- मर्चेंट डिस्काउंट रेट (एम.डी.आर.) डेबिट या क्रेडिट कार्ड से भुगतान की सुविधा पर लगने वाला चार्ज है। इससे प्राप्त राशि तीन हिस्सों में विभाजित होती है -
I. पॉइंट ऑफ़ सेल मशीन के जारीकर्ता को।
II. डेबिट या क्रेडिट कार्ड जारी करने वाले बैंक को।
III. भुगतान करने वाले सॉफ्टवेयर या पेमेंट गेटवे को।
- डिजिटल लेन-देन तथा उपभोग को बढ़ावा देने हेतु जनवरी 2020 से रुपे डेबिट कार्ड तथा यू.पी.आई. द्वारा भुगतान करने पर एम.डी.आर. नहीं लगाया जा रहा है।
- ध्यातव्य है कि एम.डी.आर. की राशि दुकानदार को नहीं मिलती है।
- 2, 000 रुपए तक के लेन-देन पर एम.डी.आर. नहीं लगाया जाता है।
एम.डी.आर. से जुड़े महत्त्वपूर्ण बिंदु
- यू.पी.आई. और रुपे से भुगतान करने पर ज़ीरो एम.डी.आर. से ग्राहकों तथा व्यापारियों को लाभ प्राप्त होगा तथा डिजिटल भुगतान को लोकप्रिय बनाने में भी सफलता प्राप्त होगी।
- कुछ बैंकों द्वारा लाभ को प्राथमिकता देते हुए मास्टर कार्ड तथा वीज़ा का पेमेंट गेटवे जारी रखा गया है।
- स्वदेशी भुगतान माध्यम रुपे ने बहुराष्ट्रीय निगमों के एकाधिकार को समाप्त कर, भारतीय डिजिटल भुगतान क्षेत्र को एक नई दिशा प्रदान की है।
- यूरोपियन सेंट्रल बैंक (ECB) द्वारा भी उपभोक्ता के हितों को ध्यान में रखते हुए एम.डी.आर. की अधिकतम सीमा निर्धारित की गई है।