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मिशन कर्मयोगी और सिविल सेवकों की कार्यप्रणाली में सुधार का प्रयास

(प्रारम्भिक परीक्षा : राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ, लोकनीति)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 व 4 : संस्थागत एवं अन्य पक्षों की भूमिका, मानव संसाधनों से सम्बंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से सम्बंधित विषय, शासन व्यवस्था, लोकतंत्र में सिविल सेवाओं की भूमिका, सिविल सेवा के लिये अभिरुचि तथा बुनियादी मूल्य, सार्वजनिक सेवा के प्रति समर्पण भाव)

चर्चा में क्यों?

हाल ही में नौकरशाही में एक सुधार के रूप में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सिविल सेवा अधिकारियों के कौशल और प्रशिक्षण के तरीकों में बड़े बदलावों के लिये ‘मिशन कर्मयोगी’ अभियान को शुरु करने का निर्णय लिया है।

मुख्य बिंदु

  • ‘सिविल सेवा क्षमता निर्माण के लिये राष्ट्रीय कार्यक्रम’ (NPCSCB) को मिशन कर्मयोगी के रूप में जाना जाएगा। यह सिविल सेवा क्षमता विकास के लिये एक नई राष्ट्रीय अवसंरचना है।
  • इस कार्यक्रम को ‘एकीकृत सरकारी ऑनलाइन प्रशिक्षण (iGOT)- आईगॉट कर्मयोगी प्लेटफ़ॉर्म के द्वारा कार्यान्वित किया जाएगा।
  • इसके अंतर्गत संस्थागत ढाँचे के रूप में चार नए निकायों का गठन किया जाएगा। ये नई संस्थाएँ/निकाय इस प्रकार हैं :
    • सार्वजनिक मानव संसाधन परिषद-प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में चुने हुए केंद्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री,  प्रख्यात मानव संसाधन पेशेवर, विचारक, वैश्विक विचारक और लोक सेवा प्रतिनिधि इसमें शामिल होंगे। यह परिषद एक शीर्ष निकाय के तौर पर कार्य करेगी जो सिविल सेवा-सुधार कार्य और क्षमता विकास को कार्यनीतिक दिशा प्रदान करेगी।
    • क्षमता विकास आयोग- प्रशिक्षण मानकों में सामंजस्य बनाना, साझा संकाय और संसाधन बनाना तथा सभी केंद्रीय प्रशिक्षण संस्थानों के लियेपर्यवेक्षी की भूमिका निभाना।
    • विशेष प्रयोजन कम्पनी (SPV)- डिजिटल परिसम्पत्तियों के स्वामित्त्व तथा प्रचालन और ऑनलाइन प्रशिक्षण के लिये एक प्रौद्योगिकीय प्लेटफ़ॉर्म हेतु विशेष प्रयोजन कम्पनी (एस.पी.वी.) की स्थापना की जाएगी।

a. कम्पनी अधिनियम, 2013 की धारा 8 के अधीन एस.पी.वी. एक ‘गैर-लाभ अर्जक’ कम्पनी होगी,जिसके पास आईगॉट- कर्मयोगी प्लेटफॉर्म का स्वामित्त्व व प्रबंधन का जिम्मा होगा। 

b. एस.पी.वी. विषय-वस्तु का निर्माण और संचालन करेगी और यह विषय-वस्तु वैधीकरण, स्वतंत्र निरीक्षण आकलन एवं टेलीमिट्री डेटा उपलब्धता से सम्बंधित आईगॉट-कर्मयोगी प्लेटफॉर्म की प्रमुख व्यावसायिक सेवाओं का प्रबंधन करेगी।

c. एस.पी.वी. ही भारत सरकार की ओर से सभी बौद्धिक सम्पदा अधिकारों का स्वामित्त्व रखेगी।

    • मंत्रिमंडलीय सचिव की अध्यक्षता में एक ‘समन्वय इकाई’
  • इस मिशन के तहत प्रशिक्षण कार्यक्रम सभी प्रकार की सेवाओं में सहायक अनुभाग अधिकारी से लेकर सचिव स्तर तक के सिविल सेवकों के लिये उपलब्ध होगा।
  • सरकार और प्रशासन में मानव संसाधन प्रबंधन प्रथाओं में मौलिक सुधार और सिविल सेवकों की क्षमता सम्वर्धन के लिये स्टेट ऑफ़ आर्ट (अत्याधुनिक) अवसंरचना का उपयोग किया जाएगा। यह समग्र योजना व्यक्तिगत और संस्थागत क्षमता निर्माण पर ध्यान केंद्रित करेगा।

मुख्य विशेषताएँ

  • एन.पी.सी.एस.सी.बी. को सिविल सेवकों के लिये क्षमता विकास कीआधारशिला रखने हेतु बनाया गया है ताकि वे विश्व की श्रेष्ठ पद्धतियों से सीखते हुए भारतीय संस्कृति व संवेदनाओं से जुड़े रहें।
  • इस कार्यक्रम केमुख्य  मार्गदर्शक सिद्धांत निम्नासनुसार होंगे:

1. ‘नियम आधारित’ (Rule-Based)मानव संसाधन प्रबंधन से ‘भूमिका आधारित’ (Role-Based) प्रबंधन के परिवर्तन हेतु सहयोग प्रदान करना। सिविल सेवकों को उनके पद की आवश्यकताओं के अनुसार आवंटित कार्य को उनकी क्षमताओं के साथ जोड़ना।
2. ‘ऑफ-साइट सीखने की पद्धति’ को बेहतर बनाते हुए ‘ऑन-साइट सीखने की पद्धति’ पर ज़ोर देना।
3. शिक्षण सामग्री, संस्थानों तथा कार्मिकों सहित साझा प्रशिक्षण अवसंरचना परितंत्र का निर्माण करना।
4. सिविल सेवा से सम्बंधित सभी पदों को भूमिकाओं, गतिविधियों तथा दक्षता के ढाँचे सम्बंधी दृष्टिकोण (FRACs) के साथ अद्यतन करना।
5. सभी सिविल सेवकों को अपनी व्यवहारात्मक, कार्यात्मक और कार्यक्षेत्र से सम्बंधित दक्षताओं को निरंतर विकसित एवं सुदृढ़ करने का अवसर उपलब्ध कराना।
6. सार्वजनिक प्रशिक्षण संस्थानों, विश्वविद्यालयों, स्टार्ट-अप और एकल विशेषज्ञों सहित सीखने की प्रक्रिया सम्बंधी सर्वोत्तम विषय-वस्तु् के निर्माताओं को प्रोत्साहित करना और उनके साथ साझेदारी करना।
7. क्षमता विकास, विषय-वस्तु निर्माण, उपयोगकर्ता फीडबैक और दक्षताओं की मैपिंग एवं नीतिगत सुधारों के लिये क्षेत्रों की पहचान के सम्बंध में आईगॉट-कर्मयोगी द्वारा प्रदान किये गए आँकड़ों का विश्लेषण करना।

क्षमता विकास आयोग का उद्देश्य

  • इस मिशन के तहत एक क्षमता विकास आयोग स्थापित करने का भी प्रस्ताव है, ताकि सहयोगात्मक और सह-साझाकरण के आधार पर क्षमता विकास परिवेश या व्यवस्था के प्रबंधन और नियमन में एकसमान दृष्टिकोण सुनिश्चित किया जा सके।
  • आयोग की भूमिका निम्नानुसार होगी-

1. वार्षिक क्षमता विकास योजनाओं का अनुमोदन करने में मानव संसाधन परिषद की सहायता करना।
2. सिविल सेवा क्षमता विकास से जुड़े सभी केंद्रीय प्रशिक्षण संस्थानों का कार्यात्मक पर्यवेक्षण करना। 
3. आंतरिक एवं बाह्य संकाय और संसाधन केंद्रों सहित साझा शिक्षण संसाधनों को सृजित करना।
4. हितधारक विभागों के साथ क्षमता विकास योजनाओं के कार्यान्वयन के लिये समन्वय और पर्यवेक्षण करना।
5. प्रशिक्षण एवं क्षमता विकास, शिक्षण शास्त्र और पद्धति के मानकीकरण पर सिफारिशें पेश करना।
6. सभी सिविल सेवाओं में करियर के मध्‍य में सामान्य प्रशिक्षण कार्यक्रमों के लिये मानदंड निर्धारित करना।
7. सरकार को मानव संसाधन के प्रबंधन और क्षमता विकास के क्षेत्रों में आवश्यक नीतिगत उपाय सुझाना।

मिशन कर्मयोगी का उद्देश्य व महत्त्वkaramyogi

  • मिशन कर्मयोगी का उद्देश्य पारदर्शिता और प्रौद्योगिकी के माध्यम से सिविल सेवकों को एक आदर्श कर्मयोगी के रूप में राष्ट्र की सेवा करने के लिये भविष्य में उन्हें रचनात्मक, सर्जनात्मक, नवीन, सक्रिय और तकनीकी रूप से सशक्त बनाना है।
  • उन्नयन और सुधार- मिशन कर्मयोगी का घोषित उद्देश्य लगातार क्षमता निर्माण, टैलेंट पूल को अद्यतन करने और सभी स्तरों पर सरकारी अधिकारियों के व्यक्तिगत और व्यावसायिक विकास और सम्मान के लिये समान अवसर प्रदान करने हेतु एक तंत्र प्रदान करना है।
  • दक्षतापूर्ण सार्वजनिक सेवा प्रदान करने के लिये व्यक्तिगत, संस्थागत और प्रक्रिया के स्तरों पर क्षमता विकास व्यवस्था में व्यापक सुधार करना।
  • यह अधिकारियों द्वारा बंद कमरों (Silos) में कार्य निष्पादन की संस्कृति को समाप्त करेगा और नई कार्य संस्कृति को जन्म देगा। साथ ही देश भर में फैले संस्थानों के कारण प्रशिक्षण पाठ्यक्रम की बहुलता और अंतर को दूर करने का भी एक प्रयास है।

वित्तीय व्यय

  • लगभग 46 लाख केंद्रीय कर्मचारियों को कवर करने के लिये वर्ष 2020-2021 से लेकर 2024-25 तक 5 वर्षों की अवधि के दौरान 510.86 करोड़ रुपये की धनराशि व्यय कीजाएगी।
  • विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक सहित बहुपक्षीय एजेंसियों से $ 50 मिलियन की प्रारम्भिक निधि प्राप्त होगी।
  • सभी सरकारी विभाग उनके लिये काम करने वाले प्रत्येक सिविल सेवक के लिये एस.पी.वी. की सदस्यता शुल्क के रूप में 431 रुपये वार्षिक का योगदान करेंगे।

निष्कर्ष

सिविल सेवाओं की क्षमता दरअसल सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदान करने, कल्याणकारी कार्यक्रमों को लागू करने और गवर्नेंस से जुड़े मुख्य कार्यों को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। कार्य संस्कृति में रूपांतरण को व्यवस्थित रूप से जोड़कर, सार्वजनिक संस्थानों का सुदृढ़ीकरण कर और सिविल सेवा क्षमता के निर्माण के लिये आधुनिक प्रौद्योगिकी को अपनाकर सिविल सेवा क्षमता में रूपांतरणकारी बदलाव किये जाने का प्रस्ताव है, ताकि नागरिकों को प्रभावकारी रूप से सेवाएँ मुहैया कराना सुनिश्चित किया जा सके।

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