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‘म्यूकॉरमाइकोसिस’ (ब्लैक फंगस)

(प्रारंभिक परीक्षा : सामान्य विज्ञान)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र– 3 : विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- विकास एवं अनुप्रयोग और रोज़मर्रा के जीवन पर इसका प्रभाव)

संदर्भ

हाल-फिलहाल में दिल्ली, महाराष्ट्र तथा गुजरात में ब्लैक फंगस के कई मामले सामने आए हैं। इसके बाद ‘राष्ट्रीय कोविड-19 टास्क फोर्स’ ने इस रोग से संबंधित साक्ष्य-आधारित दिशा-निर्देश जारी किये हैं।

ब्लैक फंगस

  • म्यूकॉरमाइकोसिस’ (Mucormycosis) एक दुर्लभ, किंतु गंभीर कवक संक्रमण है। इसे बोलचाल की भाषा में ‘ब्लैक फंगस’ के नाम से जाना जाता है। यह एक श्लेष्मा संबंधी विकार है। कोविड-19 से संक्रमित रोगियों में इसके लक्षण अपेक्षाकृत अधिक पाए जा रहे हैं।
  • यह वातावरण में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले ‘म्यूकॉरमाइसेट्स’ (Mucormycetes) नामक कवक समूह के कारण उत्पन्न होता है। यह मुख्यतः उन लोगों को प्रभावित करता है, जो स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के कारण पहले से किसी दवा का सेवन कर रहे हैं और पर्यावरणीय रोगजनकों के प्रति उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो गई है।
  • वैसे तो इसका आरंभ शरीर के किसी भी हिस्से से हो सकता है, लेकिन सामान्यतः इस रोग की शुरुआत त्वचा से होती है तथा यह फेफड़ों व मस्तिष्क को भी प्रभावित करता है।

रोग के लक्षण  

  • इस रोग के लक्षण शरीर के विभिन्न भागों में हुए संक्रमण पर निर्भर करते हैं। इसके लक्षणों में चेहरे पर सूजन, सिरदर्द, सामान्य तथा खूनी उल्टी, नाक बंद होना, बुखार, खाँसी, साँस लेने में तकलीफ, मानसिक स्थिति में बदलाव, मुँह के अंदर ऊपरी हिस्से में तथा नाक के आसपास दर्द और लालिमा तथा काले गंभीर घाव होना आदि शामिल हैं।
  • यह रोग लंबे समय से स्टीरॉयड का इस्तेमाल करने वाले मधुमेह, कैंसर आदि रोगियों के साथ-साथ प्रिमैच्योर बेबी को भी अधिक प्रभावित करता है। ध्यातव्य है कि कोरोना के रोगियों को स्टीरॉयड दिये जाते हैं।
  • कोरोना के कारण व्यक्ति का प्रतिरक्षा तंत्र अत्यंत कमज़ोर हो जाता है, यदि उच्च मधुमेह का कोई रोगी को कोरोना से ग्रसित हो जाता है, तो उसका प्रतिरक्षा तंत्र और अधिक कमज़ोर हो जाता है। इन रोगियों में ब्लैक फंगस के संक्रमण की संभावना अत्यधिक हो जाती है।
  • यह कोई संचारी रोग नहीं है अर्थात् इसका संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं होता है। इस रोग के कारण होने वाली मृत्यु दर 54% है तथा शरीर के विभिन्न भागों में हुए संक्रमण के अनुसार इसमें कमी या वृद्धि हो सकती है।
  • उदाहरण के लिये, साइनस संक्रमण के दौरान मृत्यु दर 46% तथा फेफड़ों का संक्रमण होने पर यह 76% तक हो सकती है। अमेरिकी संस्था ‘सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन’ की रिपोर्ट के अनुसार, विश्व में होने वाले तमाम संक्रमणों में से सिर्फ 2% संक्रमण ही ‘म्यूकॉरमाइकोसिससंक्रमण होते हैं।
  • यह कवक संक्रमण शरीर के जिस भाग में विकसित होता है, उसे पूर्णतया समाप्त कर देता है। सिर में इस संक्रमण से ब्रेन ट्यूमर सहित कई अन्य रोगों का खतरा बना रहता है, जिससे व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है।

उपचार

  • इसके उपचार के लिये कवकरोधी दवाओं का उपयोग किया जाता है, किंतु रोग के अत्यधिक बढ़ जाने की स्थिति में सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है। इस अवस्था में मधुमेह को नियंत्रित करना, स्टीरॉयड का उपयोग कम करना तथा  इम्यूनोमॉड्यूलेटिंग दवाओं का उपयोग पूर्णतः बंद करना अत्यावश्यक होता है।
  • समय रहते पता लगने पर इसका इलाज संभव है। कोरोना प्रभाव से ठीक हुए रोगियों को निरंतर स्वास्थ्य परीक्षण कराते रहना चाहिए। यदि किसी भी प्रकार के संक्रमण के लक्षण दिखाई देते है, तो तत्काल डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिये।
  • बेहतर प्रतिरक्षा तंत्र वाले व्यक्तियों पर इसका प्रभाव बहुत कम अथवा न के बराबर होता है।
  • टास्क फोर्स के विशेषज्ञों ने कोविड -19 उपचार के बाद रोगमुक्त हुए व्यक्तियों व मधुमेह रोगियों में हाइपरग्लाइसेमिया को नियंत्रित करने तथा रक्त शर्करा के स्तर की निगरानी करने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया है। इसके अलावा, स्टीरॉयड का विवेकपूर्ण उपयोग किये जाने पर भी बल दिया है।
  • इसकी रोकथाम के लिये धूल भरे स्थानों में मास्क का प्रयोग करने, बागवानी तथा जल लीकेज वाले स्थानों पर पूरे वस्त्रों, जूतों एवं दस्तानों का प्रयोग कर शरीर को पूरा ढकने तथा व्यक्तिगत स्वच्छता का विशेष ध्यान रखने की सलाह दी गई है।
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