(प्रारंभिक परीक्षा- जलवायु परिवर्तन संबंधी सामान्य मुद्दे; मुख्य परीक्षा- सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-3; आपदा और आपदा प्रबंधन)
संदर्भ
हाल ही में, झारखंड के धनबाद ज़िले में एक ओपन कास्ट कोयला खदान का हिस्सा गिरने से पाँच लोगों की मृत्यु हो गई। अधिकारियों के अनुसार, इन व्यक्तियों ने मुग्मा में स्थित ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (ECL) ओपन कास्ट खदान में अवैध रूप से प्रवेश किया था।
ओपन कास्ट खनन
- ओपन कास्ट खनन एक प्रकार का सतही खनन है, जिसमें खनिज संसाधनों को बड़े गड्ढे या सतह में खोदे गए गड्ढों के माध्यम से पृथ्वी से निकला जाता है।
- ओपन कास्ट खानों को खनन कार्य शुरू होने से पहले डिज़ाइन किया जाता है। इंजीनियर खनन के लिये क्षेत्र को बड़े क्यूब्स में विभाजित करते हैं।
- खनन का यह रूप उन निष्कर्षण विधियों से भिन्न है, जिनके लिये पृथ्वी में सुरंग बनाने की आवश्यकता होती है। खुले गड्ढे वाली खानों का उपयोग तब किया जाता है जब सतह के पास (कम गहराई पर) ही उपयोगी अयस्क या चट्टानों के निक्षेप पाए जाते हैं।
खुले गड्ढे में खनन विधि के लाभ
- स्पष्ट दृश्यता के कारण इस प्रक्रिया में अयस्क की हानि नहीं होती है।
- दिन में कार्य होने के कारण कृत्रिम प्रकाश की आवश्यकता नहीं होती है।
- बंद खदानों में गैसों के कारण होने वाले विस्फोट आदि का जोखिम नहीं होता।
- भारी मशीनरी के साथ काम करने पर कोई प्रतिबंध नहीं होता है।
- कम पूंजी और परिचालन लागत का कम होना।
- न्यूनतम खान विकास कार्य और उच्च अयस्क-मैन-शिफ्ट (OMS) के कारण शीघ्र उत्पादन और निवेशित पूंजी की त्वरित वापसी।
पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन पर खनन गतिविधियों के प्रभाव
- कृषि और वन भूमि का नुकसान- ओपन कास्ट खनन के कारण आसपास कृषि भूमि को क्षति पहुँचती है और भूमि उपयोग के लिये वनों की कटाई की जाती है, जबकि भूमिगत खनन प्रवेश प्रणाली में सीमित सतही भूमि का उपयोग होता है।
- मृदा की ऊपरी परत और उप-मृदा का निम्नीकरण- विभिन्न खनन गतिविधियाँ, प्राकृतिक मृदा की ऊपरी परत और उप-मृदा को काफ़ी हद तक प्रभावित करती हैं। इससे मृदा की बनावट, नमी, पी.एच. मान, कार्बनिक पदार्थ, पोषक तत्त्व आदि में परिवर्तन आता है।
- जल निकासी पैटर्न में बदलाव- अनियोजित खनन और खदान अपशिष्ट जमाव से सतह की स्थलाकृति बदल जाती है और इस तरह स्थानीय जल निकासी पैटर्न में भी बदलाव आता है। प्राकृतिक नालियों और अपशिष्ट जमाव से वर्षा जल के प्राकृतिक प्रवाह में बाधा आ सकती है, जिसके परिणामस्वरूप जल जमाव और अचानक बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो जाती है, जो बदले में कृषि और स्थानीय संपत्तियों को नुकसान पहुँचाती है।
- भूस्खलन- पहाड़ी ढलानों पर, विशेष रूप से भारी वर्षा वाले क्षेत्रों में खुले में खनन से भूस्खलन की प्रायिकता अधिक हो जाती है। इससे मानव जीवन, संपत्ति और वनों को नुकसान होता है।
सुझाव
- रिमोट सेंसिंग तकनीकों के उपयोग से स्थानीय या क्षेत्रीय पैमाने पर ओपन कास्ट खनन के प्रभाव की निगरानी में मदद मिल सकती है। खनन स्थान के आसपास के क्षेत्रों में पर्याप्त वृक्षारोपण किया जाना चाहिये। इससे आपदा प्रबंधन को बढाया जा सकता है।
- खनन से अवक्रमित भूमि का भविष्य में खदान बंद होने के समय पुन: उपयोग किया जा सकता है। जहाँ तक संभव हो, खनन क्षेत्र से निकाली गई वनस्पति को उपयुक्त क्षेत्रों में लगाया जाना चाहिये।
- वास्तविक खनन शुरू होने से पहले भूमि उपयोग की विधियों और प्रक्रियाओं की एक विस्तारित योजना बनाई जाए। बेहतर भूमि उपयोग के लाभों को अधिकतम करने और विचलन के मामले में उपचारात्मक उपायों को शामिल करने के लिये सक्रिय खनन के दौरान समय-समय पर स्थिति का तुलनात्मक अध्ययन किया जाना चाहिये।