- हाल ही में, ‘भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान, बेंगलुरू’ और स्पेन के ‘इंस्टीट्यूटो डी एस्ट्रोफिजिका डी कानरियास’ तथा ग्रानटिकान, स्पेन के मध्य खगोल विज्ञान के क्षेत्र में वैज्ञानिक एवं तकनीकी सहयोग विकसित करने हेतु समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए हैं।
- इस समझौता ज्ञापन के अंतर्गत निम्नलिखित गतिविधियों पर ध्यान दिया जाएगा :
a) नए वैज्ञानिक परिणाम
b) नई तकनीकें
c) वैज्ञानिक संवाद और प्रशिक्षण द्वारा क्षमता निर्माण
d) संयुक्त वैज्ञानिक परियोजनाएँ इत्यादि
- इसके अतिरिक्त भारत सरकार के ‘संचार मंत्रालय’ और ब्रिटेन के ‘डिजिटल, संस्कृति, मीडिया एवं खेल विभाग’ के मध्य दूरसंचार/सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (आई.सी.टी.) के क्षेत्र में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए हैं।
- इस समझौता ज्ञापन का लक्ष्य दोनों देशों के मध्य सहयोग और अवसरों को बढ़ावा देना है। इसके अनुसार दोनों पक्षों के बीच सहयोग के प्रमुख क्षेत्र निम्नलिखित हैं :
a) दूरसंचार/आई.सी.टी. नीति एवं विनियमन तथा स्पेक्ट्रम प्रबंधन
b) मोबाइल रोमिंग समेत दूरसंचार कनेक्टिविटी
c) दूरसंचार/आई.सी.टी. तकनीकी मानकीकरण एवं टेस्टिंग व प्रमाणन
d) वायरलेस संचार
e) 5जी, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, क्लाउड कम्प्यूटिंग, बिग डेटा आदि सहित दूरसंचार/आई.सी.टी. के क्षेत्र में तकनीकी विकास
f) दूरसंचार सम्बंधी आधारभूत ढाँचे की सुरक्षा और दूरसंचार सेवाओं की उपलब्धता तथा इनके प्रयोग में सुरक्षा
g) उच्च तकनीकी क्षेत्र में क्षमता निर्माण करना और जहाँ तक सम्भव हो, विशेषज्ञता का आदान-प्रदान करना आदि।
- इसी दौरान भारत के केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन और यूनाइटेड किंगडम चिकित्सा एवं स्वास्थ्य देखभाल उत्पादन विनियामक एजेंसी के बीच चिकित्सा उत्पादों के विनियमन के क्षेत्र में सहयोग पर समझौता ज्ञापन को भी मंज़ूरी प्रदान की गई है।
- साथ ही भारत तथा इज़रायल के बीच स्वास्थ्य एवं दवा के क्षेत्र में सहयोग के बारे में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने की मंज़ूरी दी गई है। इसमें चिकित्सकों और अन्य स्वास्थ्य पेशेवरों का आदान-प्रदान व प्रशिक्षण, जलवायु सम्बंधी खतरे के समक्ष नागरिकों के स्वास्थ्य की नाज़ुकता का आकलन, नियंत्रण एवं अनुकूलन के उद्देश्य से जन-स्वास्थ्य सम्बंधी कार्रवाइयों के बारे में विशेषज्ञता को साझा करना शामिल है। जलवायु सहनीय अवसंरचना के साथ-साथ ‘ग्रीन हेल्थकेयर’ (विषम जलवायु के अनुरूप अस्पताल) के विकास के लिये सहायता उपलब्ध कराने हेतु विशेषज्ञता को साझा करना भी इसमें शामिल है।