(प्रारम्भिक परीक्षा : राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ, सामान्य विज्ञान)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र– 3: विषय- विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- विकास एवं अनुप्रयोग और रोज़मर्रा के जीवन पर इसका प्रभाव, देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास)
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, एक समाचार पत्र ने दावा किया है कि चीनी सेना ने पूर्वी लद्दाख में भारतीय सैनिकों को उनकी जगह से हटाने के लिये ‘माइक्रोवेव हथियारों’ का इस्तेमाल किया था। यद्यपि भारतीय सेना ने इन दावों को ग़लत बताया है।
‘माइक्रोवेव हथियार’ क्या हैं?
- माइक्रोवेव हथियार एक प्रकार के प्रत्यक्ष ऊर्जा हथियार (Direct Energy Weapons- DEWs) होते हैं, जो अपने लक्ष्य को अत्यधिक केंद्रित ऊर्जा के रूपों (ध्वनि, लेज़र या माइक्रोवेव के रूप में) के द्वारा लक्षित करते हैं।
- इसमें उच्च-आवृत्ति के विद्युत चुम्बकीय विकिरण की बीम द्वारा मानव त्वचा को लक्षित किया जाता है, जिससे दर्द और असहजता होती है।
- इनकी तरंगदैर्ध्य एक मिमी. से लेकर एक मीटर तक होती है जबकि इनकी आवृत्ति 300 मेगाहर्ट्ज (100 सेंटीमीटर) और 300 गिगाहर्ट्ज (0.1 सेंटीमीटर) के बीच होती है।
- इन्हें हाई-एनर्जी रेडियो फ्रीक्वेंसी भी कहा जाता है।
- माइक्रोवेव जिस तरह से घर में काम करता है उसी तरह से ये हथियार भी काम करते हैं।
- इसमें एक मैग्नेट्रॉन होता है जो माइक्रोवेव तरंगें भेजता है। ये तरंगें जब किसी खाद्य पदार्थ से होकर गुज़रती हैं तो वो गर्मी पैदा करती हैं। ये हथियार भी इसी सिद्धांत पर काम करते हैं।
- इस तरह के हथियार बेहद घातक होते हैं। हालांकि, इस तरह के हथियारों से किये गए हमलों में शरीर के ऊपर बाहरी चोट के निशान या तो होते नहीं हैं या काफी कम होते हैं लेकिन ये शरीर के अंदरूनी हिस्सों को बहुत नुकसान पहुँचाते हैं।
- इस तरह के हमलों की एक बेहद खास बात ये होती है कि ये ज़मीन से हवा में, हवा से ज़मीन में या ज़मीन से ज़मीन में किये जा सकते हैं। इस तरह के हमले में उच्च ऊर्जा वाली किरणों को छोड़ा जाता है। ये किरणें इंसान के शरीर में प्रविष्ट कर उनके शरीर के हिस्सों को नुकसान पहुँचा सकती हैं।
मिसाइल रोकने में सक्षम
- माइक्रोवेव हथियार को विभिन्न तरह की बैलिस्टिक मिसाइल, हाइपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल, हाइपरसोनिक ग्लाइडेड मिसाइल को रोकने के लिये भी इस्तेमाल किया जाता है।
- यद्यपि मिसाइल आदि रोकने के मामले में इस तरह के हथियार अभी तक केवल प्रयोग तक ही सीमित हैं। माइक्रोवेव हथियारों के अंदर पार्टिकल बीम वैपन, प्लाज़्मा वेपन, सॉनिक वेपन, लॉन्ग रेंज एकॉस्टिक डिवाइस भी आते हैं।
- पारम्परिक हथियारों के मुकाबले प्रत्यक्ष ऊर्जा हथियार कहीं ज़्यादा असरदार साबित हो सकते हैं।
- इन हथियारों को गुप्त तरीके से इस्तेमाल किया जा सकता है। दृश्य स्पेक्ट्रम के ऊपर और नीचे इनके विकिरण अदृश्य होते हैं और इनसे आवाज़ उत्पन्न नहीं होती है।
- चूँकि, प्रकाश पर गुरुत्वाकर्षण का बेहद कम असर पड़ता है, ऐसे में यह लगभग एक समतल वक्र (फ्लैट ट्रैजेक्टरी) देता है। इसके अलावा लेज़र, प्रकाश की गति से चलते हैं अतः ये स्पेस वॉरफेयर में काफी कारगर साबित होते हैं।
- लेज़र या माइक्रोवेव आधारित हाई-पावर डी.ई.डब्ल्यू. विरोधियों के ड्रोन्स या मिसाइलों को बेकार कर देते हैं।
विभिन्न देशों द्वारा प्रयोग
- 19वीं सदी के अंतिम वर्षों में डी.ई.डब्ल्यू. को लेकर खोजबीन शुरू हुई थी। वर्ष 1930 में राडार की खोज के साथ इस दिशा में महत्त्वपूर्ण सफलता प्राप्त हुई।
- चीन ने पहली बार वर्ष 2014 में एक एयर शो में पॉली डब्ल्यू.बी.–1 (Poly WB-1) नामक “माइक्रोवेव हथियार” का प्रदर्शन किया था।
- अमेरिका ने भी ‘एक्टिव डेनियल सिस्टम’ नामक एक माइक्रोवेव-शैली के हथियार को विकसित करने का दावा किया है।
- पूर्व में भी अमेरिका ने अफगानिस्तान में इस तरह के हथियारों का प्रयोग किया था किंतु बाद में यह दावा भी किया था कि इसका प्रयोग किसी व्यक्ति पर नहीं किया गया।
- रूस, चीन, भारत, ब्रिटेन भी इस तरह के हथियारों के विकास में लगे हुए हैं। वहीं, तुर्की और ईरान का दावा है कि उनके पास इस तरह के हथियार मौजूद हैं।
- भारत में रक्षा शोध और विकास संस्थान (डी.आर.डी.ओ.) भी डी.ई.डब्ल्यू. पर काम कर रहा है।