प्रारंभिक परीक्षा – मेसोलिथिक रॉक कला मुख्य परीक्षा- सामान्य अध्ययन, पेपर-1 |
चर्चा में क्यों
हैदराबाद के पास मंचिरेवुला वन ट्रेक पार्क में एक महत्वपूर्ण पुरातात्विक खोज की गई।
प्रमुख बिंदु
- प्राचीन शैलचित्र मध्यपाषाण काल की प्रतीत होती है।
- पेंटिंग में तीन कछुए, एक मछली और एक ज्यामितीय आकृति दिखाई गई है।
- इतिहासकारों के अनुसार मेसोलिथिक युग 10,000 से 4,000 ईसा पूर्व का है, जिससे पता चलता है कि पेंटिंग 6,000 से 12,000 साल पुरानी हैं।
- ये चित्र एक चट्टान पर पाए गए हैं जो एक साँप के फन जैसा दिखता है, इससे यह प्रतीत हो रहा है कि इसका उपयोग संभवतः मेसोलिथिक मनुष्यों द्वारा निवास स्थान के रूप में किया जाता रहा होगा।
- यह स्थल ढकी हुई है इसलिए संरक्षित है। इसके संरक्षण को सुनिश्चित करते हुए एक सुरक्षात्मक बाड़ बनाने की योजना है।
प्रागैतिहासिक शैलचित्र:
- प्रागैतिहासिक शब्द सुदूर अतीत को संदर्भित करता है जब कोई कागज या भाषा नहीं थी।
- इसलिए पेंटिंग और ड्राइंग मानव द्वारा खुद को अभिव्यक्त करने के लिए गुफाओं की दीवारों का उपयोग करते थे।
- भारत में शैल चित्रों की सर्वप्रथम खोज वर्ष 1867–68 में एक पुरातत्त्वविद् आर्किबोल्ड कार्लाइल (Archibold Carlleyle) द्वारा की गई थी।
- शैल चित्रों के अवशेष वर्तमान में मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, उत्तराखंड और बिहार के कई ज़िलों में स्थित गुफाओं की दीवारों पर पाए गए हैं।
प्रश्न: हाल ही में मेसोलिथिक रॉक कला की एक महत्वपूर्ण पुरातात्विक स्थल की खोज कहाँ की गई है ?
(a) हैदराबाद
(b) गुवाहाटी
(c) कोहिमा
(d) जयपुर
उत्तर: (a)
मुख्य परीक्षा प्रश्न : प्राचीन शैलचित्र इतिहास को किस प्रकार अभिव्यक्त करते है?
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स्रोत: the hindu