संदर्भ
हाल ही में, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण, कोलकाता के द्वारा किये गए एक अध्ययन में, वर्ष 2017 में जयपुर के समीप स्थित मुकुंदपुरा गाँव में गिरे एक उल्कापिंड की खनिज संबंधी विशेषताओं पर प्रकाश डाला गया है।
मुख्य बिंदु
- मुकुंदपुरा सी.एम.2 उल्कापिंड को कार्बोनिसिअस चोंडराईट (Carbonaceous Chondrite) के रूप में वर्गीकृत किया गया था, जिसकी संरचना सूर्य के समान है।
- यह एक प्रकार का स्टोनी उल्कापिंड है, जिसे सबसे प्राचीन उल्कापिंड माना जाता है, जो सौर मंडल में जमा होने वाले सबसे प्राचीन ठोस पिंडों का अवशेष है।
- उल्कापिंडों को मोटे तौर पर तीन वर्गों में वर्गीकृत किया जाता है - स्टोनी (सिलिकेटयुक्त), आयरन (Fe-Ni मिश्र धातु), और स्टोनी-आयरन (सिलिकेट-लौह धातु का मिश्रण)।
- चोंडराईट सिलिकेट-ड्रॉपलेट-बेयरिंग उल्कापिंड (silicate-droplet-bearing meteorites) होते हैं, तथा मुकुंदपुरा चोंडराईट भारत में गिरने के वाला पाँचवा सबसे बड़ा कार्बोनसियस उल्कापिंड है।
- मुकुंदपुरा सी.एम. 2 अध्ययन के परिणाम पृथ्वी के निकट अवस्थित क्षुद्रग्रहों रयुगु (Ryugu) और बेन्नू (Bennu) की सतह संरचना के अध्ययन के लिये प्रासंगिक हैं।