चर्चा में क्यों?
हाल ही में, केंद्र सरकार ने सभी राज्यों से ‘मल्टी एजेंसी सेंटर’ (मैक) के माध्यम से अधिक से अधिक खुफिया जानकारी साझा करने का निर्देश दिया है।
प्रमुख बिंदु
- वर्ष 2020 में संसद की स्थायी समिति की रिपोर्ट के अनुसार, मल्टी एजेंसी सेंटर के कामकाज में तब व्यवधान उत्पन्न होता है, जब विभिन्न राज्यों द्वारा इस मंच पर सही समय पर सही जानकारी साझा नहीं की जाती है।
- हालाँकि, सेंटर को ज़िला स्तर तक जोड़ने की योजना लगभग एक दशक से चल रही है। लेकिन इसे प्रभावी तरीके से लागू नहीं किया गया था।
- केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा आई.बी. के साथ चरणबद्ध तरीके से ज़िलों में सहायक ‘मल्टी एजेंसी सेंटर’ की कनेक्टिविटी का विस्तार करने का प्रयास किया जा रहा है।
मल्टी एजेंसी सेंटर
- मल्टी एजेंसी सेंटर, इंटेलिजेंस ब्यूरो के तहत कार्यरत एक सामान्य आतंकवाद-रोधी ग्रिड है। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है।
- इसे कारगिल समीक्षा समिति की रिपोर्ट और मंत्रियों के समूह की रिपोर्ट के सुझावों के अनुसार वर्ष 2001 में कारगिल युद्ध के बाद शुरू किया गया था।
- राज्य कार्यालयों को ‘सहायक मल्टी एजेंसी सेंटर’ के रूप में नामित किया गया है।
- इसमें रक्षा खुफिया एजेंसी (डी.आई.ए.), रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ), सशस्त्र बल और राज्य पुलिस सहित 28 संगठन शामिल हैं।
कार्य
- विभिन्न सुरक्षा एजेंसियाँ मल्टी एजेंसी सेंटर पर रीयल टाइम इंटेलिजेंस इनपुट साझा करती हैं।
- इस केंद्र पर ही इन सभी एजेंसियों की प्रतिदिन बैठक बुलाई जाती है। बैठक में पिछले 24 घंटों की खुफिया जानकारी को साझा करते हुए चर्चा और सहमति से आगे की कार्यनीति तैयार की जाती है।