प्रयागराज में महाकुंभ- 2025 के आयोजन के भाग के रूप में कचरे के ढेर को मियावाकी पद्धति का उपयोग करके पिछले दो वर्षों में लगभग 56,000 वर्ग मीटर क्षेत्र को घने जंगल में रूपांतरित किया गया।
मियावाकी पद्धति के बारे
- क्या है : वर्ष 1970 के दशक में वनस्पतिशास्त्री अकीरा मियावाकी द्वारा विकसित वृक्षारोपण की जापानी पद्धति
- इसे प्रायः ‘पॉट प्लांटेशन विधि’ (Pot Plantation Method) के रूप में जाना जाता है।
- प्रक्रिया : तीव्र वृद्धि के लिए वृक्षों एवं झाड़ियों को एक-दूसरे के करीब आरोपित (लगाने) करना
- विशेषता : वृक्षों की देशी प्रजातियों का उपयोग करके प्राकृतिक जंगलों की तरह उगाया जाना और पौधे का तुलनात्मक रूप से 10 गुना तेजी से वृद्धि होना
- महत्त्व : शहरी क्षेत्रों में हरित क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण व्यावहारिक समाधान प्रदान करना
मियावाकी पद्धति के लाभ
- मृदा का कटाव को कम होना एवं उसकी गुणवत्ता में सुधार आना
- पारंपरिक वनों की तुलना में अधिक कार्बन अवशोषण करना
- वायु गुणवत्ता में सुधार होना
- जैवविविधता में वृद्धि
- जल प्रदूषण में नियंत्रण
- पारिस्थितिक संतुलन को बढ़ावा
- घने जंगलों के तीव्र विकास से गर्मियों में दिन व रात के तापांतर को कम करने में सहायक होना
- विभिन्न जानवरों एवं पक्षियों को आवास प्रदान होना