प्रारंभिक परीक्षा - शंघाई सहयोग संगठन मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 2 - क्षेत्रीय और वैश्विक समूह |
सन्दर्भ
- शंघाई सहयोग संगठन के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक का आयोजन 29 मार्च 2023 को दिल्ली में किया जा रहा है।
- इस बैठक की अध्यक्षता भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार द्वारा की जाएगी।
शंघाई सहयोग संगठन (SCO)
- शंघाई सहयोग संगठन (SCO) एक स्थायी अंतर-सरकारी अंतरराष्ट्रीय संगठन है।
- इसका गठन जून 2001 में शंघाई(चीन) में किया गया था।
- SCO के गठन से पहले शंघाई फाइव नाम का एक संगठन था। कज़ाखस्तान, चीन, किर्गिज़स्तान, रूस और ताजिकिस्तान शंघाई फाइव के सदस्य थे।
- वर्ष 2001 में उज़्बेकिस्तान के शामिल होने के बाद शंघाई फाइव का नाम बदलकर शंघाई सहयोग संगठन कर दिया गया।
- 2017 में भारत तथा पाकिस्तान को इस संगठन का सदस्य बनाया गया।
- दुशांबे में आयोजित 2021 की शिखर वार्ता में ईरान को पूर्ण सदस्य के रूप में शामिल किया गया।
- रूसी तथा मंडारिन SCO की आधिकारिक भाषाएँ हैं।
- यह शंघाई स्पिरिट नामक दर्शन से संचालित होता है, जो कि सद्भाव, सर्वसम्मति से काम करने, दूसरों की संस्कृति का सम्मान करने तथा दूसरों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप ना करने एवं गुटनिरपेक्षता पर बल देता है।
- SCO की अध्यक्षता सदस्य देशों द्वारा रोटेशन के आधार पर एक-एक वर्ष के लिए की जाती है।
- यह संगठन दुनिया की लगभग 42% आबादी, 22% भूमि क्षेत्र और 20% सकल घरेलू उत्पाद का प्रतिनिधित्व करता है।
शंघाई सहयोग संगठन की संरचना
- शंघाई सहयोग संगठन के दो स्थायी निकाय हैं –
- बीजिंग में SCO सचिवालय।
- ताशकंद में क्षेत्रीय आतंकवाद रोधी संरचना की कार्यकारी समिति।
- राष्ट्राध्यक्षों की परिषद् शंघाई सहयोग संगठन में निर्णय लेने वाली सर्वोच्च संस्था है, यह SCO शिखर सम्मलेन में बैठक करती है।
- सरकार के प्रमुखों की परिषद् संगठन में दूसरी सबसे बड़ी परिषद् है, जो बार्षिक शिखर सम्मेलन का आयोजन करती है तथा संगठन के बजट को मंजूरी प्रदान करती है।
- विदेश मंत्रियों की परिषद् नियमित बैठकें करती है, जो वर्तमान अंतर्राष्ट्रीय परिस्थितियों पर चर्चा करती है।
- सचिवालय संगठन का प्राथमिक कार्यकारी निकाय है, यह संगठनात्मक निर्णयों और दस्तावेजों को लागू करता है तथा दस्तावेज डिपॉजिटरी के रूप में भी कार्य करता है।
भारत के लिए महत्व
- sco का मुख्य उद्देश्य आतंकवाद, अलगाववाद और चरमपंथ के विरुद्ध सहयोगपूर्ण तरीके से कार्य करना है, जो कि भारतीय हितों के अनुकूल है।
- यह भारत को मध्य एशिया से जुड़ने के लिये मंच प्रदान कर सकता है।
- यह संगठन भारत को चीन और पाकिस्तान के साथ अपने सम्बन्ध सुधारने में भी मदद कर कर सकता है।
- संगठन के सदस्य देशों में विश्व की लगभग आधी जनसंख्या के निवास करने के कारण भारत को पर्यटन के क्षेत्र में इसका लाभ मिलने की संभावना है।
- वर्तमान में भारत में आने वाले पर्यटकों का लगभग 6 प्रतिशत भाग SCO देशों से आता है, इसे आगे और बढाया जा सकता है।