(प्रारम्भिक परीक्षा: राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ) (मुख्य परीक्षा: सामान्य अध्ययन, प्रश्नपत्र- 2: भारत एवं इसके पड़ोसी सम्बंध)
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, चीन द्वारा मेकांग नदी के जल को रोके जाने से दक्षिण-पूर्व एशिया के कई देशों को जल संकट का सामना करना पड़ रहा है।
क्या है मुद्दा?
- अमेरिकी जलवायु वैज्ञानिकों के शोध में बताया गया है कि तिब्बत के पठार से निकलने वाली मेकांग नदी के बहाव को चीनी अभियंताओं ने प्रत्यक्ष रूप से कम कर दिया है।
- इस शोध के मुताबिक, उपग्रह द्वारा जुटाए गए आँकड़ों के अनुसार तिब्बत के पठार पर भी विशाल जलराशि मौजूद है, जिससे चीन का यह दावा खारिज़ होता है कि नदी में जल की कमी का कारण उसके स्त्रोत के जलस्तर में कमी है।
- उल्लेखनीय है कि मेकांग नदी का पानी रोके जाने से चार देशों- थाईलैंड, लाओस, कम्बोडिया और वियतनाम को भयंकर सूखे का सामना करना पड़ रहा है। इन देशों में जल उपलब्धता की खराब स्थिति के कारण किसान और मछुआरों द्वारा विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है।
- दरअसल, भारत में जो महत्त्व गंगा और ब्रह्मपुत्र नदी का है, वही महत्त्व दक्षिण-पूर्व एशिया में मेकांग नदी का है। इस नदी पर करोड़ो लोगों की आजीविका निर्भर है, जिसमें मुख्य रूप से खेती करना और मछली पकड़ना शामिल है।
- चीन द्वारा मेकांग नदी पर बड़े पैमाने पर बाँध बनाए जाने के कारण यह नदी सूखती जा रही है, जिससे इस पर निर्भर लोगों की आजीविका पर संकट आ गया है। वस्तुतः यह नदी इन चारों इन देशों के लिये जीवन-रेखा मानी जाती है।
- मेकांग नदी की ऊपरी धारा पर चीन का नियंत्रण है। इसी धारा से मेकांग नदी की निचली धारा में सूखे के दिनों में 70 प्रतिशत पानी आता है। चीन द्वारा इस नदी की ऊपरी धारा पर नियंत्रण करने के बाद दक्षिण-पूर्वी एशियाई देश जल सम्बंधी आवश्यकता के लिये चीन पर निर्भर हैं। इसके अलावा, ये देश व्यापार के लिये भी काफी हद तक चीन पर निर्भर हैं।
मेकांग नदी
- मेकांग नदी तिब्बत से शुरू होकर एशिया के छह देशों चीन, म्याँमार, थाईलैंड, लाओस, कम्बोडिया तथा वियतनाम से होकर बहती है।
- आर्थिक दृष्टि से दक्षिण-पूर्वी एशिया में इस नदी की अहम भूमिका है। लगभग 10 करोड़ से अधिक लोग आजीविका के लिये इस नदी पर निर्भर हैं; इन लोगों में 100 से अधिक आदिवासी समूह और शेष इन देशों की जातियों के लोग हैं।
- ध्यातव्य है कि इस नदी का 50 प्रतिशत से अधिक बहाव क्षेत्र चीन में है, वहाँ इसे ‘लान्टसान्ग’ के नाम से जाना जाता है।
- वर्ष 1995 में लाओस, थाईलैंड, कम्बोडिया और वियतनाम ने मेकांग नदी आयोग (Mekong River Commission-MRC) की स्थापना की थी। वर्ष 1996 में चीन और म्याँमार एम.आर.सी. के वार्ता साझीदार बन गए, अब ये 6 देश मिलकर सहकारी ढाँचे के अंतर्गत कार्य करते हैं।
ब्रह्मपुत्र नदी के सम्बंध में भारत की चिंता
- चीन द्वारा यारलुंग जांग्बो नदी पर जल विद्युत सयंत्र का निर्माण कर लिया गया है। चीन की इस परियोजना से भारत के लिये जल आपूर्ति में बाधा को लेकर चिंताएँ बढ़ गई हैं।
- चीन की इस परियोजना का नाम ‘जम जल विद्युत सयंत्र’ है। इसे ‘जांगमू जल विद्युत सयंत्र’ के नाम से भी जाना जाता है। इस परियोजना में ब्रह्मपुत्र नदी के जल का उपयोग किया जाता है।
- चीन द्वारा तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी के जल प्रवाह को रोकने के लिये बाँध का निर्माण किया जा रहा है। इस बाँध निर्माण से भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में जल आपूर्ति बाधित हो सकती है, जिससे इस क्षेत्र में सूखे जैसी समस्या का सामना करना पड़ सकता है। यह दोनों देशों के मध्य विवाद का एक कारण है।
- चीन की जल सम्बंधी परियोजनाओं के कारण आस-पास की नदियाँ अत्यधिक प्रदूषित हो चुकी हैं, जिससे भारत की तरफ बहने वाली नदियों में भी प्रदूषण स्तर बढ़ने का खतरा बना हुआ है।
- भारत की चीन के साथ किसी प्रकार की कोई जल संधि नहीं है, हालाँकि दोनों पक्ष अपने-अपने जल सम्बंधी आँकड़े एक-दूसरे से साझा करते हैं।
- चीन और भारत के मध्य पानी एक महत्त्वपूर्ण सुरक्षा मुद्दे के रूप में उभर कर सामने आया है। इसका मुख्य कारण यह है कि गंगा को छोड़कर एशिया की अधिकांश बड़ी नदियों का उद्गम चीनी नियंत्रण वाले तिब्बती क्षेत्र में स्थित है।
ब्रह्मपुत्र नदी
- ब्रह्मपुत्र नदी हिमालय के उत्तर में तिब्बत के पठार पर स्थित मानसरोवर झील के पास से निकलती है एवं हिमालय के साथ-साथ पूर्व की तरफ बहती है। यह हिमालय की सबसे पूर्वी चोटी ‘नामचाबारवा’ के निकट दक्षिण की ओर मुड़कर अरुणाचल प्रदेश में प्रवेश करती है।
- यह नदी अरुणाचल प्रदेश में वृहद् हिमालय को काटकर एक गहरे महाखड्ड (गॉर्ज) का निर्माण करती है, जिसे ‘दिहांग गॉर्ज’ के नाम से जाना जाता है। यहाँ इस नदी की दो सहायक नदियाँ- दिबांग और लोहित इससे मिलती हैं, इसके पश्चात यह असम राज्य की समतल घाटी में प्रवेश करती है।
- असम में यह नदी पूर्व से पश्चिम की ओर एक रैम्पघाटी में प्रवाहित होती है। इस रैम्पघाटी के उत्तर में हिमालय पर्वत एवं दक्षिण में शिलॉन्ग का पठार अवस्थित है। असम में ब्रह्मपुत्र नदी में ही प्रसिद्द ‘माजुली द्वीप’ (विश्व का सबसे बड़ा नदी द्वीप) स्थित है।
- असम के पश्चात् ब्रह्मपुत्र नदी बांग्लादेश में प्रवेश करती है, जहाँ इसे जमुना नदी के नाम से जाना जाता है। सिक्किम के जेमू ग्लेशियर के नितामू झील से निकलने वाली तीस्ता नदी बांग्लादेश में जमुना नदी से मिल जाती है। यहाँ जमुना नदी की धारा पद्मा नदी (बंगलादेश में गंगा की धारा का नाम) से मिलती है और दोनों सयुंक्त रूप से पद्मा नदी कहलाती हैं।
- मणिपुर से निकलने वाली बराक नदी जब बांग्लादेश में पद्मा नदी से मिलती है तो इसे सयुंक्त रूप से मेघना नदी कहा जाता है। मेघना नदी (बांग्लादेश में इसे सूरमा कहते हैं) की धारा ही बंगाल की खाड़ी में गिरती है।
- असम के डिब्रूगढ़ के पास ब्रह्मपुत्र नदी पर देश के सबसे लम्बे रेल और रोड पुल का निर्माण किया गया है। ‘बोगीबील’ नाम का यह पुल अरुणाचल प्रदेश के लोगों को दक्षिणी असम तक आने में लगभग 100 किलोमीटर की दूरी को कम करेगा।
ब्रह्मपुत्र के विभिन्न नाम
- बांग्ला भाषा में इसे जमुना, असम में ब्रह्मपुत्र, अरुणाचल प्रदेश में दिहांग, तिब्बत में त्सांग-पो या सांग्पो, चीन में या-लू-त्सांग अथवा यरलुंग जैंगबो जियांग के नाम से जाना जाता है।
भविष्य की राह
ब्रह्मपुत्र नदी से सम्बंधित यह मुद्दा भारत की जल सुरक्षा के लिहाज से अत्यंत सम्वेदनशील है। भारत को इसे तत्काल पूर्ण गम्भीरता के साथ उठाना चाहिये ताकि जो घटना मेकांग नदी के साथ घटी, ऐसी ब्रह्मपुत्र नदी के साथ न घटने पाए।