अगरकर शोध संस्थान के शोधकर्ताओं ने पश्चिमी भारत में चावल के खेतों और आर्द्रभूमियों से ‘मिथाइलोकुकुमिस ओरिजे’ (Methylocucumis oryzae) नामक मीथेनोट्रॉफ़ (Methanotroph) जीवाणु की एक नई प्रजाति की खोज की है।
मीथेनोट्रॉफ़ के बारे में
- क्या है : प्राकृतिक रूप से मीथेन का ऑक्सीकरण करने वाले बैक्टीरिया
- मीथेनोट्रॉफ़्स प्राकृतिक मीथेन शमन एजेंट हैं।
- प्राप्ति स्थान : मीथेन एवं ऑक्सीजन दोनों गैसों की उपलब्धता वाले सभी वातावरण में
- ये प्रमुखतया आर्द्रभूमि, चावल के खेत, तालाब एवं अन्य जल निकाय में पाए जाते हैं।
- कार्य : मीथेन को CO2 एवं पानी में ऑक्सीकृत करके मीथेन के प्रभाव का प्रतिकार करने में सहायक
- इस प्रकार, ये वायुमंडल में मीथेन के स्तर को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
मिथाइलोकुकुमिस ओरिजे के बारे में
- मिथाइलोकुकुमिस ओरिजे शोधकर्ताओं द्वारा खोजा गया एक नया मीथेनोट्रॉफ़ जीवाणु है।
- यह खोज भारत के लिए अद्वितीय है क्योंकि दुनिया के अन्य हिस्सों से अभी तक इसे रिपोर्ट नहीं किया गया है।
मिथाइलोकुकुमिस ओरिजे की प्रमुख विशेषताएं
- नए खोजे गए जीवाणु की अंडाकार व खीरे जैसी आकृति के कारण इसे ‘मीथेन खाने वाला खीरा’ (मीथेन ईटिंग ककुम्बर्स) कहा गया।
- यह जीवाणु हल्के गुलाबी रंग की कॉलोनी बनाता है और जीनोम कैरोटीनॉयड मार्ग का संकेतक है। कैरोटीनॉयड बायोसिंथेटिक मार्ग प्रकाश संश्लेषक रंगद्रव्य (पिगमेंट) एवं हार्मोन के उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण है।
- यह मेथीनोट्रोफ अपने बड़े आकार एवं सख्त मेसोफिलिक प्रकृति के लिए भी उल्लेखनीय है। यह 37 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान को सहन नहीं कर सकता है।
- मेसोफाइल ऐसे जीव होते है जो मध्यम तापमान में या मानव शरीर के तापमान में सबसे अच्छी तरह से विकसित हो सकते हैं। इनकी इष्टतम विकास सीमा 20 से 45 डिग्री सेल्सियस तक होती है।
मिथाइलोकुकुमिस ओरिजे का महत्व
- यह जीवाणु मिथेनोट्रोफ़ धान के पौधों में जल्दी फूल आने और अनाज की उपज में वृद्धि करके उनके विकास को बढ़ाने के लिए भी महत्त्वपूर्ण है।
- हाल के अध्ययनों में पाया गया है कि पुणे में एक पत्थर की खदान में मीथेन चक्र का एक महत्वपूर्ण घटक मिथाइलोक्यूमिस ओराइज़ी है, जो विभिन्न आवासों में मीथेन को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- इससे भविष्य में मीथेन गैस के उत्पादन को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण अवसर खुलेंगे।
- इस तरह के अनोखे व संभवतः स्थानिक मीथेनोट्रोफ़ की खोज आगामी जलवायु चुनौतियों के संबंध में अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण है।
मीथेन गैस
- मीथेन (CH4) एक रंगहीन, गंधहीन एवं अत्यधिक ज्वलनशील गैस है।
- कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) के बाद दूसरी सबसे शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैस है, जिसकी ग्लोबल वार्मिंग क्षमता CO2 से 26 गुना अधिक है।
- यह मुख्य रूप से आर्द्रभूमि, जुगाली करने वाले पशुओं, चावल के खेतों और लैंडफिल में मीथेनोजेन्स द्वारा निर्मित होती है।
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