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रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-3: प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कृषि सहायता तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य से संबंधित विषय)

संदर्भ 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने विपणन सीजन : 2025-26 के लिए सभी अनिवार्य रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Prices : MSP) में वृद्धि की मंजूरी दी है।

नवीनतम न्यूनतम समर्थन मूल्य

फसल

पूर्व में MSP      (रूपए प्रति क्विंटल)

संशोधित MSP

(रूपए प्रति क्विंटल)

वृद्धि

(रूपए में)

गेहूँ

2275

2425

150

जौ

1850

1980

130

चना

5440

5650

210

मसूर दाल 

6425

6700

275

रैपसीड एवं सरसों 

5650

5950

300

कुसुम 

5800

5940

140

  • विपणन सत्र 2025-26 के लिए अनिवार्य रबी फसलों के लिए MSP में वृद्धि केंद्रीय बजट, 2018-19 की घोषणा के अनुरूप है। 
    • इसमें MSP को अखिल भारतीय भारित औसत उत्पादन लागत के कम-से-कम 1.5 गुना के स्तर पर तय करने की घोषणा की गई थी।

क्या है MSP

  • MSP का अर्थ मूलतः सरकार द्वारा किसानों को उनकी फसल के लिये दी जाने वाली न्यूनतम मूल्य की गारंटी है।
  • कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (Commission for Agricultural Costs & Prices : CACP) की सिफारिशों के आधार पर फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) द्वारा की जाती है।
  • गन्ने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के स्थान पर ‘उचित एवं लाभकारी मूल्य’ (FRP) की घोषणा की जाती है।

MSP का निर्धारण 

  • MSP का निर्धारण करते समय कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (CACP) द्वारा तीन प्रकार की उत्पादन लागतों पर विचार किया जाता है-
    • A2 लागत : इसमें किसानों द्वारा बीज, उर्वरक, रसायन, भाड़े पर कराए गए श्रम, ईंधन एवं सिंचाई आदि पर किए गए सभी भुगतान (नकद एवं वस्तुगत दोनों) शामिल हैं।
    • A2+FL : इसमें A2 के साथ अवैतनिक पारिवारिक श्रम का अनुमानित मूल्य भी शामिल किया जाता है।
    • C2 लागत : इसमें A2+FL के साथ स्वामित्त्व वाली भूमि और अचल संपत्ति के किराए तथा ब्याज को भी शामिल किया जाता है।
  • न्यूनतम समर्थन मूल्य के संबंध में सिफारिशें तैयार करते समय CACP द्वारा उत्पादन लागत के अतिरिक्त निम्नलिखित कारकों को ध्यान में रखा जाता है- 
    • कारक आगतों की कीमतों में बदलाव
    • इनपुट-आउटपुट मूल्य समानता
    • बाजार की कीमतों में रुझान
    • मांग एवं आपूर्ति
    • अंतर-फसल मूल्य समानता
    • औद्योगिक लागत संरचना पर प्रभाव
    • जीवन यापन की लागत पर प्रभाव
    • सामान्य मूल्य स्तर पर प्रभाव
    • अंतर्राष्ट्रीय मूल्य स्थिति
    • भुगतान की गई कीमतों और किसानों द्वारा प्राप्त कीमतों के बीच समानता
    • जारी कीमतों पर प्रभाव और सब्सिडी पर प्रभाव

इसे भी जानिए!

कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (CACP) भारत सरकार के कृषि व किसान कल्याण मंत्रालय का एक संलग्न कार्यालय है। इसकी स्थापना जनवरी 1965 में की गई थी। 

  • वर्तमान में इस आयोग में एक अध्यक्ष, सदस्य सचिव, एक आधिकारिक सदस्य और दो गैर-आधिकारिक सदस्य शामिल हैं। 
  • गैर-आधिकारिक सदस्य कृषक समुदाय के प्रतिनिधि होते हैं और आमतौर पर कृषक समुदाय के साथ सक्रिय रूप से जुड़े होते हैं।
    • इसका कार्य किसानों को आधुनिक तकनीक अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने और देश में उभरती मांग के अनुरूप उत्पादकता एवं समग्र अनाज उत्पादन बढ़ाने के लिए MSP की सिफारिश करना है। 
  • वर्तमान में CACP द्वारा निम्नलिखित वस्तुओं के लिए MSP की सिफारिश की जाती है, जिसमें शामिल हैं : 
    • 7 अनाज (धान, गेहूं, मक्का, ज्वार, बाजरा, जौ एवं रागी)
    • 5 दालें (चना, अरहर, मूंग, उड़द, मसूर)
    • 7 तिलहन (मूंगफली, रेपसीड-सरसों, सोयाबीन, सीसम, सूरजमुखी, कुसुम, नाइजरसीड) 
    • 3 वाणिज्यिक फसलें (खोपरा, कपास एवं कच्चा जूट)
    • गन्ना के लिए FRP की घोषणा की जाती है। 
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