एक अध्ययन के अनुसार ओडिशा में मेलियोइडोसिस (Melioidosis) रोग का संक्रमण मानसून के दौरान तथा उसके बाद चरम पर होता है।
मेलियोइडोसिस के बारे में
- यह एक जीवाणुजनित संक्रामक रोग है जिसका कारण बर्कहोल्डरिया स्यूडोमेल्ली (Burkholderia pseudomallei) जीवाणु के कारण होता है।
- इसका प्रमुख कारण श्वसन के दौरान मुख्यत: मिट्टी एवं पानी में रहने वाले पर्यावरणीय परजीवी का अंतर्ग्रहण है।
- इस रोग पर पर्यावरणीय कारकों, जैसे- वर्षा, तापमान एवं आर्द्रता का अत्यधिक प्रभाव होता है।
- करंट रिसर्च इन माइक्रोबियल साइंसेज नामक जर्नल में प्रकाशित विश्लेषण के अनुसार इस रोग का संक्रमण मानसून के दौरान तथा उसके बाद चरम पर होता है।
- वर्ष 2016 में द लैंसेट के एक अध्ययन के अनुसार दुनिया भर में लगभग 1,65,000 लोग प्रतिवर्ष मेलियोइडोसिस से संक्रमित होते हैं।
- मेलियोइडोसिस के वैश्विक बोझ में भारत सहित दक्षिण एशिया का हिस्सा 44% है।
- तीव्र शहरीकरण, निम्न स्वच्छता स्थिति तथा दूषित वातावरण इसके जोखिम को अधिक बढ़ा सकते हैं।
- इस बैक्टीरिया में मामूली त्वचा संक्रमण से लेकर निमोनिया एवं फुलमिनेंट सेप्सिस तक कई तरह के नैदानिक लक्षण उत्पन्न करने की अनोखी क्षमता है। इसके संक्रमण के घातक मामलों में मृत्यु दर 50% तक होने की संभावना होती है।
- इसके उपचार के लिए मुख्य रूप से एंटीबायोटिक्स दी जाती है। सार्वजनिक स्वास्थ्य योजना में मौसम एवं जलवायु डाटा को शामिल करने से प्रकोप की भविष्यवाणियों में सुधार कर इसके स्वास्थ्य जोखिमों को कम किया जा सकता है।