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मोटापा एवं मधुमेह प्रबंधन में सहायक मौंजारो दवा

(प्रारंभिक परीक्षा : सामान्य विज्ञान)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3 : विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- विकास एवं अनुप्रयोग और रोज़मर्रा के जीवन पर इसका प्रभाव, नैनो-टैक्नोलॉजी, बायो-टैक्नोलॉजी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित विषयों के संबंध में जागरुकता)  

संदर्भ 

अमेरिकी फार्मास्युटिकल कंपनी एली लिली (Eli Lilly) ने भारत में वजन घटाने और टाइप 2 मधुमेह को नियंत्रित करने के लिए मौंजारो (Mounjaro) दवा लॉन्च की है। भारतीय दवा नियामक केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने इस दवा को पहले ही मंजूरी दे दी है।

मौंजारो (Mounjaro) दवा के बारे में 

  • मौंजारो में सक्रिय औषधीय घटक (API) के रूप में टिर्ज़ेपेटाइड (Tirzepatide) का प्रयोग किया गया है। विदित है कि ‘मौंजारो’ को टाइप 2 मधुमेह की दवा के रूप में लॉन्च किया गया था। हालाँकि, वजन कम करने में सहायक होने के कारण इस दवा का बड़े पैमाने पर ऑफ-लेबल उपयोग शुरू हो गया था।
    • अनुमोदित उद्देश्य से भिन्न उद्देश्य के लिए दवा लिखने (देने) की प्रथा को ऑफ-लेबल प्रिस्क्रिप्शन (Off-label Prescription) कहते हैं।

सक्रिय औषधीय घटक (API)

  • प्रत्येक दवा दो मुख्य घटकों (अवयवों) से बनी होती है। इसमें से एक घटक है रासायनिक रूप से सक्रिय ए.पी.आई.। यह एक ऐसा घटक (पदार्थ) है जो किसी बीमारी के उपचार के लिए जिम्मेदार होता है। ए.पी.आई. को मुख्य या केंद्रीय घटक माना जा सकता है।
  • दूसरा अवयव है रासायनिक रूप से निष्क्रिय (Excipients) घटक। यह एक ऐसा पदार्थ होता है जो ए.पी.आई. के प्रभाव को शरीर के किसी हिस्से या किसी प्रणाली में पहुँचाता है। इन दोनों घटकों को मिलाकर ही किसी औषधि का फ़ॉर्मूला तैयार किया जाता है।
  • ए.पी.आई. एक रासायनिक यौगिक है जो किसी दवा को अंतिम रूप से उत्पादित करने के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण कच्चा माल है। ए.पी.आई. ही किसी बीमारी के उपचार के लिये आवश्यक प्रभाव उत्पन्न करता है।
    • उदाहरणस्वरुप पैरासिटामॉल, क्रोसिन के लिये एक ए.पी.आई. है और यह पैरासिटामॉल ए.पी.आई. ही शरीर में दर्द व बुखार से राहत प्रदान करता है, जबकि एम.जी. (mg) किसी दवा में उपस्थित सक्रिय औषधीय अवयव (ए.पी.आई.) की मात्रा प्रदर्शित करती है। क्रोसिन 450 mg का अर्थ है कि इस टेबलेट में 450 एम.जी. सक्रिय औषधीय अवयव है।
  • फिक्स्ड-डोज़ कॉम्बिनेशन ड्रग्स (औषधि) विभिन्न ए.पी.आई. का उपयोग करते हैं, जबकि क्रोसिन जैसी सिंगल-डोज़ ड्रग्स सिर्फ एक ए.पी.आई. का उपयोग करती हैं।

कार्यप्रणाली 

  • टिर्ज़ेपेटाइड एक पॉलीपेप्टाइड अर्थात सूक्ष्म प्रोटीन हैं जो शरीर में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले हार्मोन के स्तर को बढ़ाते हैं। इन हार्मोन में ग्लूकागन-लाइक-पेप्टाइड 1 (GLP-1) भी शामिल है जो मस्तिष्क एवं पाचन तंत्र के माध्यम से वजन को नियंत्रित करता है।
  • GLP-1 का अधिक उत्सर्जन न्यूरॉन्स को उत्तेजित करके एक प्रतिक्रिया उत्पन्न करता है जो आंत के कार्यप्रणाली को बदल देता है और इससे पेट भरे होने का अहसास होता है। इससे मस्तिष्क में भी ‘तृप्ति’ (Satiety : खाने की पर्याप्तता) का अहसास होता है।
  • यह ग्लूकोज के स्तर को प्रबंधित करने में भी मदद करती है जो मधुमेह के लिए एक प्रभावी उपचार है।
  • टिर्ज़ेपेटाइड GLP-1 रिसेप्टर्स को लक्षित करने के साथ-साथ ‘ग्लूकोज-डिपेंडेंट इंसुलिनोट्रोपिक पॉलीपेप्टाइड (GIP)’ हार्मोन में भी वृद्धि करता है।   
  • GIP मस्तिष्क एवं वसा कोशिकाओं में रिसेप्टर्स के माध्यम से वजन को भी नियंत्रित करता है।
    • GIP हार्मोन छोटी आंत से उत्सर्जित होता है जो भोजन के सेवन के बाद इंसुलिन के स्राव को बढ़ाता है। यह इंक्रीटिन नामक हार्मोन परिवार का सदस्य है जिसका दूसरा मुख्य सदस्य GLP-1 हार्मोन है।
  • इस दवा से वजन में कमी के साथ-साथ सभी कार्डियोमेटाबोलिक माप में भी सुधार होता है।

भारत में मोटापा और टाइप 2 मधुमेह 

  • भारत में मोटापा और टाइप 2 मधुमेह का दोहरा बोझ एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती के रूप में तेजी से उभर रहा है।
  • लैंसेट की रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में मधुमेह से पीड़ित कुल वयस्कों (82.8 करोड़) में से एक-चौथाई (21.2 करोड़) भारत में हैं। 
  • मोटापा मधुमेह के लिए एक प्रमुख जोखिम कारक है। इसके अलावा यह उच्च रक्तचाप, डिस्लिपिडेमिया, कोरोनरी हृदय रोग एवं ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया सहित 200 से अधिक स्वास्थ्य जटिलताओं से जुड़ा हुआ है।
  • वर्ष 2023 तक भारत में वयस्क मोटापे की दर लगभग 6.5% थी जो लगभग 100 मिलियन लोगों को प्रभावित करता है।

इसे भी जानिए! 

एक अनुमान के अनुसार, भारत में मोटापा-रोधी दवाओं का बाजार नवंबर 2020 में 137 करोड़ रुपए से बढ़कर नवंबर 2024 में 535 करोड़ रुपए हो गया है। वजन घटाने वाली अन्य दवाएँ राइबेलसस, डुलाग्लूटाइड, ऑर्लिसटैट एवं लिराग्लूटाइड आदि है। 

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