(प्रारंभिक परीक्षा- राजनीतिक प्रणाली, पंचायती राज, लोकनीति, अधिकारों संबंधी मुद्दे इत्यादि)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-2 : संघ एवं राज्यों के कार्य तथा उत्तरदायित्व, स्थानीय स्तर पर शक्तियों और वित्त का हस्तांतरण तथा उसकी चुनौतियाँ)
संदर्भ
हाल ही में, केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने तेलंगाना सरकार से मनरेगा के तहत गैर-अनुमत कार्यों पर व्यय किये गए 151.9 करोड़ रुपए के भुगतान वापसी का निर्देश दिया है।
हालिया घटनाक्रम
- एक केंद्रीय टीम ने तेलंगाना के पांच जिलों का सर्वेक्षण किया। इसके आधार पर राज्य से स्पष्टीकरण माँगा गया था।
- केंद्रीय टीम के अनुसार खाद्यान्न भंडारण यार्ड के स्थान पर मछली व अनाज सुखाने के लिये चबूतरे के निर्माण किया गया था। जबकि कार्य स्थल पर भंडारण यार्ड जैसा कोई भवन नहीं मिला।
- इस तरह के चबूतरे का निर्माण व्यक्तिगत लाभार्थी भूमि पर किया गया था। यह मनरेगा के तहत 265 अनुमेय कार्यों में शामिल नहीं है।
केंद्र को प्रदत्त शक्तियाँ
- केंद्र ने यह निर्देश मनरेगा अधिनियम की धारा 27 के तहत प्रदत्त शक्तियों का उपयोग करते हुए दिया है।
- विदित है कि मनरेगा की धारा 27 केंद्र को इस अधिनियम के प्रभावी कार्यान्वयन के लिये राज्यों को निर्देश देने का अधिकार देती है।
- केंद्र धारा 27 के खंड 2 को लागू करते हुए इस अधिनियम के उल्लंघन की स्थिति में वित्त के आवंटन को प्रतिबंधित कर सकता है।
केरल का मुद्दा
- विदित है कि कुछ समय पूर्व केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने केरल के ग्राम पंचायतों में एक ही समय में कई प्रकार के कार्य करने की संख्या से प्रतिबंध समाप्त कर दिया है। पूर्व में केरल के ग्राम पंचायतों में एक समय में 20 प्रकार के कार्य किये जा सकते थे, अब इसकी संख्या को बढ़ाकर 50 कर दिया गया है।
- केंद्र सरकार ने इस वर्ष जुलाई में एक आदेश के माध्यम से राज्यों को निर्देश दिया था कि यदि ग्राम पंचायत में 20 प्रकार के कार्य उपलब्ध हैं तो नए कार्य के लिये मस्टर रोल जारी नहीं किया जा सकता है।
मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम)
- राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (NREGA) वर्ष 2005 में अधिसूचित किया गया। इस अधिनियम को 2 फ़रवरी, 2006 से लागू किया गया। पहले चरण में इसे 200 ज़िलों में अधिसूचित किया गया।
- वर्ष 2007 में इसके तहत 130 अन्य ज़िलों को सम्मिलित किया गया। 1 अप्रैल, 2008 को इसमें शेष ज़िलों को भी शामिल कर लिया गया।
- वर्तमान में यह योजना को शत-प्रतिशत शहरी आबादी वाले ज़िलों को छोड़कर पूरे देश में लागू है।
- भारत सरकार द्वारा 31 दिसंबर, 2009 को इस अधिनियम में संशोधन कर इसका नाम महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम कर दिया गया है।
योजना का उद्देश्य
- प्रत्येक परिवार को एक वित्तीय वर्ष में कम-से-कम 100 दिनों का गारंटी युक्त रोज़गार प्रदान कर ग्रामीण परिवारों की आजीविका सुरक्षा को बढ़ाना तथा सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध कराना।
- कानूनी प्रक्रिया से सामाजिक रूप से वंचित वर्ग; विशेषकर महिलाओं, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदाय को अधिकार संपन्न बनाना।
- पंचायती राज संस्थाओं को मज़बूत कर ज़मीनी स्तर पर लोकतंत्र को सुदृढ़ करना।
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