मगध विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा बिहार के गया में ब्रह्मयोनी पहाड़ी पर औषधीय पौधों की एक श्रृंखला की खोज की है।
खोजे गए औषधीय पौधे:
जिम्नेमा सिल्वेस्ट्रे,जिसे आमतौर पर गुड़मार के नाम से जाना जाता है।
पिथेसेलोबियम डुल्स, जिसे आम तौर पर मनीला इमली, मद्रास थॉर्न, मंकीपॉड ट्री या जंगल जलेबी भी कहा जाता है।
ज़िज़िफ़स जुजुबा, यह बेर प्रजाति का एक पौधा है।
वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) ने पहले ही मधुमेह रोधी दवा बीजीआर-34 विकसित करने में गुडमार का उपयोग किया है।
गुड़मार पौधे के बारे में
परिचय : औषधीय गुणों से युक्त बारहमासी बेल
वैज्ञानिक नाम :जिम्नेमा सिल्वेस्ट्रे
वंश और कुल : जिम्नेमा वंश के एपोसिनेसी कुल से सम्बंधित
विस्तार :एशिया (अरब प्रायद्वीप सहित), अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया महाद्वीपों में
उपयोग :मधुमेह एवं कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने, नेत्र रोग, एलर्जी, कब्ज, खांसी, दंत क्षय, मोटापा, पेट की बीमारियों और वायरल संक्रमण आदि के इलाज के लिए किया जाता है।
विशेषताएं :
इसमें उपस्थिति जिम्नेमिक एसिड रक्त शर्करा के स्तर को कम करके आंत की बाहरी परत में रिसेप्टर के स्थान को भर देता है जिससे मिठास की लालसा कम होती है।
इस पौधे की पत्तियों में फ्लेवोनोइड्स और सैपोनिन होते हैं, जो लिपिड के मेटाबॉलिज्म (उपापचय) को नियंत्रित करते हैं।
फ्लेवोनोइड्स में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जबकि सैपोनिन कोलेस्ट्रॉल को कम करता है।
इसे भी जानिए
ब्रह्मयोनि पहाड़ी
यह बिहार के गया जिले में स्थित है जिसका उल्लेख महाभारत और बौद्ध अभिलेखों में भी मिलता है।
पहाड़ी की चोटी पर एक छोटे से मंदिर में ब्रह्मा की स्त्री शक्ति के रूप में पांच सिर वाली स्त्रीलिंग मूर्ति की पूजा की जाती है।
यह हिन्दुओं का एक पवित्र स्थल है जहां पितृपक्ष मेले के दौरान बड़ी संख्या में पिंडदान किए जाते हैं।
गया की अन्य पहाड़ियों में मंगला-गौरी, शृंग, रामशिला और प्रेतशिला आदि शामिल हैं।