प्रारंभिक परीक्षा – मोटापा मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन, पेपर-3, स्वास्थ्य |
चर्चा में क्यों
लैंसेट में 29 फरवरी,2024 को प्रकाशित एक नए वैश्विक अध्ययन के अनुसार वर्ष 1990 के बाद से वयस्कों में मोटापे का प्रसार दोगुना से अधिक तथा 5 से 19 वर्ष की आयु के बच्चों और किशोरों में यह चार गुना अधिक हो गया है।
प्रमुख बिंदु
- इस अध्ययन के अनुसार वर्ष 1990 के बाद से सामान्य से कम वजन वाले लोगों की संख्या कम हो रही है और मोटापा अधिकतर देशों में कुपोषण का सबसे आम रूप बन गया है।
- यह अध्ययन पिछले 33 साल में कुपोषण के दोनों रूपों संबंधी वैश्विक रुझानों की विस्तृत तस्वीर पेश करता है।
- शोधकर्ताओं ने इस अध्ययन के लिए 190 से अधिक देशों का प्रतिनिधित्व करने वाले पांच वर्ष या उससे अधिक उम्र के 22 करोड़ से अधिक लोगों के वजन और लंबाई का विश्लेषण किया।
- इस अध्ययन में 1,500 से अधिक शोधकर्ताओं ने योगदान दिया।
- उन्होंने यह समझने के लिए शरीर द्रव्यमान सूचकांक(BMI) का विश्लेषण किया कि वर्ष 1990 से 2022 के बीच दुनिया भर में मोटापे और सामान्य से कम वजन की समस्या में क्या बदलाव आया है।
- इस अध्ययन में पाया गया कि 1990 से 2022 के बीच वैश्विक स्तर पर मोटापे की दर लड़कियों और लड़कों में चार गुना से अधिक हो गई है और यह चलन लगभग सभी देशों में देखा गया है।
- शोधकर्ताओं ने बताया कि सामान्य से कम वजन वाली लड़कियों का अनुपात 1990 में 10.3 प्रतिशत से गिरकर 2022 में 8.2 प्रतिशत हो गया और लड़कों का अनुपात 16.7 प्रतिशत से गिरकर 10.8 प्रतिशत हो गया है।
- लड़कियों में सामान्य से कम वजन की दर में कमी 44 देशों में देखी गई, जबकि लड़कों में यह गिरावट 80 देशों में देखी गई।
- मोटापा और कम वजन दोनों ही कुपोषण के रूप हैं और कई मायनों में लोगों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं।
- वर्ष 2022 में मोटापे से ग्रस्त वयस्कों की सबसे बड़ी संख्या वाले देश संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन और भारत थे।
- वर्ष 2022 में 15 करोड़ 90 लाख बच्चे एवं किशोर और 87 करोड़ 90 लाख वयस्क मोटापे की समस्या का सामना कर रहे हैं।
- अध्ययन में कहा गया है कि वयस्कों में मोटापे की दर महिलाओं में दोगुनी से अधिक और पुरुषों में लगभग तीन गुनी हो गई।
- एनसीडी जोखिम कारक सहयोग (NCD Risk Factor Collaboration) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के वैश्विक डेटा के विश्लेषण के अनुसार दुनियाभर के बच्चों और किशोरों में वर्ष 2022 में मोटापे की दर वर्ष 1990 की दर से चार गुनी अधिक रही।
भारत की स्थिति :
- द लैंसेट पेपर के अनुसार भारत में लड़कियों के लिए मोटापे की दर वर्ष 1990 में 0.1% से बढ़कर वर्ष 2022 में 3.1% और लड़कों के लिए 0.1% से 3.9% हो गई है।
- लड़कियों और लड़कों में मोटापे की श्रेणी के प्रसार के मामले में भारत वर्ष 2022 में दुनिया में 174वें स्थान पर है।
- महिलाओं में मोटापे की दर वर्ष 1990 में 1.2% से बढ़कर वर्ष 2022 में 9.8% हो गई और पुरुषों में यह बढ़ोतरी 0.5% से 5.4% थी।
- भारत में 20 वर्ष से अधिक उम्र की 44 मिलियन महिलाएं और 26 मिलियन पुरुष मोटापे से ग्रस्त पाए गए, यह आंकड़ा वर्ष 1990 में 2.4 मिलियन महिलाएं और 1.1 मिलियन पुरुष था।
- देश में वर्ष 2022 में 5 से 19 वर्ष की उम्र के 12.5 मिलियन बच्चे (7.3 मिलियन लड़के और 5.2 मिलियन लड़कियां) में अत्यधिक अधिक वजन वाले थे, जो वर्ष 1990 में यह संख्या 0.4 मिलियन से अधिक था।
- भारत कम वजन वाली लड़कियों के मामले में दुनिया में पहले स्थान पर है और लड़कों के मामले में दूसरे स्थान पर है।
- भारत में वर्ष 2022 में पांच से 19 वर्ष के बीच की लगभग 35 मिलियन लड़कियां और 42 मिलियन लड़के कम वजन वाले थे, जबकि वर्ष 1990 में 39 मिलियन लड़कियां और 70 मिलियन लड़के कम वजन वाले थे।
- वयस्कों में वर्ष 2022 में 61 मिलियन महिलाएं और 58 मिलियन पुरुष कम वजन वाले थे, जो वर्ष 1990 में 41.7 प्रतिशत से घटकर महिलाओं के लिए 13.7 प्रतिशत और पुरुषों के लिए 39.8 प्रतिशत से 12.5 प्रतिशत हो गया।
- भारत पर दुबलेपन और मोटापे दोनों का दोहरा बोझ है, जो देश में एक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य चुनौती बनी हुई है।
- मोटापे की महामारी को रोकने की ज़रूरत है जो वर्ष 1990 में दुनिया के अधिकांश हिस्सों में वयस्कों में स्पष्ट थी और अब स्कूल जाने वाले बच्चों और किशोरों में भी दिखाई दे रही है।
भारत के लिए रिपोर्ट की प्रासंगिकता:
- नए अध्ययन से पता चलता है कि भारत में 20 वर्ष से अधिक उम्र की 44 मिलियन महिलाएं और 26 मिलियन पुरुष मोटापे से ग्रस्त पाए गए।
- यह आंकड़ा वर्ष 1990 में 2.4 मिलियन महिलाएं और 1.1 मिलियन पुरुष था।
- भारत में महिलाओं के मोटापे के मामले में 197 देशों में 182 वें स्थान पर है। वहीं पुरुषों के मोटापे के मामले में 197 देशों में 180वें स्थान पर है।
- लड़कियों और लड़कों दोनों के मामलों में भारत दुनिया में 174वें स्थान पर है।
सभी आयु समूहों में मोटापा बढ़ने के कारण:
- पारंपरिक खाद्य पदार्थों और शारीरिक निष्क्रियता तथा आहार में बदलाव
- ऐसे आहार की ओर बढ़ गए हैं जिसमें ऊर्जा तो अधिक है लेकिन पोषक तत्व कम हैं।
- परिष्कृत कार्बोहाइड्रेट, उच्च वसा, मांस उत्पाद और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ का उपभोग।
- इसके अलावा कई व्यवहार संबंधी कारक भी बच्चों में मोटापे पर संभावित प्रभाव डाल सकते हैं।
महिलाओं में मोटापा तेजी से बढ़नें के कारण:
- इसका कारण सांस्कृतिक, सामाजिक-आर्थिक और जैविक कारक हैं।
- मोटापे एवं स्वास्थ्य प्रभावों और स्वस्थ जीवन शैली विकल्पों के बारे में स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा तक उनकी पहुंच सीमित है।
- इसके अलावा, गर्भावस्था और रजोनिवृत्ति सहित जैविक कारक, महिलाओं के वजन को विशिष्ट रूप से प्रभावित करती हैं।
उपाय
- खाने के व्यवहार को संयमित करना, खाने के पैटर्न में परिवर्तन करना।
- अतिरिक्त शर्करा का सेवन कम करना, खासकर जो सोडा, मीठी कॉफी, चाय और जूस जैसे पेय पदार्थों के माध्यम से लिया जाता है।
- किशोरों में मोटापे से निपटने के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है जिसमें सरकारी नीति, सामुदायिक पहल और व्यक्तिगत कार्रवाई शामिल करना।
- फिट और स्वस्थ रहने के लिए प्रतिदिन कम से कम 60 मिनट की शारीरिक गतिविधि करना।
- बच्चों को अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों की बिक्री, बच्चों पर लक्षित जंक फूड विज्ञापनों को प्रतिबंधित करना, स्पष्ट पोषण लेबलिंग और स्कूल कैफेटेरिया में स्वस्थ विकल्पों को बढ़ावा देना।
- इसके अलावा किफायती और स्वस्थ भोजन विकल्पों तक पहुंच।
- माता-पिता को अपने दैनिक घरेलू कार्यों में बच्चों को भी शामिल करना चाहिए।
WHO एक्सेलेरेशन योजना:
- डब्ल्यूएचओ ने मोटापे को रोकने के लिए WHO एक्सेलेरेशन योजना शुरू की है।
- इसे वर्ष 2022 में विश्व स्वास्थ्य सभा में सदस्य देशों द्वारा अपनाया गया।
- यह वर्ष 2030 तक मोटापे की महामारी से निपटने के लिए देशों को एक रोडमैप प्रदान करता है।
प्रश्न: निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- लैंसेट में 29 फरवरी,2024 को प्रकाशित एक नए वैश्विक अध्ययन के अनुसार वर्ष 1990 के बाद से वयस्कों में मोटापे का प्रसार दोगुना से अधिक हो गया है और 5 से 19 वर्ष की आयु के बच्चों और किशोरों में यह चार गुना हो गया है।
- द लैंसेट पेपर के अनुसार, भारत में लड़कियों के लिए मोटापे की दर वर्ष 1990 में 0.1% से बढ़कर वर्ष 2022 में 3.1% और लड़कों के लिए 0.1% से 3.9% हो गई है।
- रिपोर्ट के अनुसार मोटापा और कम वजन होना दोनों ही कुपोषण के रूप हैं।
उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं ?
(a) केवल एक
(b) केवल दो
(c) सभी तीनों
(d) कोई भी नहीं
उत्तर: (c)
मुख्य परीक्षा प्रश्न : हाल ही में मोटापे पर जारी लांसेट अध्ययन रिपोर्ट के प्रमुख निहितार्थों का उल्लेख कीजिए।
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स्रोत: THE HINDU