(प्रारम्भिक परीक्षा, सामान्य अध्ययन: प्रौद्योगिकी, सुरक्षा, अंतर्राष्ट्रीय संबंध) |
चर्चा में क्यों?
- हाल ही में भारतीय सेना और वायु सेना ने उत्तर प्रदेश के सरसावा और गोरखपुर हवाई अड्डों पर एमक्यू-9बी प्रीडेटर ड्रोन तैनात करने का फैसला लिया है।
- इसका उद्देश्य लद्दाख से अरुणाचल प्रदेश तक चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा पर निगरानी क्षमताओं को बढ़ाना है।

ख़बर में और क्या है?
- एमक्यू-9बी ड्रोन भारत संयुक्त राज्य अमेरिका से खरीदेगा। इस अनुबंध पर जून में हस्ताक्षर होने की संभावना है।
- इसे दो राज्यों में तैनात किया जाएगा: तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश।
- कुल 31 एमक्यू-9बी प्रीडेटर्स, जिसमें से भारतीय नौसेना के लिए 15 तथा भारतीय सेना और भारतीय वायु सेना के लिए आठ-आठ होगा।
- इसकी कुल लागत लगभग 4 बिलियन डॉलर होगी और इसकी पहली डिलीवरी वर्ष 2026 के अंत तक प्राप्त होने की संभावना है।
एमक्यू-9बी प्रीडेटर ड्रोन के बारे में:
- यह एक उच्च-ऊंचाई एवं लंबे समय तक संचालन क्षमता वाला सशस्त्र मानव रहित हवाई वाहन (UAV) है, जो दूर से नियंत्रित या स्वायत्त उड़ान संचालन में सक्षम है।
- विकास: एमक्यू-9बी प्रीडेटर ड्रोन जनरल एटॉमिक्स एयरोनॉटिकल सिस्टम्स (GA-ASI) द्वारा विकसित एमक्यू-9 "रीपर" का एक प्रकार है, जिसका उपयोग अमेरिकी वायु सेना और उसके नाटो सहयोगियों द्वारा किया जाता है।
- इसके दो वेरिएंट हैं- स्काईगार्डियन और सीगार्डियन जो वर्ष 2020 से भारतीय नौसेना द्वारा परिचालन में है।
विशेषताएँ:
- एमक्यू-9बी ड्रोन की 5,670 किलोग्राम तक की प्रभावशाली वहन क्षमता और 2,721 किलोग्राम की ईंधन क्षमता भी इसकी परिचालन क्षमताओं को बढ़ाती है।
- यह ड्रोन मारक मिसाइलों से लैस है, जो इसे उच्च सटीकता के साथ दुश्मन के लक्ष्यों पर हमला करने में सक्षम बनाता है।
- यह प्रीडेटर ड्रोन परिचालन लचीलापन प्रदान करते हुए स्वचालित टेक-ऑफ और लैंडिंग में सक्षम है।
- इसके अलावा, यह सुरक्षित रूप से नागरिक हवाई क्षेत्र में एकीकृत हो सकता है, जिससे संयुक्त बलों और नागरिक अधिकारियों को दिन या रात में समुद्री क्षेत्र में वास्तविक समय स्थितिजन्य जानकारी प्राप्त करने में सक्षम बनाया जा सकता है।