(प्रारंभिक परीक्षा के लिए - दुग्ध मुद्रास्फीति, खाद्य मुद्रास्फीति)
(मुख्य परीक्षा के लिए, सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र:3 - मुद्रास्फीति)
संदर्भ
- भारत में समग्र खुदरा मुद्रास्फीति दर में कमी आने के बावजूद दूध और दूध उत्पादों की मुद्रास्फीति, 7.5 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है।
दूध और दुग्ध उत्पादों की मुद्रास्फीति
- मदर डेयरी द्वारा 2022 में चौथी बार कीमत बढ़ाने के बाद नई दिल्ली में एक लीटर दूध की कीमत अब ₹64 हो गई है।
- हाल ही में, अमूल ब्रांड के तहत दूध बेचने वाले गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन ने फुल क्रीम दूध की कीमत में 2 प्रति लीटर रुपये की वृद्धि की है।
- तमिलनाडु को-ऑपरेटिव मिल्क प्रोड्यूसर्स फेडरेशन ने भी फुल क्रीम दूध की कीमत ₹12 प्रति लीटर बढ़ा दी है, जिससे एक लीटर की कीमत ₹60 हो गई है।
- अक्टूबर 2022 में दूध की महंगाई दर 7.7% पर पहुंच गई, जो पिछले 7.5 साल में सबसे ऊंचा स्तर है।
असमान वृद्धि
- दूध की कीमत में वृद्धि सभी शहरों में एक समान नहीं है।
- दूध की औसत कीमतों में ज्यादातर वृद्धि, भारत के उत्तरी, पश्चिमी और उत्तर-पूर्वी शहरों में हुई है, जबकि पूर्वी शहरों में दूध की कीमतों में नाममात्र की ही वृद्धि हुई।
- हैदराबाद को छोड़कर दक्षिणी शहरों चेन्नई, बेंगलुरु और एर्नाकुलम में औसत कीमतों में ज्यादा वृद्धि नहीं हुई।
- नवंबर 2022 में दूध की औसत कीमत चेन्नई में सबसे कम ₹40 प्रति लीटर थी।
- जबकि, अहमदाबाद में औसत कीमत 58 रुपये प्रति लीटर और लखनऊ में 62 रुपये प्रति लीटर थी।
- दूध की कीमतें गुवाहाटी और अगरतला जैसे कई उत्तर-पूर्वी शहरों में 65 रुपये प्रति लीटर के स्तर को पार कर गयी है।
दूध के दाम बढ़ने के कारण
- दुग्ध उत्पादन की लागत बढ़ने से कीमतों में वृद्धि हो रही है।
- मवेशियों के चारे जैसे मक्का, बिनौला खली, तेल रहित चावल की भूसी और अन्य चारा सामग्री की कीमत में वृद्धि हुई है।
- इनपुट लागत में वृद्धि को देखते हुए, दूध-क्रय सदस्य संघों ने किसानों की कीमतों में वार्षिक रूप से औसतन 8 से 9% की वृद्धि की माँग की है।
- दूध उत्पादकों को कीमतों में बढ़ोतरी का बोझ उपभोक्ताओं पर डालने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है, क्योंकि ऐसे माहौल में खरीद लागत बढ़ रही है, जहां महंगाई पहले से ही एक समस्या है।
दूध मुद्रास्फीति का प्रभाव
- एक औसत शहरी परिवार प्रति माह दूध पर ₹284 खर्च करता है।
- सबसे गरीब 5% परिवार, एक महीने में दूध और दूध उत्पादों पर केवल ₹86 खर्च करते हैं, जबकि सबसे अमीर 5% परिवार ₹598 खर्च करते हैं।
- सबसे गरीब 20% घरों में केवल 52-62% सदस्य दूध या दही का सेवन करते हैं, जबकि सबसे अमीर 20% घरों में 86-91% सदस्य ऐसा करते हैं।
- इस प्रकार, मूल्य वृद्धि का गरीब परिवारों पर अधिक प्रभाव पड़ेगा, जिनमें पहले से ही दूध नहीं पीने वालों की संख्या अधिक है।
- विशेष रूप से गरीब परिवारों में पुरुषों और महिलाओं के बीच दूध की खपत में भी अंतर है, मूल्य वृद्धि का गरीब परिवारों में महिलाओं पर अधिक प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि वे मूल्य वृद्धि की भरपाई के लिए सबसे पहले दूध पीना छोड़ देंगी, जिससे असमानता में और वृद्धि होगी।
- उच्च दूध खरीद मूल्य, उन कंपनियों को भी नुकसान पहुंचा रही है, जो बेकरी उत्पाद या दूध या दूध के ठोस पदार्थों का उपयोग करने वाले खाद्य पदार्थों का निर्माण करती हैं।
भारत में दुग्ध उत्पादन -
- भारत विश्व में सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक और उपभोक्ता है।
- भारत वैश्विक दुग्ध उत्पादन में 23 प्रतिशत का योगदान देता है।
- देश में दुग्ध उत्पादन 2014-15 में 146.31 मिलियन टन से 2020-21 में 209.96 मिलियन टन तक पहुंचने के लिए लगभग 6.2 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ा है।
- खेती पर निर्भर आबादी में कृषक और खेतिहर मजदूर शामिल हैं, जो डेयरी और पशुधन में शामिल हैं, उनकी संख्या 70 मिलियन है।
- इसके अलावा, विशेष रूप से मवेशी और भैंस पालने में लगे 7 मिलियन के कुल कार्यबल में , उनमें से 69 प्रतिशत महिला श्रमिक हैं, जो देश में कुल महिला कर्मचारियों का 5.72 प्रतिशत है, जिनमें से 93 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों में रहती हैं।
- नीति आयोग का अनुमान है, कि देश में 2033-34 में दूध उत्पादन, वर्तमान 176 मिलियन टन से बढ़कर 330 मिलियन मीट्रिक टन (mt) हो जाएगा।
- भारत में प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता 1960 में 126 ग्राम प्रतिदिन से बढ़कर 2015 में 359 ग्राम प्रतिदिन हो गई है।
- कृषि से सकल मूल्य वर्धित (जीवीए) में, पशुधन क्षेत्र ने 2019-20 में 28 प्रतिशत का योगदान दिया।
- दुग्ध उत्पादन में प्रतिवर्ष 6 प्रतिशत की वृद्धि दर, किसानों को विशेष रूप से सूखे और बाढ़ के दौरान, समर्थन प्रदान करती है।
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डेयरी क्षेत्र के लिए सरकार की योजनाएं -
- गोजातीय प्रजनन के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम
- राष्ट्रीय गोकुल मिशन
- राष्ट्रीय कामधेनु प्रजनन केंद्र
- ई-पशुहाट पोर्टल
- डेयरी विकास के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम (एनपीडीडी)
- डेयरी उद्यमिता विकास योजना (डीईडीएस)
- राष्ट्रीय डेयरी योजना-I (NDP-I)
- डेयरी प्रसंस्करण और अवसंरचना विकास निधि (डीआईडीएफ)
- डेयरी गतिविधियों में लगे डेयरी सहकारी समितियों और किसान उत्पादक संगठनों को समर्थन देना (SDCFPO)
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