(प्रारंभिक परीक्षा : सामान्य अध्ययन : योजनाएँ एवं कार्यक्रम) |
चर्चा में क्यों
भारतीय रेलवे ने केंद्र सरकार के मिशन अमृत सरोवर के तहत जल की कमी के गंभीर मुद्दे का समाधान करने के लिए तालाबों का निर्माण करवाने की घोषणा की है।
मिशन अमृत सरोवर
- आरंभ : मिशन अमृत सरोवर की शुरुआत 24 अप्रैल 2022 को की गई है, जिसका उद्देश्य भावी पीढ़ी के लिए जल संचयन एवं संरक्षण करना है।
- मिशन की प्रमुख विशेषताएँ :
- मिशन के तहत देश के प्रत्येक जिले में कम से कम 75 अमृत सरोवरों का निर्माण या पुनरुद्धार किया जाएगा।
- इसके तहत कम से कम 1 एकड़ का तालाब क्षेत्र होगा, जिसकी जल धारण क्षमता लगभग 10,000 क्यूबिक मीटर होगी।
- हर अमृत सरोवर नीम, पीपल और बरगद आदि पेड़ों से घिरा होगा।
- यह सिंचाई, मत्स्य पालन, बत्तख पालन, सिंघाड़े की खेती, जल पर्यटन और अन्य गतिविधियों के लिए पानी का उपयोग करके आजीविका का स्रोत होगा।
- मिशन अमृत सरोवर के तहत काम महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना, 15वें वित्त आयोग अनुदान और प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना की उप-योजनाओं जैसे वाटरशेड विकास घटक और हर खेत को पानी आदि के साथ एकीकृत कर किया जा रहा है।
- इस पहल का समर्थन करने के लिए क्राउडफंडिंग और कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व जैसे सार्वजनिक योगदान को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
- प्रगति : मिशन का लक्ष्य देश भर में 50,000 तालाबों का निर्माण एवं पुनरुद्धार करना था , जो पहले ही अपने लक्ष्य को पार कर चुका है।
- अब तक इस मिशन ने 68,000 से अधिक अमृत सरोवरों (तालाबों) का निर्माण या पुनरुद्धार करके देश में जल कमी की समस्या को दूर करने में उल्लेखनीय प्रगति हासिल की है।
- इन सरोवरों से विभिन्न क्षेत्रों में सतही और भूजल की उपलब्धता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
- महत्त्व : यह मिशन जल संकट से निपटने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को उजागर करने के साथ ही दीर्घकालिक पर्यावरणीय स्थिरता और स्थानीय समुदायों की भलाई पर भी बल देता है।
- इसके तहत निर्मित तालाब जलवायु लचीलेपन और पारिस्थितिक संतुलन के प्रतीक के रूप में कार्य करते हुए देश की समग्र जल प्रबंधन रणनीति में योगदान करते हैं।
मिशन का दूसरा चरण
- मिशन अमृत सरोवर का दूसरा चरण सामुदायिक भागीदारी (जन भागीदारी) के माध्यम से जल उपलब्धता सुनिश्चित करने पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित करते हुए जारी रहेगा।
- इस चरण का उद्देश्य जलवायु लचीलापन को और मजबूत करना और पारिस्थितिकी संतुलन को बढ़ावा देकर भविष्य की पीढ़ियों के लिए स्थायी लाभ पहुँचाना है।