संदर्भ
हाल ही में, केरल उच्च न्यायालय ने मुल्लापेरियार बांध की निगरानी एवं नियंत्रण से संबंधित स्थिति पर केरल व तमिलनाडु सरकारों से अपने विचार स्पष्ट करने को कहा है।
मुल्लापेरियार बांध
- अवस्थिति : केरल-तमिलनाडु सीमा पर पश्चिमी घाट की कार्डमम पहाड़ियों में इडुक्की जिले में कुमिली के पास मुल्लायार एवं पेरियार नदियों के संगम पर
- उद्देश्य : पश्चिम की ओर प्रवाहित होने वाली पेरियार नदी के पानी को पूर्व की ओर तमिलनाडु के थेनी, मदुरै, शिवगंगा एवं रामनाथपुरम जिले के शुष्क वृष्टि छाया क्षेत्रों की ओर मोड़ना
- यह बांध सिंचाई एवं पेयजल आवश्यकताओं के लिए पेरियार नदी (केरल) के पानी को तमिलनाडु के वैगई बेसिन की ओर मोड़ता है।
- विशिष्टता : पेरियार टाइगर रिज़र्व इस बांध के चारों तरफ स्थित है। यह बांध 155 फीट ऊंचा एवं 1200 फीट लंबा है।
- निर्माण : पेनीकुइक के नेतृत्व में ब्रिटिश कोर ऑफ रॉयल इंजीनियर्स द्वारा
संबंधित मुद्दा
- इस बांध की सुरक्षा एवं परिचालन नियंत्रण केरल व तमिलनाडु के बीच लंबे समय से विवाद का विषय रहा है।
- यह बांध केरल में स्थित है किंतु इसका संचालन व रखरखाव तमिलनाडु द्वारा किया जाता है। यह बांध दक्षिणी तमिलनाडु को कृषि व पेयजल के लिए जलापूर्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। तमिलनाडु बांध की सुरक्षा एवं जलापूर्ति के लिए इसके महत्व पर जोर देता है।
- केरल जलवायु जनित आपदाओं के कारण संभावित दरारों से उत्पन्न खतरे को लेकर चिंतित है।
- यह बांध विशेष रूप से भूस्खलन जैसी हालिया जलवायु-जनित आपदाओं तथा भूकंपीय दृष्टि से सक्रिय क्षेत्र में स्थित है जिससे इसकी सुरक्षा को लेकर चिंताएँ बढ़ जाती हैं।
- इसके जल स्तर को 142 फीट तक बढ़ाने के वर्ष 2014 के सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का समर्थन तमिलनाडु द्वारा किया जा रहा है जबकि केरल बांध को होने वाले नुकसान और पर्यावरण संबंधी चिंताओं के कारण इसे 139 फीट पर बनाए रखने पर सहमत है।