प्रारंभिक परीक्षा- अविश्वास प्रस्ताव, विश्वास प्रस्ताव, अविश्वास प्रस्ताव का इतिहास मुख्य परीक्षा- सामान्य अध्ययन, पेपर-2 |
चर्चा में क्यों-
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने मणिपुर हिंसा पर नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को 26 जुलाई 2023 को स्वीकार कर लिया।
अविश्वास प्रस्ताव क्या है-
- अविश्वास प्रस्ताव वह प्रक्रिया है, जिसके तहत विपक्षी दल सरकार के पास पर्याप्त संख्या में बहुमत नहीं होने की चुनौती दे सकते हैं।
अविश्वास प्रस्ताव के बारे में अहम बातें-
- अविश्वास प्रस्ताव को सिर्फ लोक सभा में ही लाया जा सकता है, क्योंकि मंत्रिपरिषद सिर्फ लोक सभा के प्रति जिम्मेदार होती है।
- प्रस्ताव के समर्थन में 50 सदस्यों की सहमति जरूरी होती है। हालाँकि इसे सदन के किसी भी सदस्य द्वारा लाया जा सकता है।
- यह पूरी मंत्रिपरिषद के विरुद्ध लाया जाता है।
- यदि प्रस्ताव लोकसभा में पारित हो जाये तो पूरी मंत्रिपरिषद को इस्तीफ़ा देना पड़ता है।
अविश्वास प्रस्ताव कैसे लाया जाता है-
- लोकसभा की प्रक्रिया और आचरण के मानदंडों के नियम 198 के अनुसार, विपक्ष को लोकसभा में मतदान से पहले अविश्वास प्रस्ताव के अपने अनुरोध के लिए औचित्य प्रदान करने की आवश्यकता नहीं है।
- अविश्वास प्रस्ताव की पूरी प्रक्रिया लोकसभा की प्रक्रिया व कार्य संचालन प्रणाली के नियम 198 (1) से नियम 198 (5) तक के तहत पूरी की जाती है। यह प्रक्रिया निम्न तरीके से पूरी होती है-
- नियम 198 (1) (क) के तहत अविश्वास प्रस्ताव पेश करने वाले सांसद को पहले स्पीकर के जरिये सदन की अनुमति लेनी पड़ती है।
- सदन की अनुमति के लिए नियम 198 (1) (ख) के मुताबिक, प्रस्ताव की जानकारी सुबह 10 बजे से पहले लोकसभा के महासचिव को देनी पड़ती है।
- नियम 198 (2) के तहत प्रस्ताव के साथ सांसद को 50 सांसदों के समर्थन वाले हस्ताक्षर दिखाने होते हैं।
- नियम 198 (3) के तहत लोकसभा स्पीकर से प्रस्ताव को अनुमति मिलने के बाद उस पर चर्चा का दिन तय होता है। चर्चा प्रस्ताव पेश होने के 10 दिन के अंदर करानी होती है।
- नियम 198 (4) के तहत अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के अंतिम दिन स्पीकर वोटिंग कराते हैं और उस आधार पर फैसला होता है।
- नियम 198(5) के तहत अध्यक्ष को टिप्पणी के लिए समय सीमा निर्धारित करने का अधिकार है। यदि प्रस्ताव सदन द्वारा अनुमोदित हो जाता है तो सरकार को इस्तीफा देना पड़ता है ।
अविश्वास प्रस्ताव का इतिहास-
- अब तक लोक सभा में 27 बार अविश्वास प्रस्ताव रखे जा चुके हैं।
- लोक सभा में सबसे पहला अविश्वास प्रस्ताव अगस्त 1963 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की सरकार के खिलाफ जे बी कृपलानी ने पेश किया था। लेकिन विपक्ष सरकार गिराने में नाकाम हो गया था, क्योंकि इस प्रस्ताव के पक्ष में केवल 62 वोट पड़े और विरोध में 347 वोट।
- वर्ष 1978 में लाये गए अविश्वास प्रस्ताव ने मोरारजी देसाई सरकार को गिरा दिया था।
- अब तक सबसे ज्यादा 4 बार अविश्वास प्रस्ताव पेश करने का रिकॉर्ड माकपा सांसद ज्योतिर्मय बसु के नाम है। उन्होंने अपने चारों प्रस्ताव इंदिरा गांधी सरकार के खिलाफ रखे थे।
- सबसे ज्यादा अविश्वास प्रस्ताव का सामना करने वाली भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सरकार है। इंदिरा गांधी सरकार के खिलाफ 15 अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गये थे।
- इसके अलावा पी॰ वी॰ नरसिम्हा राव और लाल बहादुर शास्त्री की सरकारों ने तीन-तीन बार अविश्वास प्रस्ताव का सामना किया था।
- पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने एक बार इंदिरा गाँधी सरकार और दूसरी बार पी॰ वी॰ नरसिम्हा राव सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था ।संयोग की बात है कि अटल सरकार के खिलाफ भी दो बार (1996, 1998) अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया था और वे दोनों बार हार गये थे.
- 2018 में नरेंद्र मोदी सरकार के विरुद्ध लाया गया था।
विश्वास प्रस्ताव -
यह प्रस्ताव सत्ता पक्ष लेकर आता है .यह प्रस्ताव केंद्र में प्रधानमंत्री और राज्य में मुख्यमंत्री पेश करते हैं। सरकार के बने रहने के लिए इस प्रस्ताव का पारित होना आवश्यक है। प्रस्ताव पारित नहीं हुआ तो सरकार गिर जाएगी। यह दो परिस्थितियों में लाया जाता है –
1.जब सरकार को समर्थन देने वाले घटक समर्थन वापस लेने का ऐलान कर दें, ऐसे में राष्ट्रपति या राज्यपाल प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री को सदन का भरोसा प्राप्त करने को कह सकते हैं।
2.अगर लोकसभा अध्यक्ष या स्पीकर अविश्वास प्रस्ताव को मंजूरी दे देते हैं, तो प्रस्ताव पेश करने के 10 दिनों के अंदर इस पर चर्चा जरुरी है।
विश्वास और अविश्वास प्रस्ताव में अंतर-
- विश्वास प्रस्ताव और अविश्वास प्रस्ताव दोनों संसदीय प्रक्रिया के अंग हैं, जिसके तहत सदन में सरकार के बहुमत की परीक्षा की जाती है
- अविश्वास प्रस्ताव विपक्षी दलों द्वारा लाया जाता है ,जबकि विश्वास प्रस्ताव सत्ता पक्ष द्वारा ।
- किन्हीं विशेष परिस्थितियों में राष्ट्रपति या राज्यपाल भी सरकार से सदन में विश्वास प्राप्त करने के लिए कह सकते हैं। ऐसे में सरकार विश्वास मत जीत जाती है, तो 15 दिन बाद विपक्ष दोबारा अविश्वास प्रस्ताव ला सकता है ।
- संसदीय प्रावधान के अनुसार, एक बार अविश्वास प्रस्ताव लाने के 6 महीने बाद ही दोबारा अविश्वास प्रस्ताव विपक्ष द्वारा लाया जा सकता है।
प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रश्न-
प्रश्न- अविश्वास प्रस्ताव के बारे में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही नहीं है ?
(a) प्रस्ताव के समर्थन में 50 सदस्यों की सहमति जरूरी होती है। (b) अविश्वास प्रस्ताव विपक्षी दलों द्वारा लाया जाता है। (c) इसे सदन के किसी भी सदस्य द्वारा लाया जा सकता है। (d) इसे संसद के किसी भी सदन में लाया जा सकता है ।
उत्तर- (d)
मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न-
प्रश्न- अविश्वास प्रस्ताव किस प्रकार सरकार पर नियंत्रण रखता है? मूल्यांकन करें ।
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