(प्रारंभिक परीक्षा- राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 व 3 : भारत से सम्बंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार, अंतरिक्ष)
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, कैबिनेट ने भारत और नाइजीरिया के मध्य शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिये बाह्य अंतरिक्ष की खोज और इसके उपयोग में सहयोग पर हुए समझौता ज्ञापन (एम.ओ.यू.) को मंजूरी प्रदान की है।
पृष्ठभूमि
भारत और नाइजीरिया लगभग एक दशक से औपचारिक अंतरिक्ष सहयोग हेतु प्रयासरत हैं। राजनयिक माध्यमों से विचार-विमर्श के बाद इस एम.ओ.यू. पर जून 2020 में बेंगलुरु में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और अगस्त 2020 में अबूजा में नाइजीरिया के राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान और विकास एजेंसी (एन.ए.एस.आर.डी.ए.) ने हस्ताक्षर किये हैं।
महत्त्व
- यह समझौता ज्ञापन दोनों देशों को सहयोग के सम्भावित क्षेत्रों, जैसे- पृथ्वी की सुदूर संवेदन (रिमोट सेंसिंग), सैटलाइट आधारित संचार व नेविगेशन, अंतरिक्ष विज्ञान एवं ग्रहों की खोज के साथ-साथ अंतरिक्ष यान, लॉन्च व्हीकल, अंतरिक्ष प्रणालियों और जमीनी प्रणालियों के उपयोग को सक्षम बनाएगा।
- इसके अतिरिक्त दोनों देश भू-स्थानिक उपकरण और तकनीक सहित अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के व्यावहारिक अनुप्रयोग व सहयोग के अन्य क्षेत्रों को भी तय करने की दिशा में आगे बढ़ेंगे।
- इस समझौता ज्ञापन के तहत एक संयुक्त कार्य दल का गठन किया जाएगा, जिसमें अंतरिक्ष विभाग (डी.ओ.एस.)/इसरो और नाइजीरिया के एन.ए.एस.आर.डी.ए. के सदस्य शामिल होंगे। यह संयुक्त कार्य दल समय-सीमा के साथ कार्यान्वयन के साधनों सहित कार्य योजना को अंतिम रूप देगा।
प्रभाव
- हस्ताक्षरित एम.ओ.यू. पृथ्वी की सुदूर संवेदन (रिमोट सेंसिंग), सैटलाइट संचार, सैटलाइट नेविगेशन, अंतरिक्ष विज्ञान और बाह्य अंतरिक्ष की खोज के क्षेत्र में नई अनुसंधान गतिविधियों और अनुप्रयोग सम्भावनाओं का पता लगाने के लिये प्रोत्साहन प्रदान करेगा।
- इस समझौता ज्ञापन के माध्यम से नाइजीरिया सरकार के साथ सहयोग और मानवता के लाभ के लिये अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों के अनुप्रयोग के क्षेत्र में एक संयुक्त गतिविधि विकसित करने में सहायता मिलेगी। इस प्रकार, देश के सभी वर्गों और क्षेत्रों को लाभ प्राप्त हो सकेगा।
व्यय
- पारस्परिक रूप से तय किये गए कार्यक्रम सहयोग के आधार पर पूरे किए जाएंगे। इस तरह की गतिविधियों के लिये वित्तपोषण की व्यवस्था प्रति कार्य के आधार पर हस्ताक्षरकर्ताओं द्वारा पारस्परिक रूप से तय की जाएगी।
- इस समझौता ज्ञापन के अंतर्गत की जाने वाली संयुक्त गतिविधियों का वित्तपोषण, सम्बंधित हस्ताक्षरकर्ताओं के कानूनों एवं विनियमों के अनुसार किया जाएगा, जो इन उद्देश्यों के लिये आवंटित धन की उपलब्धता के अधीन होगा।