मणिपुर की सरकार द्वारा मैतेई सागोल के संरक्षण के लिए विभिन्न संगठनों और संघों के साथ मिलकर काम करने का निर्णय किया है।
मैतेई सागोल (Meitei Sagol) के बारे में
- मैतेई सागोल भारत में घोड़े और टट्टू की सात मान्यता प्राप्त नस्लों में से एक है। इसे मणिपुरी टट्टू (Manipuri Pony) भी कहा जाता है।
- अन्य नस्लों में मारवाड़ी घोड़ा, काठियावाड़ी घोड़ा, ज़ांस्कर टट्टू, स्पीति टट्टू, भूटिया टट्टू और कच्छी-सिंधी घोड़ा शामिल हैं।
- विशेषताएँ : इस अपेक्षाकृत एक छोटी नस्ल के टट्टू में उच्च सहनशक्ति और कठोर जलवायु परिस्थितियों के प्रति अनुकूलनशीलता पाई जाती है।
- मणिपुरी जीवनशैली में टट्टू का विशेष स्थान है। लाई हारोबा जैसे पारंपरिक आयोजनों और पोलो तथा घुड़दौड़ जैसे खेलों में इस्तेमाल किए जाने के अलावा इनका उपयोग 17वीं शताब्दी के दौरान मणिपुर साम्राज्य की घुड़सवार सेना द्वारा सवारी के रूप में भी किया जाता था।
- मणिपुरी टट्टू की जनसंख्या में तेजी से गिरावट आ रही है, वर्ष 2003 में 1,898 से घटकर वर्ष 2019 में केवल 1,089 रह गई, जिसके कारण वर्ष 2013 में मणिपुर सरकार ने इस नस्ल को लुप्तप्राय घोषित कर दिया।
- नस्ल के संरक्षण के लिए वर्ष 2016 में मणिपुरी टट्टू संरक्षण और विकास नीति (MPCDP) बनाई गई थी ।
- खतरे :
- तेजी से शहरीकरण और अतिक्रमण के कारण मणिपुरी टट्टू के प्राकृतिक आवास का ह्रास
- ग्रामीण मणिपुर में पोलो मैदानों/पोलो खेल क्षेत्रों का अभाव
- पोलो के खेल को छोड़कर टट्टू के उपयोग पर प्रतिबंध
- अनियंत्रित बीमारियाँ
- टट्टुओं का पड़ोसी राज्यों और देशों की ओर पलायन
सागोल कांगजेई
- भारत के मणिपुर में एक पारंपरिक घुड़सवारी-गेंद खेल, जो लंबे हैंडल वाली छड़ी का उपयोग करके घोड़े पर खेला जाता है।
- इसे मणिपुरी पोलो के नाम से भी जाना जाता है और इसे आधुनिक अंतर्राष्ट्रीय पोलो का पूर्ववर्ती माना जाता है।
- मणिपुरी में "सागोल" शब्द का अर्थ है "टट्टू", और "कांगजेई" का अर्थ है "लाठी से खेला जाने वाला खेल"।