेत्र में एक प्रभावी कदम है। 
  • जोतो की चकबंदी के माध्यम से जोत के आकर की समस्या को हल किया जा सकता है। 
  • सामूहिक रूप से कृषि आदानों (Inputs) की खरीद एवं उस पर सरकार द्वारा सब्सिडी दिए जाने से कृषि मशीनीकरण को बढ़ावा दिया जा सकता है।
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